ज़ोहरान ममदानी 2018 में अमेरिका के नागरिक बने और 2020 में न्यूयॉर्क स्टेट एसेंबली के सदस्य बन गए. अब 2025 में ज़ोहरान ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की प्राइमरी जीत ली है.
लेकिन इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि 33 साल के ममदानी ने अमेरिका की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक ममदानी को निशाने पर ले रहे हैं. ट्रंप ने कहा है कि अगर ज़ोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बनते हैं तो वह फंड रोक देंगे.
ज़ोहरान ममदानी ने जब से न्यूयॉर्क सिटी के मेयर के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की प्राइमरी जीती है, तब से उन पर इस्लामोफ़ोबिक हमले और बढ़ गए हैं.
ज़ोहरान ममदानी की मुस्लिम पहचान पर यूएस कांग्रेस के मौजूदा सदस्य तंज़ कस रहे हैं. ममदानी पर जिस तरह से खुलेआम नस्ली हमले हो रहे हैं, उसे कई लोग अमेरिकी राजनीति में ऐसे हमले सामान्य होने की तरह भी देख रहे हैं.
रिपब्लिकन सांसद एंडी ओगल्स ने तो जस्टिस डिपार्टमेंट को पत्र लिखकर ज़ोहरान ममदानी की नागरिकता रद्द कर वापस भेजने की मांग की है. ज़ोहरान का जन्म युगांडा में हुआ था और 2018 में अमेरिका के नागरिक बने थे.
अमेरिकी फेडरल क़ानून के मुताबिक़ अमेरिका में किसी को नागरिकता से वंचित करना एकजटिल प्रक्रिया है. यह तब संभव हो पाता है, जब नागरिकता हासिल करने के दौरान वह व्यक्ति किसी धोखाधड़ी में शामिल रहा हो.
एंडी ओगल्स ज़ोहरान को 'छोटा मुहम्मद' कहकर संबोधित करते हैं.
एंडी ओगल्स ने पत्र के साथ एक्स पोस्ट में लिखा है, ''जोहरान 'लिटिल मुहम्मद' ममदानी यहूदी विरोधी, समाजवादी और कम्युनिस्ट हैं. वह बेहतरीन सिटी न्यूयॉर्क को बर्बाद कर देंगे. उन्हें वापस भेज देना चाहिए. इसीलिए मैं नागरिकता से वंचित करने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर रहा हूँ.''
ज़ोहरान ममदानी अगर चुनाव जीतते हैं तो न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर होंगे. ममदानी धार्मिक पहचान से जुड़े हमलों का खुलकर जवाब देते हैं. इन्हें कैंपेन के दौरान हिंसक हमले की भी धमकियां मिलती रही हैं. कई बार तो ममदानी ने अपने कैंपेन में उन धमकियों की रिकॉर्डिंग भी सुनाई थी.
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ज़ोहरान ममदानी से एमएसएनबीसी ने पूछा कि आपको वापस भेजने की मांग हो रही है. आप पर इस्लामोफोबिक हमले हो रहे हैं. इन हमलों को आपके परिवार में कैसे देखा जाता है? इसके जवाब में ममदानी ने कहा, ''यह बहुत ही मुश्किल है. ऐसा आए दिन हो रहा है. मेरे नाम और आस्था के आधार पर नियमित रूप से हमले हो रहे हैं. इससे जूझना बहुत मुश्किल है. मेरी जीत यह बताने का मौक़ा है कि एक मुसलमान होना किसी दूसरे धर्म के अनुयायी होने जैसा ही है.''
स्टीफन मिलर ट्रंप प्रशासन में होमलैंड सिक्यॉरिटीज के सलाहकार हैं और ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी के शिल्पकार भी माने जाते हैं.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, ''यह स्पष्ट चेतावनी है कि अगर हम अब भी प्रवासियों को रोकने में नाकाम रहें तो यही होगा.''
एंडी ओगल्स ने तो ममदानी पर आतंकवादियों को समर्थन देने का भी आरोप लगाया है.
साउथ कैरलाइना से रिपब्लिकन रीप्रेजेंटेटिव नैंसी मैक ने ईद के मौक़े पर ज़ोहरान ममदानी के कुर्ते पायजामे वाली तस्वीर शेयर करते हुए 25 जून को लिखा था, ''9/11 के बाद हमने कहा था- हम कभी नहीं भूलेंगे. मुझे लगता है कि हम भूल गए. यह बहुत ही दुखद है.''
9/11 का हमला जब हुआ था तो ज़ोहरान ममदानी नौ साल के थे और मैनहटन में रह रहे थे. कंजर्वेटिव यूथ के लीडिंग ग्रुप 'टर्निंग पॉइंट यूएसए' के संस्थापक चार्ली क्रिक ने भी ज़ोहरान ममदानी को 9/11 के हमले से सीधा जोड़ा है.
एक्स पर चार्ली क्रिकने 25 जून को लिखा था, ''24 साल पहले मुसलमानों के एक समूह ने 2,753 लोगों की जान ले ली थी. अब एक मुस्लिम समाजवादी न्यूयॉर्क सिटी को चलाने की ओर बढ़ रहा है.''
जेसिका तारलोव फॉक्स न्यूज़ चैनल के कंजर्वेटिव पॉलिटिकल टॉक शो 'द फाइव' की को-होस्ट हैं. चार्ली क्रिक की पोस्ट पर जेसिका ने आपत्ति जताते हुए लिखा, ''चार्ली ये बहुत घटिया और इस्लामोफोबिक है. इस पोस्ट को हटा लेना चाहिए.''
जेसिका की इस प्रतिक्रिया के जवाब में चार्लीने लिखा है, ''अच्छा होगा कि इस पर चलताऊ टिप्पणी करने की बजाए मुझसे बहस कीजिए. यह 2015 नहीं है और ये सब अब काम नहीं करेगा. जेसिका वह कौन सा मुस्लिम देश है, जहाँ आप रहना पसंद करेंगी? पश्चिम का वो कौन सा शहर या देश है, जहाँ मुस्लिम आबादी बढ़ने से उसकी स्थिति अच्छी हो गई है?''
चार्ली ने लिखा है, ''24 साल पहले अमेरिका के सबसे बड़े शहर पर अतिवादी इस्लाम ने हमला किया था और अब उसी तरह की घातक ताक़त सिटी हॉल पर क़ब्ज़े के लिए तैयार बैठी है. एक उदारवादी के तौर पर भी इसे कहने का आप साहस रखें. मुझे पता है कि आप भी इस बात को लेकर चिंतित हैं लेकिन कहने से डर रही हैं.''
ज़ोहरान ममदानी पर हो रहे इस्लामोफोबिक हमले से जोड़कर लोग पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर होने वाले हमले को भी याद कर रहे हैं.
2011 से 2015 के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने बराक ओबामा के मज़हब और जन्मस्थान को लेकर कई दावे किए थे. ट्रंप ने कहा था कि ओबामा मुस्लिम हैं और उनका जन्म कीनिया में हुआ था.
हालांकि सच यह है कि ओबामा ईसाई हैं और उनका जन्म हवाई में हुआ था. ज़ोहरान ममदानी मुस्लिम हैं और इनके माता-पिता का संबंध भारत से है.
ज़ोहरान की माँ फ़िल्मकार मीरा नायर हैं. मीरा नायर ने 'मिसिसिपी मसाला', 'मॉनसून वेडिंग', 'सलाम बॉम्बे' और 9/11 की पृष्ठभूमि में 'द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट' जैसी अहम फ़िल्में बनाई हैं. मीरा नायर भी डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रोग्रेसिव विंग से जुड़ी हैं.
ज़ोहरान के पिता कोलंबिया यूनिवर्सिटी के चर्चित प्रोफ़ेसर रहे हैं. महमूद ममदानी केपटाउन विश्वविद्यालय में भी प्रोफ़ेसर थे. केपटाउन में ही 1848 में शुरू हुए दक्षिण अफ़्रीका के सबसे पुराने स्कूल सेंट जॉर्ज ग्रामर में उन्होंने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई की थी.
ज़ोहरान ममदानी अभी न्यूयॉर्क एसेंबली के सदस्य हैं लेकिन न्यूयॉर्क सिटी के मेयर की रेस में आने के बाद वह ज़्यादा निशाने पर आए हैं.
अरब अमेरिकन इंस्टिट्यूट के सह-संस्थापक जेम्स ज़ोग्बी ने ज़ोहरान ममदानी के ख़िलाफ़ इस्लामोफ़ोबिक हमले को लेकर एक्सिओस न्यूज़ से कहा, ''इस्लामोफ़ोबिया बहुत ही बेशर्म हो चुका है क्योंकि ऐसा करने वालों को कोई नुक़सान नहीं होता है. लेकिन मुझे लगता नहीं है कि इस बार इस्लामोफ़िबिया काम करेगा.''
सीएआईआर एक्शन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन्स का एक राजनीति समूह है. उसके निदेशक बासिम एल्कार्रा ने एक्सिओस न्यूज़ से कहा, ''जब भी कोई मुसलमान सरकारी ऑफिस के लिए चुनावी मैदान में आता है तो हम देखते हैं, वही इस्लामोफ़ोबिया फिर से सतह पर आ जाता है. इसे हवा देने वाले लोग भी वही लोग होते हैं. अब तो यह बहुत ही सामान्य हो गया है.''
अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी नज़र रखने वालीं वरिष्ठ पत्रकार निरूपमा सुब्रमण्यम कहती हैं कि ट्रंप के समर्थक यही चाहते हैं कि प्रवासियों को बाहर निकाल दिया जाए.
उन्होंने कहा, ''इमिग्रेशन को ट्रंप के समर्थकों ने बुराई बना दिया है. ट्रंप के समर्थक ये भूल जाते हैं कि अमेरिका प्रवासियों से ही बना है. लेकिन गोरे प्रवासी ख़ुद को यहाँ का मूल नागरिक समझने लगे हैं. ट्रंप तो यहाँ तक कह रहे हैं कि मेयर बनने पर जोहरान को फंड नहीं देंगे. दूसरी तरफ़ ट्रंप के समर्थक ज़ोहरान को वापस भेजने की भी मांग कर रहे हैं. हालांकि ये सब अमेरिका में क़ानूनी रूप से करना आसान नहीं है.''
निरूपमा सुब्रमण्यम कहती हैं, ''ज़ोहरान ममदानी कोई पंजाब से गए अवैध प्रवासी तो हैं नहीं. लेकिन यह स्पष्ट है कि अमेरिका का पॉलिटिकल डिस्कोर्स प्रवासी विरोधी हो गया है. ऐसा हम आगे भी देखेंगे. इसे रोकना आगे भी मुश्किल होगा.''
''इस्लामोफोबिया 9/11 के बाद ज़्यादा बढ़ा था. प्रवासी विरोधी हवा अक्सर ग़ैर-ईसाई विरोधी होती है और ट्रंप के आने के बाद और मज़बूती मिली है. जब सरकार इन मामलों में छूट देती है तो नफ़रत सतह पर आ जाती है. इसे भारत में भी देखा जा सकता है. पूरी दुनिया में राइट विंग ट्रेंड में है. लेकिन इन सबके बावजूद न्यूयॉर्क की प्राइमरी में ज़ोहरान को जीत मिली है तो गोरों ने भी वोट किया है, यहूदियों ने भी वोट किया है. न्यूयॉर्क में इसराइल के बाद सबसे ज़्यादा यहूदी रहते हैं.''
निरूपमा सुब्रमण्यम कहती हैं, ''ज़ोहरान ममदानी ने डेमोक्रेटिक पार्टी में एक बहस छेड़ दी है. डेमोक्रेटिक पार्टी को समझना होगा कि ज़ोहरान ममदानी के आइडिया राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य हो सकते हैं. हम राष्ट्रपति चुनाव में देख रहे थे कि डेमोक्रेटिक पार्टी राइट विंग को तरीक़े से जवाब नहीं दे रही थी. जैसे भारत में राहुल गांधी और कांग्रेस बीजेपी का सामना करने के लिए सॉफ्ट हिन्दुत्व को अपना लेते हैं.''
''उसी तरह डेमोक्रेटिक पार्टी इमिग्रेशन और इसराइल के मामले में ट्रंप की नीति का खुलकर विरोध नहीं कर रही थी. ज़ोहरान ने दिखाया है कि आप अपना संदेश मज़बूती से रखेंगे तो लोग स्वीकार करेंगे. ज़ोहरान की माँ हिन्दू हैं लेकिन भारत का डायस्पोरा उनके साथ मज़बूती से खड़ा नहीं दिख रहा है. अगर ज़ोहरान ख़ुद को हिन्दू पहचान के साथ रखते तो मोदी जी बधाई भी देते. भारत की राजनीति का असर डायस्पोरा पर भी सीधा पड़ा है.''
अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर डॉक्टर मुक़्तदर ख़ान ऐसा नहीं मानते हैं कि ज़ोहरान ममदानी की जीत अमेरिका की राष्ट्रीय राजनीति पर कोई असर डालेगी.
प्रोफ़ेसर ख़ान कहते हैं, ''न्यूयॉर्क अमेरिका का ऐसा शहर है, जहाँ की 45 प्रतिशत आबादी का जन्म अमेरिका से बाहर हुआ है. ज़ोहरान ममदानी की सफलता में इसका सबसे बड़ा योगदान है. डेमोक्रेटिक पार्टी अगर ममदानी की नीति को कॉपी पेस्ट भी करना चाहे तो ऐसे बहुत कम शहर हैं, जहाँ उसे सफलता मिलेगी. ममदानी की जीत से जो उत्साहित हैं, उन्हें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि न्यूयॉर्क में इतनी बड़ी तादाद में बाहर से आए लोग रहते हैं.''
प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं, ''ममदानी ने मस्जिदों के ख़ूब चक्कर काटे हैं. लिटिल बांग्लादेश में ख़ूब कैंपेन किया. इंडियन, पाकिस्तानी और अफ़्रीकन अमेरिकन का भी ख़ूब समर्थन मिला है. ममदानी की पहचान भी ऐसी है कि सभी समुदायों से जुड़ जाती है. उनकी पैदाइश युगांडा की है. माँ-बाप भारत से हैं. पिता मुसलमान हैं और माँ हिन्दू हैं. ऐसे में ममदानी के साथ कई समुदाय जुड़ जाते हैं.''
प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं, ''ममदानी की जीत से डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर का भी इस्लामोफ़ोबिक सतह पर आ गया है. डेमोक्रेटिक पार्टी के किसी बड़े नेता ने उन्हें इंडोर्स नहीं किया है. बिल क्लिंटन ने तो एंड्र्यू कुमो को मेयर के लिए इंडोर्स किया था. बर्नी सैंडर्स से ममदानी की विचारधारा मिलती है, इसलिए उन्होंने इंडोर्स किया है. ममदानी को हराने में अब डेमोक्रेटिक पार्टी ही लगी हुई है. रिपब्लिकन पार्टी को लगता है कि ममदानी की जीत से उसे फ़ायदा होगा. रिपब्लिकन पार्टी फिर कह पाएगी कि देखिए डेमोक्रेटिक पार्टी प्रवासियों के हाथ में कमान देने में लगी है. ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए ममदानी की जीत को पचाना आसान नहीं है.''
इल्हान उमर और राशिदा तलाइब दो मुस्लिम महिलाएं 2018 में पहली बार यूएस कांग्रेस के लिए चुनी गई थीं. इन्हें भी अमेरिका में कई बार इस्लामोफोबिक हमलों का सामना करना पड़ा है.
एक अनुमान के मुताबिक़ अमेरिका में मुसलमान 30 से 40 लाख हैं. ज़ोहरान ममदानी फ़लस्तीनी इलाक़े में इसराइली क़ब्ज़े की खुलकर आलोचना करते रहे हैं. जब ममदानी ने प्राइमरी जीती तो इसराइल के मीडिया में कहा जा रहा था कि इसराइल विरोधी ज़ोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बन सकते हैं.
ज़ोहरान ममदानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी खुलकर आलोचना करते रहे हैं. 21 जून 2023 को नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौक़े पर न्यूयॉर्क गए थे और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग दिवस की अगुआई की थी.
मोदी के इस दौरे को लेकर ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी असेंबली के सदस्य के तौर पर बयान जारी किया था. यह तीन लोगों का साझा बयान था.
ज़ोहरान ममदानीके अलावा सिटी काउंसिल मेंबर शहाना हनीफ़ और शेखर कृष्णा भी शामिल थे. इस बयान में कहा गया था कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मुसलमानों के ख़िलाफ़ जानलेवा दंगों को होने दिया था. इन तीनों ने न्यूयॉर्क के लोगों से मोदी के दौरे की निंदा करने की अपील की थी.
ज़ोहरान ममदानीने एनआरसी की भी आलोचना की थी और कहा था कि बीजेपी हिन्दुत्व की विचारधारा से भारत की विविधता और धर्मनिरपेक्षता को ख़त्म करना चाहती है. ममदानी ने तब अपने ट्वीट में कहा था, ''भारत की विरासत यह रही है कि मेरी हिन्दू नानी उर्दू में कविता पढ़ती थीं और मुस्लिम दादा गुजराती में भजन गाते थे.''
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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