कोटा ग्रामीण पुलिस ने एक ऐसी संवेदनशील मुहिम चलाई जिसने कई घरों में फिर से खुशियों की लौ जला दी। ‘ऑपरेशन सुदामा’ नाम के इस विशेष अभियान के तहत पुलिस ने 140 गुमशुदा लोगों को ढूंढकर उनके परिवारों से मिलवाया। इस पहल ने दीपावली से पहले उन घरों में रौनक लौटा दी, जो वर्षों से अपने परिजनों की तलाश में थे। एसपी सुजीत शंकर के निर्देशन में यह अभियान 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलाया गया। इस दौरान पुलिस का लक्ष्य था कि दीपावली से पहले ऐसे परिवारों को उनके लापता सदस्यों से मिलाया जाए, जो गरीब, असहाय या साधनहीन होने के कारण उनकी तलाश नहीं कर पा रहे थे।
अभियान में कोटा ग्रामीण पुलिस की मानव तस्करी विरोधी यूनिट (AHTU) और थाना स्तर पर गठित 17 विशेष मों ने हिस्सा लिया। करीब 90 पुलिसकर्मियों ने दिन-रात मेहनत कर 140 लापता लोगों को खोज निकाला। इनमें 118 महिलाएं और 22 पुरुष शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, इनमें से कई लोग सालों से लापता थे — किसी को 15 साल बाद, किसी को 10 साल, तो किसी को 5 साल बाद उनके परिवार से मिलवाया गया। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए, जहां परिवारजन यह उम्मीद छोड़ चुके थे कि वे कभी अपनों से मिल पाएंगे। लेकिन पुलिस की मेहनत ने इस दीपावली पर उन घरों में फिर से उम्मीद और आंसुओं के बीच मुस्कान लौटा दी।
एसपी सुजीत शंकर ने बताया कि यह अभियान पुलिस की केवल कानूनी नहीं, बल्कि मानवीय जिम्मेदारी का भी उदाहरण है। उन्होंने कहा, “हर इंसान का हक है कि वह अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहे। हमने उन लोगों को ढूंढने को प्राथमिकता दी, जो आर्थिक रूप से कमजोर थे और खुद खोज नहीं कर पा रहे थे। यह सिर्फ एक पुलिस ऑपरेशन नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का प्रयास था।” पुलिस ने बताया कि इन गुमशुदा लोगों को खोजने के लिए सोशल मीडिया, रेलवे स्टेशनों, आश्रय स्थलों, NGO और राज्यों की पुलिस इकाइयों की मदद ली गई। राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात और दिल्ली तक टीमों को भेजा गया।
अभियान के दौरान कई भावनात्मक पल भी देखने को मिले। कुछ माताओं ने अपने बच्चों को वर्षों बाद गले लगाया तो कुछ वृद्ध माता-पिता ने अपने लापता बेटों को देखकर पुलिस का आभार जताया। पुलिसकर्मियों के लिए भी यह एक भावनात्मक अनुभव रहा, क्योंकि उन्होंने सिर्फ ड्यूटी नहीं निभाई बल्कि कई परिवारों को टूटने से बचाया।
एसपी शंकर ने कहा कि ‘ऑपरेशन सुदामा’ को आगे भी जारी रखा जाएगा ताकि जो लोग अब भी गुमशुदा हैं, उन्हें खोजकर सुरक्षित घर पहुंचाया जा सके। उन्होंने पुलिसकर्मियों की टीमों की सराहना करते हुए कहा कि उनका समर्पण ही इस अभियान की असली ताकत रहा। कोटा ग्रामीण पुलिस की इस मानवीय पहल की सराहना अब पूरे प्रदेश में की जा रही है। यह अभियान इस बात का उदाहरण बन गया है कि पुलिस अगर संवेदनशील दृष्टिकोण से काम करे, तो कानून के साथ-साथ इंसानियत की भी जीत होती है।
You may also like

तेजस्वी यादव के नौकरी वाले बयान पर सुधांशु शेखर बोले, शर्म आनी चाहिए

तीन विंग, 52 एकड़ का परिसर, 324 करोड़ की लागत, जानें कैसी है नई विधानसभा, 25 साल पहले कॉलेज में लगा था पहला सत्र

आपदा प्रभावितों के बीच पहुंचे मुख्यमंत्री धामी, जाना हालचाल

कुमाऊं विवि की कार्य परिषद बैठक में राष्ट्रपति के आगमन की तैयारियों पर चर्चा

ओबीसी समाज को बसपा से जोड़ने में जुटीं मायावती, बोली- सत्ता की मास्टर चाबी बहुजनों के हाथ में लानी है





