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किसानों के लिए सरकार का बड़ा तोहफा: नई योजनाओं से बदलेगी खेती की तस्वीर, उत्पादन से लेकर आमदनी तक होगा सुधार

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ने पिछले डेढ़ वर्षों में राज्य के किसानों की समृद्धि और कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा में ठोस और दूरगामी कदम उठाए हैं। राज्य सरकार की स्पष्ट नीति, समर्पित कार्यशैली और जमीनी योजनाओं ने कृषि क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। योजनाएँ अब केवल कागजी दस्तावेज नहीं रह गई हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव का माध्यम बन गई हैं।

रिकॉर्ड अनुदान से बदली तस्वीर
राज्य सरकार ने खेतों की सुरक्षा और जल संरक्षण के लिए खेत तालाबों, डिग्गियों, सिंचाई पाइपलाइनों और बाड़बंदी जैसे कार्यों के लिए अभूतपूर्व अनुदान वितरित किए हैं। 32,164 खेत तालाबों के निर्माण के लिए अनुदान प्राप्त हुआ, जो पिछले पाँच वर्षों की तुलना में अधिक है। 7,465 डिग्गियों के लिए अनुदान देकर जल संरक्षण को बढ़ावा दिया गया। 25,787 किलोमीटर सिंचाई पाइपलाइन बिछाकर जल का कुशल उपयोग सुनिश्चित किया गया। 25,400 किलोमीटर बाड़बंदी के लिए 286 करोड़ रुपये का अनुदान देकर फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

मृदा स्वास्थ्य और प्राकृतिक खेती पर ज़ोर
सरकार ने मृदा की गुणवत्ता में सुधार और रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए अब तक 12.86 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए हैं। 37,911 वर्मीकम्पोस्ट इकाइयों की स्थापना और 50.87 लाख महिला किसानों को बीज मिनी किट का वितरण आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सौर ऊर्जा और सूक्ष्म सिंचाई से उत्पादकता में वृद्धि
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 41,690 सौर पंप सेट लगाए गए हैं, जिससे 650 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी मिली है। ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से लाखों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की गई है, जिससे किसानों की सिंचाई लागत कम हुई है और उत्पादन में वृद्धि हुई है।

संरक्षित खेती और भंडारण से लाभ
राज्य में ग्रीनहाउस, शेडनेट हाउस, मल्चिंग और प्याज भंडारण गृहों के माध्यम से संरक्षित खेती को बढ़ावा दिया गया है। इससे न केवल उत्पादन बढ़ा है, बल्कि किसानों को बेहतर दाम भी मिलने लगे हैं।

फलोद्यान और जैविक खेती की दिशा में पहल
राज्य सरकार ने संतरा, अमरूद, अनार, नींबू, आंवला, किन्नू जैसे फलों के बाग लगाकर किसानों के लिए आय के नए रास्ते खोले हैं। साथ ही, बैलों से खेती करने वाले किसानों को गोवर्धन योजना के तहत सालाना 30,000 रुपये और जैविक खाद उत्पादन के लिए प्रति किसान 10,000 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है।

प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण से सहायता
सरकार न केवल वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, बल्कि ई-नाम पोर्टल के माध्यम से विपणन सुविधाओं, कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, मृदा परीक्षण और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रशिक्षण जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को व्यापक सहायता भी प्रदान कर रही है।

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