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'नाम यूनिवर्सिटी काम ठेकेदारी....' शिक्षा का मंदिर अब बना व्यापार का अड्डा, सेवा कार्यों में झोंके जा रहे हैं विश्वविद्यालय के कर्मचारी

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राजस्थान विश्वविद्यालय के परीक्षा केंद्रों पर इन दिनों एक अनोखी परीक्षा चल रही है...छात्रों की नहीं, बल्कि उनकी जेबों की! यहां परीक्षा देने से पहले मोबाइल और बैग जमा कराने के नाम पर 20 रुपए की 'फीस' ली जा रही है, वो भी सिर्फ उन छात्रों से जो विश्वविद्यालय परिसर के नहीं, बल्कि संबद्ध कॉलेजों के हैं।

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मजे की बात यह है कि विश्वविद्यालय ने इस 'सेवा' की जिम्मेदारी न तो अपने कर्मचारियों को दी है, न ही इसकी जिम्मेदारी ली है। कहीं कैंटीन संचालक तो कहीं बाहरी लोग खुलेआम पैसे वसूल रहे हैं और विश्वविद्यालय मूकदर्शक बना हुआ है। छात्रों से कैश के अलावा ऑनलाइन भुगतान भी लिया जा रहा है, इसके लिए परीक्षा केंद्रों पर स्कैनर लगाए गए हैं। जो छात्र पैसे नहीं दे रहे हैं, उनके बैग केंद्र के बाहर खुले में रखे जा रहे हैं।

कोई राहत नहीं
परीक्षा देने आए छात्रों का कहना है कि पिछले साल विश्वविद्यालय ने मोबाइल और बैग रखने के नाम पर कैंपस के छात्रों से पैसे वसूलना बंद कर दिया था, लेकिन संबद्ध कॉलेजों के छात्रों को यह राहत नहीं दी गई।

निशुल्क सुविधा में अंतर
विश्वविद्यालय के नियमित छात्रों के लिए परीक्षा केंद्रों पर अलग से कमरे में मोबाइल और बैग जमा करने की सुविधा है। वहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और छात्र खुद ही सामान रखकर परीक्षा के बाद वापस ले जाते हैं। लेकिन संबद्ध कॉलेजों के छात्रों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

प्रशासनिक चुप्पी
विश्वविद्यालय ने अपने कैंपस के छात्रों को तो निशुल्क सुविधा दे रखी है, लेकिन अन्य छात्रों के लिए यह उपलब्ध नहीं है। ऐसे में हमने यह जिम्मेदारी कैंटीन संचालक को सौंप दी है और सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। इस मामले में जब विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अल्पना कटेजा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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