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'मैंने 2800 कुत्तों को मरवाया है...' ऐसा बोलने वाले नेता को जानिए

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Karnataka Assembly एसएल भोजेगौड़ा ने मैसुरु विश्वविद्यालय से बीएससी और बेंगलुरु विश्वविद्यालय से एलएलबी किया है

कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एसएल भोजेगौड़ा ने दावा किया है कि उन्होंने क़रीब '2800 कुत्तों को मरवाया' है.

भोजेगौड़ा ने यह दावा बुधवार को विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान किया.

भोजेगौड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का समर्थन किया और कहा कि आवारा कुत्तों ने जिन बच्चों को काटा है, सिर्फ़ वही उसका दर्द समझ सकते हैं.

उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का कई पशु प्रेमियों और नेताओं ने विरोध किया है.

इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की नई बेंच सुनवाई करेगी.

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को कहा था कि आवारा कुत्तों को परेशानी मानकर 'हटाया जाना' शासन का तरीक़ा नहीं, यह क्रूरता है.

सिद्धारमैया ने कहा, "मानव समाज ऐसे समाधान निकालता है जो जनता और जानवरों, दोनों की रक्षा करे. नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल कारगर होती है. डर पर आधारित फ़ैसले केवल पीड़ा देते हैं, सुरक्षा नहीं."

एमएलसी भोजेगौड़ा ने विधान परिषद में क्या कहा? image ANI भोजेगौड़ा ने कर्नाटक सरकार से मांग की है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फै़सले को लागू करे

जनता दल (सेक्युलर) के एमएलसी एसएल भोजेगौड़ा ने विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान कहा, "जब वह चिक्कमगलुरु नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर थे, तो उन्होंने क़रीब 2800 कुत्तों को मरवाया था."

भोजेगौड़ा ने कहा, "सिर्फ़ हम जानते हैं कि बच्चे किस पीड़ा से गुज़रते हैं. जब सुप्रीम कोर्ट के जज इस स्थिति का अनुभव करेंगे, तब उन्हें इसके पीछे की समस्या समझ में आएगी."

भोजेगौड़ा ने दावा किया, "नगर परिषद अध्यक्ष के पद पर रहते हुए, मैंने अपनी देखरेख में 2,800 कुत्तों को मरवाया था. अगर यह अपराध है, तो मैं इसके लिए जेल जाने को तैयार हूँ."

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक़, भोजेगौड़ा ने कर्नाटक सरकार से मांग की है कि वह सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के ख़िलाफ़ याचिका दायर करे, जिसमें केवल आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी के लिए कहा गया है.

एनडीटीवी के मुताबिक़, भोजेगौड़ा ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने वाला कर्नाटक पहला राज्य बने.

कौन हैं भोजेगौड़ा? image Karnataka Assembly भोजेगौड़ा को जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी का क़रीबी माना जाता है

जेडीएस नेता एसएल भोजेगौड़ा वर्तमान में कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य हैं. वह चिक्कमगलुरु नगर परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

भोजेगौड़ा की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल के मुताबिक़, भोजेगौड़ा बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया के पूर्व सदस्य और वाइस-चेयरमैन भी रहे हैं.

बीबीसी हिन्दी के सहयोगी पत्रकार इमरान क़ुरैशी बताते हैं कि भोजेगौड़ा जेडीएस नेता और केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेहद क़रीबी हैं. वह कॉफ़ी उगाने वाले किसान परिवार से आते हैं.

भोजेगौड़ा से पहले उनके बड़े भाई एसएल धर्मेगौड़ा एमएलसी थे और वह भी कुमारस्वामी के काफ़ी क़रीबी थे.

साल 2020 में रेलवे ट्रैक पर धर्मेगौड़ा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.

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image BBC आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश image Sanchit Khanna/Hindustan Times via Getty Images आवारा कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की एक नई बेंच गठित की गई है.

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर डॉग शेल्टर में रखने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने डॉग बाइट और रेबीज़ की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई थी और अधिकारियों को इस काम को आठ हफ़्ते में पूरा करने की समयसीमा दी थी.

लाइव लॉ के मुताबिक़, सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा, "शिशु और छोटे बच्चे किसी भी क़ीमत पर रेबीज़ का शिकार नहीं होने चाहिए. कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए जिससे लोगों में यह भरोसा पैदा हो कि वे बिना डर के स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं और उन पर आवारा कुत्ते हमला नहीं करेंगे. इसमें कोई भावनात्मक पक्ष नहीं होना चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश नोएडा, गुरुग्राम और ग़ाज़ियाबाद पर भी लागू होगा.

कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस प्रक्रिया में बाधा डालेगा तो उस पर क़ानूनी कार्रवाई होगी. अधिकारियों को कुत्तों को पकड़ने के लिए विशेष बल बनाने की अनुमति भी दी गई है.

निर्देशों के अनुसार, हर शेल्टर में कम से कम 5,000 कुत्तों को रखने की क्षमता होनी चाहिए और वहां नसबंदी के साथ ही टीकाकरण की सुविधा हो और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएं.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन कुत्तों की नसबंदी हो चुकी हो, उन्हें भी सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा, जबकि मौजूदा नियम उन्हें पकड़ने की जगह पर वापस छोड़ने की अनुमति देते हैं.

इसके अलावा, एक हफ्ते के भीतर डॉग बाइट और रेबीज़ के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन शुरू करने का आदेश भी दिया गया है.

हालाँकि अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की नई बेंच गठित की है, जो इस पर सुनवाई करेगी.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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