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वन्यजीव सुरक्षा पर बड़ा सवाल! MP से मिली 225 हड्डियां, 3 टाइगर और 1 तेंदुए के अवशेष बरामद, शक की सुई रणथंभौर की ओर

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रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघ अंतरराष्ट्रीय शिकारियों के निशाने पर हैं। मध्य प्रदेश के श्योपुर में पकड़े गए शिकारियों के गिरोह से पूछताछ के बाद यह बात सामने आई है। शिकारियों के पास से तीन बाघों और एक तेंदुए की खोपड़ी समेत 225 हड्डियों के टुकड़े बरामद किए गए हैं।

पिछले महीने हुई थी गिरफ्तारी 
मध्य प्रदेश की 'स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स', राजस्थान वन विभाग और सवाई माधोपुर के एक एनजीओ 'टाइगर वॉच' के संयुक्त अभियान के बाद 5 जून को इसका खुलासा हुआ। इसके तहत 6 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए शिकारियों में से 3 राजस्थान के दौसा के हैं। इन शिकारियों के पास से बड़ी बिल्लियों जैसी खोपड़ियां और करीब 225 हड्डियां बरामद की गईं, जिन्हें जांच के लिए जबलपुर भेजा गया। इस जांच में पता चला है कि शिकारियों से बरामद खोपड़ियां और हड्डियां 3 बाघों और 1 तेंदुए की हैं। गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों की पहचान दाऊजी भील, देवी सिंह, बेस्टा सुनीता दाऊजी, बानीराम मोगिया, नरेश मोगिया और राजाराम मोगिया के रूप में हुई है।

बेंगलुरू में हो रहा डीएनए मिलान

जानकारी के अनुसार, अब इन हड्डियों और खोपड़ियों के नमूने नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (बेंगलुरू) के पास हैं। अब एनसीबीसी इनका डीएनए मिलान करेगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बाघों की हड्डियां और खोपड़ियां राजस्थान के रणथंभौर से लापता हुए बाघों की हैं या मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों की। इसमें कुछ सप्ताह लग सकते हैं।

रणथंभौर से लापता हुए बाघों का क्या हुआ?

हाल ही में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 25 बाघों के लापता होने की खबर सामने आई थी। वन विभाग की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी, लेकिन अब तक इन बाघों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। आशंका है कि रणथंभौर से लापता हुए बाघों का शिकार तो नहीं किया गया? हालांकि रणथंभौर वन प्रशासन मध्य प्रदेश वन विभाग के संपर्क में है और पूरी घटना पर नजर रखी जा रही है।रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर का कहना है कि जब तक हड्डियों की डीएनए रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

रणथंभौर में एंटी पोचिंग सिस्टम लगा हुआ है

अनूप केआर ने आगे कहा, 'रणथंभौर में एंटी पोचिंग सिस्टम लगा हुआ है। साथ ही रणथंभौर के जंगल में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं और वनकर्मियों की नियमित गश्त होती रहती है। ऐसे में रणथंभौर में बाघों का शिकार करना संभव नहीं है। लेकिन कई बार बाघ रणथंभौर की परिधि से निकलकर मध्य प्रदेश की ओर चले जाते हैं। ऐसे में उनके साथ कुछ भी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बाहर जाने वाले बाघों को जान का खतरा जरूर होता है।'

राजस्थान से मध्यप्रदेश जाते हैं बाघ

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 50 से 55 बाघों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में बाघों की संख्या 80 के करीब है। इस कारण बाघों के लिए जगह कम पड़ जाती है और कई बार वे रणथंभौर से मध्यप्रदेश चले जाते हैं। मध्यप्रदेश का श्योपुर रणथंभौर से सटा हुआ इलाका है। श्योपुर से माधवगढ़ टाइगर रिजर्व करीब 100 किमी और पन्ना टाइगर रिजर्व करीब 300 किमी दूर है। ऐसे में आशंका है कि शिकारियों ने रणथंभौर के बाघों का शिकार किया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है शिकारियों का गिरोह
मध्यप्रदेश के श्योपुर में पकड़े गए शिकारियों का गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है। इनके तार भारत के अन्य बाघ राज्यों के साथ ही नेपाल और म्यांमार समेत अन्य देशों तक फैले हुए हैं। यह गिरोह बाघों को मारने के लिए हवाला और डिजिटल माध्यम से भुगतान लेता है। रणथंभौर के वन्यजीव विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि श्योपुर में पकड़े गए शिकारियों के मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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