प्रदेश में बार-बार सरकारी बयानों के बादल छाने के बीच सरकारी शिक्षक पिछले 17 महीनों से तबादले की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। सरकार जहां तबादलों की अपनी घोषणा से बार-बार मुकर रही है, वहीं तबादलों का इंतजार कर रहे लाखों शिक्षकों में असमंजस के साथ गुस्सा उबलने लगा है। शिक्षा मंत्री जब ग्रीष्मावकाश में तबादलों की घोषणा करने और विधायकों की सूची भेजने के बाद भी फिर टालमटोल कर रहे हैं, तो शिक्षक संगठनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। जनगणना और निकाय चुनाव के मद्देनजर आगे तबादले न होने की आशंका के बीच उन्होंने तबादलों को जल्द करने की मांग करते हुए सरकार को आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
100 दिवसीय कार्ययोजना से ही
चुनाव घोषणापत्र के बाद 100 दिवसीय कार्ययोजना में तबादला नीति को भी शामिल किया गया था। लेकिन, कुछ दिनों बाद संशोधित कार्ययोजना में इसे हटा दिया गया। इसके बाद भी शिक्षा मंत्री तबादलों को लेकर बयान देते रहे। बोर्ड परीक्षाओं से पहले ग्रीष्मावकाश में तबादलों की घोषणा की गई थी। हाल ही में भाजपा विधायकों और प्रत्याशियों ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों के अलावा अन्य संवर्गों के 70-70 शिक्षकों की इच्छा सूची भेजी थी। इसे गलत बताते हुए अब शिक्षा मंत्री ने कहा है कि नए सत्र से पहले तबादले नहीं होंगे।
छवि पर पड़ रहा बुरा असर
तबादलों की घोषणा के बाद बार-बार इंकार करने से सरकार की छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इससे शिक्षकों से लेकर आम जनता में सरकार के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ रही है। अगर इसे रोकना है तो सरकार को इस संबंध में तत्काल कदम उठाने होंगे।
फिर दो साल तक नहीं होंगे तबादले
शिक्षकों को अब यह डर सता रहा है कि तबादलों पर रोक लंबी खिंच जाएगी। क्योंकि केंद्र सरकार की जनगणना की कवायद के बीच राज्य सरकार भी नवंबर में निकाय चुनाव कराने की बात कह रही है। ऐसे में अगर शिक्षकों के जल्द तबादले नहीं हुए तो यह मामला 2027 में जनगणना पूरी होने तक अटक सकता है। इस आशंका के चलते शिक्षकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
शिक्षक संगठनों ने कही ये बात:-
तृतीय श्रेणी शिक्षक सात साल से तबादलों का इंतजार कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि पदोन्नति प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर सभी संवर्गों के लिए स्थाई स्थानांतरण नीति बनाकर शीघ्र स्थानांतरण करें। अन्यथा संगठन फिर से पैदल मार्च जैसा उग्र आंदोलन करने की रणनीति बना रहा है। इस संबंध में रविवार से दो दिवसीय प्रदेश स्तरीय बैठक भी रखी गई है।
शिक्षा विभाग में स्थानांतरण को लेकर विभागाध्यक्ष द्वारा बार-बार बयान बदलने और यू-टर्न लेने से शिक्षा विभाग में स्थानांतरण चाहने वाले शिक्षक नाराज हैं। शिक्षकों में शिक्षा मंत्री के प्रति काफी रोष है। ऐसे में मुख्यमंत्री को स्थानांतरण पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। बसंत कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टासरकार को वादे के अनुसार स्थानांतरण नीति बनाकर शिक्षकों के स्थानांतरण शीघ्र करने चाहिए। इससे शिक्षकों और उनके परिजनों का सरकार के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा।
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