बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव महुआ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके ख़िलाफ़ आरजेडी ने मुकेश कुमार रौशन को चुनाव मैदान में उतारा है.
बिहार में साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप यादव राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर हसनपुर सीट से चुनाव जीते थे.
अब आरजेडी से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली है. उनकी पार्टी का नाम 'जनशक्ति जनता दल' है.
मई महीने में आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था.
लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर यह भी बताया था कि परिवार में तेज प्रताप की कोई भूमिका नहीं रहेगी.
दरअसल, तेज प्रताप यादव के सोशल मीडिया हैंडल से एक युवती के साथ बीते 12 वर्षों से उनके प्रेम संबंध होने की जानकारी साझा की गई थी. तेज प्रताप के इस पोस्ट की बिहार की राजनीति में काफ़ी चर्चा हुई.
हालांकि, तेज प्रताप ने बाद में यह पोस्ट डिलीट करते हुए कहा कि उनकी आईडी हैक हो गई थी.
कौन हैं मुकेश कुमार रौशनविधानसभा चुनावों के लिए बिहार में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी.
इस बार के चुनाव में जिन उम्मीदवारों पर ख़ास नज़र होगी, उनमें तेज प्रताप यादव भी शामिल हैं.
माना जा रहा है कि उनको अपनी ही पुरानी पार्टी यानी राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार मुकेश कुमार रौशन से बड़ी चुनौती मिलने वाली है.
मुकेश कुमार रौशन पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर महुआ सीट से जीते थे.
चुनावी हलफ़नामे के अनुसार 37 साल के मुकेश कुमार वैशाली ज़िले के हाजीपुर के दिग्घी ख़ुर्द गांव के रहने वाले हैं.
उनकी पत्नी का नाम रूपा प्रसाद है, जो एक प्राइवेट टीचर हैं.
मुकेश रौशन और रूपा प्रसाद के दो बच्चे हैं. उनके बेटे का नाम वैभव देव राय जबकि बेटी का नाम आरणा राय है.
चुनाव आयोग के सौंपे गए एफिडेविट के मुताबिक़ मुकेश कुमार रौशन पेशे से डेंटल सर्जन हैं. उन्होंने साल 2007 में बुद्धा इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंस एंड हॉस्पिटल से बीडीएस की डिग्री ली है.
उनके ख़िलाफ़ दो आपराधिक मामले लंबित हैं, हालांकि किसी मामले में उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है.
मुकेश कुमार रौशन ने अपनी आय के बारे में बताया है कि उनकी आमदनी का ज़रिया मेडिकल प्रोफ़ेशन, व्यवसाय और विधायकों को मिलने वाला वेतन है.
मुकेश कुमार का ताल्लुक एक राजनीतिक परिवार से है. उनके चाचा विष्णु देव राय एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) थे. उन्हें आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के क़रीबियों में गिना जाता था.
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महुआ विधानसभा सीट वैशाली ज़िले में है और जातीय समीकरण के लिहाज़ से इसे आरजेडी के लिए काफ़ी मज़बूत सीट के तौर पर देखा जाता है.
बिहार में हुए पिछले पांच विधानसभा चुनावों में चार बार आरजेडी ने इस सीट पर क़ब्ज़ा किया है, जबकि एक बार आरजेडी के साझेदार के तौर पर यह सीट जनता दल यूनाइटेड के खाते में गई थी और उसने यह सीट जीती थी.
ख़ास बात यह है कि इस सीट से तेज प्रताप यादव भी एक बार चुनाव जीत चुके हैं.
तेज प्रताप यादव इस बार जब अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे तो उन्होंने अपने साथ अपनी दादी मरछिया देवी की तस्वीर भी रखी थी. तेज प्रताप के मुताबिक़ उन्होंने दादी से आशीर्वाद लेकर अपना नामांकन किया है.
लेकिन तेज प्रताप के लिए यह सीट कितनी आसान रहने वाली है, इसके लिए महुआ विधानसभा सीट के इतिहास पर नज़र डालना ज़रूरी है.
राज्य में हुए पिछले पांच विधानसभा चुनावों की बात करें तो महुआ सीट का नतीजा कुछ इस तरह रहा है-
- साल 2020 में आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन जीते.
- साल 2015 आरजेडी से तेज प्रताप यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की.
- साल 2010 जेडीयू के रविंद्र राय को यहां से जीत मिली.
- अक्तूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में महुआ सीट पर आरजेडी के शिवचंद राम जीते थे.
- इससे पहले फ़रवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भी आरजेडी के शिवचंद राम के हिस्से में यह सीट गई थी.
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तेज प्रताप यादव साल 2020 के विधानसभा चुनाव में समस्तीपुर की हसनपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे. हालांकि उस वक़्त वो आरजेडी के उम्मीदवार थे.
उन चुनावों में आरजेडी को क़रीब 47 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि क़रीब 35 फ़ीसदी वोट के साथ जेडीयू के राज कुमार राय दूसरे नंबर पर रहे थे.
इस सीट पर साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू के राज कुमार राय को जीत मिली थी.
साल 2010 में भी इस सीट पर जेडीयू के राज कुमार राय को ही जीत मिली थी, जबकि आरजेडी दूसरे नंबर पर रही थी.
अक्तूबर 2005 में इस सीट से आरजेडी के सुनील कुमार पुष्पम को जीत मिली थी. इसी साल यानी 2005 में फ़रवरी महीने में हुए विधानसभा चुनावों में भी आरजेडी के सुनील कुमार पुष्पम ने इस सीट पर क़ब्ज़ा किया था.
हसनपुर सीट पर बीते कुछ चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यह सीट भी आरजेडी के लिए काफ़ी मज़बूत रही है. लेकिन जेडीयू इस सीट पर आरजेडी के सामने एक मज़बूत ताक़त के तौर पर दिखती है.
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