कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) द्वारा मैसर्स अराफात पेट्रो केमिकल प्राइवेट लिमिटेड (जेके फैक्ट्री) की सम्पत्तियों को अपने कब्जे में लेने के दूसरे दिन ही अराफात के तीन निदेशकों के खिलाफ 387 करोड़ रुपए की मशीनरी के गबन के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। उद्योग नगर थानाधिकारी जितेन्द्र सिंह ने बताया कि अराफात कम्पनी के निदेशक मोहम्मददीन मोहम्मद उमर जनरल, मोहम्मद यूसुफ मोहम्मद सफी लिलिमवाला और मोहम्मद जुनैद निवासी गुजरात के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
परिवादी इन्द्रमल जैन ने बुधवार शाम थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई कि मैसर्स जेके सिंथेटिक्स लिमिटेड, कोटा (जेके फैक्ट्री) के बंद होने के बाद विभिन्न विवादों के बाद औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण अपील अधिकरण के 7 जनवरी 2005 के आदेशानुसार स्वीकृत योजना में मैसर्स जेके सिंथेटिक्स लिमिटेड की 427 करोड़ रुपए की बहुमूल्य भूमि, प्लांट व मशीनरी व अन्य सम्पत्तियां इसी आधार पर अराफात को हस्तांतरित किए जाने को मंजूरी दी गई। इसमें कहा गया था कि अराफात द्वारा समझौता राशि के रूप में 55-60 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। जिसमें से 43.69 करोड़ रुपए फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों को दिए जाएंगे और 15 करोड़ रुपए जेके सिंथेटिक्स लिमिटेड की देनदारियों के लिए दिए जाएंगे।
एफआईआर के अनुसार जेके सिंथेटिक्स लिमिटेड और अराफात द्वारा एक संयुक्त उद्यम बनाया जाना था, जिसके तहत कोटा में जेके इकाई की सभी फैक्ट्रियों का संचालन किया जाना था। इस प्रकार अराफात को उद्योग चलाने और रोजगार के लिए जेके फैक्ट्री की भूमि, भवन और प्लांट व मशीनरी और अन्य संपत्तियां दी गईं, लेकिन 24 जून 2025 को सरकार द्वारा अराफात को हस्तांतरित भूमि पर कब्जा लेने के बाद यह बात सामने आई है कि अराफात समूह की हस्तांतरित भूमि और भवन तो मौजूद है, लेकिन निदेशकों और कंपनी के अधिकारियों ने जेके फैक्ट्री की मशीनरी को गुपचुप तरीके से बेचकर बर्बाद कर दिया है। स्वीकृत योजना में प्लांट और मशीनरी की कीमत करीब 387 करोड़ रुपए थी। अराफात के प्रबंधकों और कंपनी के अधिकारियों ने कारखानों को पुनर्जीवित करने के लिए मिले करीब 387 करोड़ रुपये के प्लांट और मशीनरी को धोखाधड़ी से बेच दिया है। कंपनी प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 2023 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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