पंजीयन विभाग में एक वृद्ध का नाम उसकी मृत्यु के 14 साल बाद फर्जी दस्तावेजों के सहारे एक घंटे में ट्रांसफर कर देने का मामला सामने आया है, जबकि नाम ट्रांसफर के मामलों में फरियादियों को धक्के खाने पड़ते हैं। मृतक के परिजनों ने थाने में मामला दर्ज कराया है। इस मामले में राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ कई लोगों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है।
जानकारी के अनुसार, ग्राम बाजना निवासी मंत्रराज पुत्र मूलचंद की मृत्यु 20 मार्च 2011 को हो गई थी और जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार द्वारा उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था। उसकी पैतृक संपत्ति खसरा संख्या 875, 879, 921, 930, 943 ग्राम कसियापुरा तहसील राजाखेड़ा में स्थित थी। मृतक की कोई संतान नहीं थी। शिकायतकर्ता ईश्वरी प्रसाद पुत्र जसवंत सिंह निवासी बाजना ने आरोप लगाया है कि 17 जनवरी को दिलीप पुत्र मानसिंह ने अपने अन्य साथियों अजमेर सिंह पुत्र भीखाराम निवासी मंगलपुरा, चंद्रशेखर पुत्र मोहन सिंह मेहदपुरा, लक्ष्मण सिंह पुत्र दाताराम देवखेड़ा के साथ मिलकर एक फर्जी विक्रय पत्र तैयार किया। जिसमें मृतक मंत्रराज के स्थान पर अजमेर सिंह को अंकित किया गया।
तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी व अन्य पर आरोप
मृतक के पहचान पत्र पर मृतक का फोटो लगाकर धोखाधड़ी से विक्रय पत्र तैयार किया गया। चंद्रशेखर व लक्ष्मण ने गवाह के तौर पर इस फर्जी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जबकि दिलीप ने उक्त फर्जी दस्तावेज को राजाखेड़ा तहसील कार्यालय में प्रस्तुत कर संपत्ति अपने नाम करवा ली। शिकायत में इस धोखाधड़ी में तत्कालीन नायब तहसीलदार टिकेंद्र, हल्का पटवारी लाखन सिंह व अन्य राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत का आरोप है। जिन्होंने न तो विक्रय पत्र की सत्यता की जाँच की, न ही ग्राम पंचायत को सूचना भेजी और व्यक्तिगत स्तर पर नामांतरण को मंजूरी दी। शिकायतकर्ता ने इस मामले की गंभीरता से जाँच, फर्जी विक्रय पत्र निरस्त करने, नामांतरण निरस्त करने और दोषियों के विरुद्ध कानूनी आपराधिक कार्रवाई की माँग की है। वहीं, जब इस मामले में राजाखेड़ा एसडीएम वर्षा मीणा और तहसीलदार दीप्ति देव से बात करने की कोशिश की गई, तो फोन रिसीव नहीं हुआ।
जांच हो तो सामने आएंगे फर्जीवाड़े
भाजपा नेता लक्ष्मीकांत गुप्ता ने कहा कि ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों मामले हैं। हमने सूची तैयार कर ली है और सबूत भी जुटा लिए हैं। जिन्हें अब हम सरकार को भेज रहे हैं। अगर तहसील कार्यालय में हर रजिस्ट्रेशन की जाँच हो, तो ऐसे कई मामले सामने आ सकते हैं।
जांच शुरू, अब नतीजों पर निगाहें
पंजीयन कार्यालय में भ्रष्टाचार की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही हैं, लेकिन इस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इनकी जाँच करके मामलों पर पर्दा डाल देते हैं। स्थानीय भाजपा नेता ऐसे आरोप लगाकर लड़ाई लड़ रहे हैं, अब देखना होगा कि पुलिस इस सुनियोजित धोखाधड़ी के मामले की कितनी तत्परता से जाँच करती है। हालांकि ऐसे कई मामलों में पुलिस ने पिछले एक साल में कई आरोपियों को जेल भेजा है, लेकिन पंजीयन कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी अब तक न्याय की पहुँच से दूर हैं।
गजब की तेज़ी... एक घंटे में नामांतरण स्वीकृत
जहाँ शिकायतकर्ता नामांतरण के लिए चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं, वहीं इस मामले में ग्राम पंचायत को नामांतरण आवेदन भेजे बिना ही तहसीलदार की आईडी की मदद से सत्तावन मिनट चौदह सेकंड में नामांतरण स्वीकृत हो गया।
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