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'सांच को आंच नहीं' कहकर कांग्रेस ने जताई जीत की खुशी, BJP ने केस बंद होने पर उठाए सवाल

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राजस्थान में 2020 के बहुचर्चित राजनीतिक संकट से जुड़ा एक बड़ा फैसला सामने आया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार को अस्थिर करने के आरोपों पर दर्ज केस को बंद कर दिया है। हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, जिसमें कहा गया था कि विधायकों की खरीद-फरोख्त के कोई सबूत नहीं मिले। इस फैसले के बाद राज्य में फिर से राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। भजनलाल सरकार में मंत्री रहे सुरेश रावत ने इसे कांग्रेस की 'आंतरिक लड़ाई' बताया, जबकि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया।

'सत्य को नुकसान नहीं पहुँचाया जा सकता': मंत्री सुरेश रावत का बयान
हाईकोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान के मंत्री सुरेश रावत ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, 'सत्य को नुकसान नहीं पहुँचाया जा सकता। उस समय भी यह उनकी आंतरिक लड़ाई थी। आंतरिक लड़ाई में राजस्थान सरकार होटलों में बैठी रही। उन्होंने जनता का शोषण करने का काम किया। अब कोर्ट ने भी मान लिया है कि यह उनका नाटक और आंतरिक लड़ाई थी।' उन्होंने यह भी कहा कि इस झगड़े की वजह से राजस्थान कई साल पीछे चला गया। रावत के मुताबिक, दूसरों पर उंगली उठाना कांग्रेस की पुरानी आदत है।

सचिन पायलट ने क्या कहा?

इस मामले पर जब पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से सवाल किया गया, तो उन्होंने सीधे तौर पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पायलट ने कहा, 'मैंने रिपोर्ट नहीं देखी है, लेकिन जब अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है, तो अब कहने को क्या बचा है। मुझे लगता है कि न्यायपालिका पर सभी का भरोसा है। देश की न्यायपालिका मज़बूत है।' जब पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या यह 'फर्जी मामला' है, तो पायलट मुस्कुराए और बोले, 'जब आप यह कह रहे हैं और अदालत का फैसला आ गया है, तो आप मुझसे क्या कहलवाना चाहते हैं।' पायलट के इस बयान को इस बात की पुष्टि के तौर पर देखा जा रहा है कि वह इस मामले को एक राजनीतिक साजिश मानते हैं।

क्या था पूरा मामला?

यह पूरा मामला जुलाई 2020 का है, जब सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस दौरान, गहलोत सरकार ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाते हुए एसओजी और एसीबी में मामले दर्ज कराए थे। एसीबी ने अशोक सिंह और भरत मालानी के खिलाफ निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया और अन्य को खरीदने की कोशिश करने का मामला दर्ज किया था।

यह मामला फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित था। दावा किया गया था कि आरोपियों ने निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने और राज्यसभा चुनाव में क्रॉस-वोटिंग कराने की कोशिश की थी। हालाँकि, एसीबी की जाँच में ये आरोप साबित नहीं हो सके।

मामला क्यों बंद किया गया?

एसीबी की जाँच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि फोन कॉल रिकॉर्डिंग में विधायकों की खरीद-फरोख्त का कोई सबूत नहीं मिला। रिपोर्ट के अनुसार, रिकॉर्डिंग में केवल राजनीतिक हालात, आईपीएल और गहलोत-पायलट के बीच सामान्य बातचीत के बारे में बातचीत थी। इसके अलावा, बैंक ट्रांजेक्शन से किसी भी तरह के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला। एसीबी की इसी क्लोजर रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने मामले को बंद करने का आदेश दिया। यह फैसला न केवल आरोपियों के लिए बड़ी राहत है, बल्कि राजस्थान के पिछले राजनीतिक संकट की वास्तविकता पर भी निर्णायक मुहर लगाता है।

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