जयपुर में एक व्यापारी से 75 लाख के कीमती आभूषण और सोना लूटने वाले लुटेरे ठगी के शिकार हो गए। लूट के बाद जब इन लुटेरों ने लूटे गए आभूषण बेचे तो खरीदार उनसे ज्यादा चालाक निकला। उसने असली हीरे-पन्ना और रत्न जड़ित सोने के आभूषणों को नकली बताकर महज एक लाख रुपये में खरीद लिया। हैरान करने वाली बात यह है कि इस एक लाख की रकम को बांटने में छह लुटेरे खुश थे, लेकिन जब उन्हें असली कीमत पता चली तो उनके होश उड़ गए। पुलिस ने जब तीन लुटेरों को गिरफ्तार किया तो उन्होंने खुद ही अपने धोखेबाज खरीदार की साजिश का खुलासा कर दिया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मुख्य जालसाज अजय कुमार नट को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया।
लुटेरों की लूट, जालसाज की चालाकी
पूरा मामला बेहद फिल्मी है, लेकिन सच है। जयपुर के जौहरी बाजार में रहने वाले आभूषण व्यवसायी बृजमोहन गांधी रोजाना की तरह 3 जून को शाम करीब साढ़े पांच बजे अपने दफ्तर से निकले। उनके पास कपड़े के एक थैले में हीरे, पन्ने और अन्य कीमती रत्नों से बने आभूषण थे। शाम करीब छह बजे जब वे रामसिंह रोड स्थित पृथ्वीराज टी प्वाइंट के पास पहुंचे तो बाइक सवार दो बदमाशों ने फिल्मी अंदाज में कार का शीशा तोड़कर बैग लूट लिया। बैग में रखे जेवरात की कुल कीमत करीब 75 लाख रुपए थी। वारदात के बाद जयपुर ईस्ट पुलिस हरकत में आई और इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। इनमें से एक फुटेज में महाराष्ट्र नंबर की स्कूटी नजर आई, जो बाद में जांच में अहम कड़ी बनी।
भरतपुर से मिला पहला सुराग
सीसीटीवी और मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने भरतपुर के अनीपुर गांव निवासी धर्मवीर उर्फ राहुल जाट को हिरासत में लिया। पहले तो उसने खुद को बेकसूर बताया, लेकिन जब फुटेज उसके सामने पेश की गई तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पूछताछ में धर्मवीर ने बताया कि उसने अपने मुंबई निवासी साथी संतोष सिंह चौहान, विशाल उर्फ बिस्सू, अनिकेत उर्फ लाला, राहुल चौधरी और अरविंद उर्फ नेता के साथ मिलकर इस लूट की योजना बनाई थी।
डकैतों के साथ मिलकर ठगी
डकैतों की योजना सफल रही। बृजमोहन गांधी से लूटा गया बैग लेकर वे भाग गए। लेकिन लूट के बाद सबसे बड़ी गलती तब हुई जब लूटा गया माल अजय कुमार नट नाम के एक शख्स को बेच दिया, जो खुद एक पेशेवर ठग था। अजय कुमार नट ने लुटेरों को समझाया कि आभूषण असली नहीं हैं, रत्नों की शुद्धता कम है और सोना भी 16 कैरेट से ज्यादा नहीं है। इस बहाने उसने 75 लाख के आभूषण महज 1 लाख रुपए में खरीद लिए। लुटेरों ने भी नासमझी में उस एक लाख को खुशी-खुशी बराबर हिस्सों में बांट लिया और संतुष्ट हो गए। लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें अखबारों और सोशल मीडिया से लूटे गए माल की असली कीमत पता चली तो वे दंग रह गए।
लुटेरों ने खुद ही ठगी का राज खोल दिया
जैसे ही जयपुर पुलिस ने तीनों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो उन्होंने सारा राज उगल दिया। उन्होंने बताया कि माल बेचने के बाद जब कीमत का राज खुला तो उन्होंने ठगी करने वाले अजय नट को सबक सिखाने का फैसला किया। जयपुर पूर्व पुलिस उपायुक्त तेजस्वनी गौतम ने बताया कि जब पुलिस ने अजय कुमार नट की तलाश शुरू की तो पता चला कि वह अपने पैतृक गांव मुरवाड़ा (भरतपुर) से भागकर मुंबई पहुंच गया है। इसके बाद पुलिस टीम ने मुंबई के निलजे गांव स्टेशन के पास लोधा रोड थाना क्षेत्र की एक सोसायटी में दबिश देकर अजय कुमार नट और उसके भाई संदीप चौहान को हिरासत में लिया।
तब असली सच्चाई सामने आई
पूछताछ के दौरान अजय पुलिस को गुमराह करता रहा। कभी कहता कि उसने माल अपने भाई संतोष को दे दिया है तो कभी कहता कि उसे भी नहीं पता कि माल अब कहां है। लेकिन जब पुलिस ने दोनों भाइयों को जयपुर लाकर आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की तो अजय ने जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसने लूटा हुआ माल भरतपुर में ही ले लिया था और बदले में लुटेरों को एक लाख रुपए नकद दिए थे। उसने यह भी बताया कि उसने जानबूझकर रत्नों को नकली बताया और सोने की शुद्धता को कम आंककर बहुत कम कीमत पर माल खरीदा था। जबकि हकीकत यह थी कि इन हारों में महंगे पन्ने, स्पिनल रत्न और सोने की अंगूठियां शामिल थीं, जिनकी कुल कीमत करीब 75 लाख रुपये थी।
अब अगली बारी ठगों की है
जयपुर पुलिस ने अब लूट के साथ-साथ धोखाधड़ी और माल की ठगी का मामला भी दर्ज किया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में दो स्तर की आपराधिक साजिश सामने आई है, एक लूट और दूसरा चोरी का माल औने-पौने दामों पर खरीदने की ठगी। लुटेरों की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस मुंबई से भरतपुर के बीच ठगी के पूरे नेटवर्क की जांच कर रही है। अजय नट और उसके भाई संदीप को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे लगातार पूछताछ जारी है।