हनुमानगढ़ जिले में जिला परिषद हो या पंचायत समितियां, जहां भी महिला प्रतिनिधि हैं, कुछ जगहों पर उनके पति या परिवार के अन्य पुरुष सदस्य कामकाज संभाल रहे हैं। ऐसे में महिलाएं पंचायती राज द्वारा दिए गए अधिकारों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रही हैं। हालांकि दो दशक पहले की तस्वीर देखें तो आज के मुकाबले काफी बदलाव आ चुके हैं। अब कुछ जगहों पर महिला प्रतिनिधि खुद बैठकों में हिस्सा ले रही हैं और जनता का पक्ष मजबूती से रख रही हैं। महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर वे मुखर हो रही हैं। लेकिन कुछ गांवों में महिला सरपंच और वार्ड पंच अभी भी राजनीतिक रूप से काफी कमजोर साबित हो रही हैं।
पंचायती राज क्षेत्र में हनुमानगढ़ जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक फेफाना में इस समय सरपंच से लेकर पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य तक के पदों पर महिला प्रतिनिधि काबिज हैं। लेकिन पंचायती राज ने उन्हें जो अधिकार दिए हैं। ज्यादातर जगहों पर उन अधिकारों का पालन महिला प्रतिनिधि खुद नहीं बल्कि उनके पति कर रहे हैं। क्या जनता द्वारा चुनी गई महिला जनप्रतिनिधि सिर्फ रसोई तक ही सीमित हैं या फिर उन्हें पंचायती राज विभाग द्वारा दिए गए अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं है? यदि महिला जनप्रतिनिधि स्वयं निर्णय लेकर काम करें तो पंचायती राज व्यवस्था में सुधार होने में देर नहीं लगेगी।
सरपंच घर के कामों में बिताती हैं समय
फेफाना में एक महिला मैनावती ज्याणी सरपंच के पद पर कार्यरत हैं। लेकिन सरपंच खुद घर के कामों में समय बिताती हैं। पंचायती राज के काम अक्सर उनके पति ही करते हैं। पंचायत समिति सदस्य एवं प्रशासन स्थायी समिति सदस्य संतोष गोदारा पंचायती राज विभाग द्वारा महिला जनप्रतिनिधियों को दिए गए अधिकारों को लेकर काफी आशान्वित नजर आईं। उन्होंने कहा कि वे अपने पति के स्थान पर कार्यभार संभाल रही हैं। उनकी पहली प्राथमिकता पंचायत समिति की लगभग सभी बैठकों में भाग लेना और अपने क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाना है। चुनौतियों का डटकर सामना करना होगा, तभी महिलाएं आगे बढ़ पाएंगी।
सरकारी बैठकों में लेती हैं भाग-रीता बिजारणी
पंचायत समिति सदस्य रीता बिजारणी ने कहा कि वे पंचायती राज विभाग द्वारा दिए गए अधिकारों का पालन करेंगी। अगर कोई दूसरा उनके अधिकारों का इस्तेमाल करता है तो वह इसके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि वह कई बार सरकारी बैठकों में भाग लेती रही हैं और क्षेत्र की समस्याओं को उठाकर उनका समाधान करवाती रही हैं।
तो महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा- संतोष नायक
जिला परिषद सदस्य संतोष नायक ने कहा कि वह पंचायती राज द्वारा महिला प्रतिनिधियों को दिए गए अधिकारों का पूरा पालन करेंगी। उन्होंने कहा कि जब तक महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं होगी, तब तक महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा। वह खुद जिला परिषद की बैठक में जिम्मेदारी संभालती रही हैं।
जिले में ग्रामीण प्रतिनिधियों पर नजर
1- हनुमानगढ़ जिला परिषद में कुल 29 सदस्य हैं। इनमें से 18 सदस्य महिलाएं हैं।
2- जिले के 268 सरपंचों में से 140 महिला सरपंच चुनी गई हैं।
3- हनुमानगढ़ जिले में कुल 3003 वार्ड पंच चुने गए हैं। इनमें से 1438 महिलाएं हैं।
4- जिले में सात पंचायत समितियां हैं, जिनमें से 04 पंचायत समितियों में महिला प्रधान हैं।
5- हनुमानगढ़ की सभी सातों पंचायत समितियों में कुल 143 पंचायत समिति सदस्य चुने जाते हैं। इनमें से 83 महिलाएं हैं।
दो दशक में काफी बदल गई है तस्वीर
जिला परिषद सीईओ ओपी बिश्नोई के अनुसार हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो यहां की महिला जनप्रतिनिधि अपने अधिकारों के प्रति काफी जागरूक हैं। अधिकतर जगहों पर हमने देखा है कि वे अपना काम खुद ही कर रही हैं। अगर पंचायती राज व्यवस्था की बात करें तो दो दशक पहले और वर्तमान में काफी सकारात्मक बदलाव हुए हैं। शुरुआती दौर में चुनाव के बाद भी महिलाएं बैठकों में उतनी भागीदारी नहीं करती थीं। लेकिन अब जिला परिषद बैठक में महिला सदस्यों की संख्या काफी अच्छी है। अगर गांवों की बात करें तो अभी तक हमें लिखित में कोई शिकायत नहीं मिली है, जिसमें महिला जनप्रतिनिधियों की जगह उनके परिवार के पुरुष कामकाज संभालते हों। शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
इसलिए है आज का दिन खास
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन 1992 में संविधान में 73वां संशोधन लागू हुआ था। इससे पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता मिली। उन्हें स्थानीय स्वशासन का अधिकार दिया गया। इसलिए इस दिन को मनाने के लिए देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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