उदयपुर, जिसे ‘झीलों की नगरी’ कहा जाता है, अपनी रॉयल खूबसूरती, ऐतिहासिक धरोहरों और शांत झीलों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। लेकिन इस चमकते शहर के बीचोंबीच खड़ा सिटी पैलेस — अपनी आलीशान वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के साथ-साथ कुछ अनकहे और अनसुलझे रहस्यों का भी गवाह है। यह महल न केवल राजसी विरासत का प्रतीक है, बल्कि हर अमावस्या को यहां घटने वाली रहस्यमयी घटनाएं इसे हॉरर कहानियों का हिस्सा भी बनाती हैं।
अमावस्या की रात: जब सिटी पैलेस बनता है रहस्य और सन्नाटे का गवाह
स्थानीय निवासियों और कुछ पुरानी सेविकाओं का मानना है कि हर अमावस्या की रात, खास तौर पर जब चांद आसमान से गायब होता है और पूरा महल अंधेरे में डूबा होता है, सिटी पैलेस के अंदर कुछ असामान्य घटनाएं होती हैं। कहीं झूमर अपने आप हिलते हैं, तो कहीं बंद कमरे से किसी स्त्री के रोने की आवाजें आती हैं। कई बार सुरक्षा गार्डों ने दावा किया है कि उन्होंने एक श्वेत साड़ी में लिपटी छाया को महल के पुराने हिस्सों में घूमते हुए देखा है।
इतिहास के गर्भ में छिपे हैं कई गहरे राज
सिटी पैलेस की नींव 1559 में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने रखी थी। वर्षों तक यह महल मेवाड़ राजवंश की शक्ति, सम्मान और वीरता का केंद्र रहा। लेकिन इतिहास के पन्नों में कुछ पृष्ठ ऐसे भी हैं, जिनका जिक्र कम होता है — जैसे राजमहल की एक युवा रानी की रहस्यमयी मृत्यु, एक सेवक का अचानक गायब हो जाना, या फिर एक दरबारी द्वारा आत्महत्या किए जाने की कहानी। कहा जाता है कि यही आत्माएं अब महल में वास करती हैं और विशेष रूप से अमावस्या की रात को प्रकट होती हैं।
क्या कहते हैं महल में तैनात सुरक्षाकर्मी?
सिटी पैलेस में वर्षों से तैनात एक वरिष्ठ सुरक्षा गार्ड ने गुप्त रूप से बताया,“हमने कई बार देखा कि बंद पड़े कमरों की बत्तियाँ अचानक जल जाती हैं। एक बार मैंने खुद देखा कि सीढ़ियों पर कोई लड़की भागते हुए गई, लेकिन जब पीछा किया तो वह दीवार में समा गई। हम इन घटनाओं को लेकर अब आदत बना चुके हैं, पर हर अमावस्या की रात थोड़ा डर जरूर रहता है।”
तंत्र और साधना का इतिहास?
एक और मान्यता है कि मेवाड़ राजघराने के कुछ पूर्वजों ने राज्य रक्षा और शत्रुओं के नाश के लिए कुछ गुप्त तांत्रिक क्रियाएं करवाई थीं, जिनका प्रभाव अब भी कुछ विशेष रात्रियों में महसूस होता है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि महल के गुप्त तहखानों में अभी भी ऐसी ऊर्जाएं सक्रिय हैं, जो चंद्रमा के पूर्ण या शून्य प्रभाव (पूर्णिमा और अमावस्या) पर जागृत होती हैं।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इन घटनाओं को पूरी तरह से आत्माओं से जोड़ना उचित नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार,"इतिहास से जुड़े भवनों में अक्सर ऐसी ध्वनियाँ और हरकतें दर्ज होती हैं जो हवा, पुराने निर्माण, और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की वजह से होती हैं। अमावस्या की रात का अंधकार और वातावरण लोगों के मनोविज्ञान पर असर डालता है, जिससे डर और कल्पना बढ़ जाती है।"हालांकि, यह तर्क शांति प्रदान करता है, लेकिन स्थानीय लोगों और यहां वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की मान्यताएं इन वैज्ञानिक तथ्यों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
डर और पर्यटन का आकर्षण
इन रहस्यमयी घटनाओं की चर्चा अब सोशल मीडिया, ब्लॉग्स और यूट्यूब वीडियोज़ में भी होने लगी है। कुछ निजी टूर कंपनियाँ अब "हॉन्टेड उदयपुर वॉक्स" और "घोस्ट स्टोरी नाइट टूर" जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी करने लगी हैं। हालांकि, सिटी पैलेस ट्रस्ट ने इन अफवाहों की पुष्टि कभी नहीं की है, लेकिन भय और आकर्षण का यह मेल पर्यटकों को यहां खींच लाता है।
उदयपुर सिटी पैलेस एक भव्य और ऐतिहासिक धरोहर है, लेकिन इसके इर्द-गिर्द फैली रहस्यमयी कहानियाँ इस बात का संकेत देती हैं कि इतिहास केवल दीवारों पर नहीं लिखा होता — वह उन अधूरी आवाज़ों में भी गूंजता है जो अब भी किसी को सुनाई देती हैं।हर अमावस्या को यहां कुछ अनकहा, अनदेखा और अनजाना घटता है — यह सिर्फ संयोग है या कोई आत्मा अब भी अपनी कहानी कहने की कोशिश कर रही है?
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