बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला चरण ख़त्म होने के बाद चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी कर दिया है.
लेकिन बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि उनका नाम इस ड्राफ्ट सूची में नहीं है.
उन्होंने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए और बूथ वाइज़ सूची न दिए जाने पर चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल भी उठाए हैं.
इसके बाद पटना ज़िला प्रशासन ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम दर्ज है.
बिहार में हुए एसआईआर के तहत एक अगस्त को चुनाव आयोग ने पहला ड्राफ्ट लिस्ट जारी किया था.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का कहना था, "एक अगस्त से लेकर एक सितंबर के बीच मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल या मतदाता इस ड्राफ्ट लिस्ट में छूट गए योग्य मतदाता का नाम जोड़ने या अयोग्य नाम हटाने के लिए या फिर एन्ट्री में किसी तरह के सुधार के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं."
बिहार में इस साल के आख़िर में विधानसभा चुनाव होने हैं और विपक्ष चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण की मंशा को लेकर सवाल उठा रहा है.
विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि इतने कम वक्त में इतने बड़े पैमाने पर ये काम संभव नहीं है.
तेजस्वी यादव ने लगाए कई आरोपशनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने दावा किया कि जो ड्राफ्ट लिस्ट एक अगस्त को जारी की गई है उसमें उनका नाम हटा दिया गया है.
उन्होंने मीडिया के सामने अपना ईपीआईसी यानी एपिक नंबर चुनाव आयोग के मोबाइल ऐप में डाला और कहा कि ऐप 'नो रिकॉर्ड फाउंड' दिखा रहा है.
उन्होंने कहा, "इसका क्या मतलब है? जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं वे लोग भी चेक कर रहे होंगे तो उन्हें बुरा लग रहा होगा. दस्तावेज़ जमा करते वक्त पावती रसीद नहीं मिली, इसलिए हमने बीएलओ के साथ तस्वीर खिंचवा ली थी."
तेजस्वी यादव ने कहा, "हम चुनाव कैसे लड़ेंगे, चुनाव लड़ने के लिए यहां का वोटर होना ज़रूरी है. हम कैसे चुनाव लड़ेंगे?"
तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए.
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर एक और आरोप लगाते हुए कहा कि मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण में औसतन एक विधानसभा से 25 हज़ार से लेकर 30 हज़ार तक वोट काटे गए हैं.
उन्होंने एक्स पर एक लंबी पोस्ट करते हुए मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न, एसआईआर- 2025) की प्रक्रिया में जानबूझकर धांधली के आरोप लगाए हैं.
उन्होंने सवाल किया, "65 लाख मतदाताओं के वोट काटने के बाद भी नई ड्राफ्ट सूची में अस्पष्टता है. इन 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित करने का आधार क्या है?"
एसआईआर ड्राफ़्ट रोल में बूथ वाइज़ सूची न दिए जाने पर तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने लिखा, "अब 25-30 हज़ार की लिस्ट में आप कैसे ढूँढेंगे कि कौन मृत है और कौन स्थानांतरित? अगर चुनाव आयोग की मंशा सच्ची और अच्छी है तो इस सूची को बूथ वाइज़ देना चाहिए ताकि राजनीतिक दल इन लोगों को ढूँढ सके."
"चुनाव आयोग ने चालाकी और साजिश करते हुए इसमें ना बूथ का नाम दिया, ना वोटर का पता दिया और सबसे महत्वपूर्ण इसमें ना ही मतदाता का ईपीआईसी नंबर दिया ताकि उससे हम इनका तुलनात्मक अध्ययन और विश्लेषण कर सकें."
एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, "यदि मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और उसके पीछे का कारण छुपाया जा रहा है, तो यह गंभीर लोकतांत्रिक संकट है और जनता के मताधिकार पर सीधा हमला है."
तेजस्वी के दावों पर प्रशासन का जवाब
तेजस्वी यादव के दावे की जांच के बाद पटना ज़िला प्रशासन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा कि उन्हें न्यूज़ के ज़रिए ये जानकारी मिली कि तेजस्वी प्रसाद यादव का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं है.
पोस्ट में लिखा है, "ज़िला प्रशासन, पटना द्वारा इसकी जांच की गई. इसमें यह स्पष्ट हुआ है कि तेजस्वी यादव का नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में दर्ज है."
तेजस्वी यादव, बिहार राज्य चुनाव आयोग और चुनाव आयोग को टैग करते हुए पटना ज़िला प्रशासन ने लिखा, "पहले उनका नाम बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, मतदान केंद्र संख्या 171, क्रम संख्या 481 पर दर्ज था, लेकिन इस नई सूची में उनका नाम बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का पुस्तकालय भवन, मतदान केंद्र संख्या 204, क्रम संख्या 416 में है."
ज़िला प्रशासन ने मतदाता सूची के पन्ने की तस्वीरें भी शेयर की हैं.
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के एक्स हैंडल से ज़िला प्रशासन के इस पोस्ट को रिपोस्ट किया है.

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जो ड्राफ़्ट इलेक्टोरल रोल जारी किया गया है, उसमें पटना ज़िले के 181- दीघा विधानसभा सीट के एक मतदान केंद्र पर वोटर के तौर पर तेजस्वी यादव का नाम मौजूद है.
पटना के डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि तेजस्वी यादव का नाम लिस्ट में है और जो ईपीआईसी नंबर (जो मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण से पहले जारी किए गए थे) सरकार के पास है वही तेजस्वी यादव के पास है, वो इसकी जांच कर सकते हैं.
उन्होंने तेजस्वी यादव के दावे को ग़लत बताते हुए कहा, "मतदाता संयम रखें. लिस्ट सार्वजनिक तौर पर मौजूद है और वे अपने नाम की जांच कर सकते हैं."
राहुल गांधी ने भी उठाए चुनाव आयोग की भूमिका पर सवालबिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्षी पार्टियां लगातार हमलावर हैं. इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है.
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी लगातार चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं.
दिल्ली में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा, "मैं हाल ही में चुनाव प्रणाली को लेकर बात कर रहा हूं. मुझे 2014 से ही शक था कि इसमें कुछ गड़बड़ है. गुजरात विधानसभा चुनाव में भी मुझे ऐसा ही शक हुआ था."
राहुल का कहना है, "जब भी हमने इस बारे में बात की, लोगों ने कहा- सबूत कहां है? फिर महाराष्ट्र में कुछ हुआ. वहां लोकसभा में हम चुनाव जीते और सिर्फ़ 4 महीने बाद हम विधानसभा में बुरी तरह हार गए. तीन मज़बूत पार्टियां अचानक ख़त्म हो गईं."
"इसके बाद हमने चुनाव में गड़बड़ी को गंभीरता से खोजना शुरू किया. महाराष्ट्र में हमें सबूत मिले. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच एक करोड़ नए वोटर जुड़ गए और ज़्यादातर वोट बीजेपी को गए."
इससे पहले शुक्रवार को भी राहुल गांधी ने दावा किया था कि उनके पास चुनाव में गड़बड़ी से संबंधित सबूत हैं.
उन्होंने कहा था, "जब हम यह आंकड़े जारी करेंगे, तो चुनाव प्रणाली में जो झटका लगेगा, वह आप देखेंगे. यह बिल्कुल परमाणु बम जैसा असर करेगा, क्योंकि सच्चाई यह है कि भारत की चुनाव प्रणाली पहले से ही ख़त्म हो चुकी है."
हालांकि, राहुल गांधी के इन दावों को चुनाव आयोग ने 'भ्रामक, तथ्यहीन और धमकी' भरा बताया था. आयोग ने एक फैक्ट चेक जारी कर सिलसिलेवार तरीके से अपनी स्थिति स्पष्ट की.
चुनाव आयोग ने एक्स पर लिखा था, "यह बहुत अजीब है कि वह बेतुके आरोप लगा रहे हैं और अब चुनाव आयोग और उसके कर्मचारियों को धमकाना भी शुरू कर दिया है. यह निंदनीय है."
"चुनाव आयोग ऐसे सभी गैर-ज़िम्मेदाराना बयानों को नज़रअंदाज़ करता है और अपने सभी कर्मचारियों से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करते रहने का अनुरोध करता है."
बीजेपी ने की निंदा
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तेजस्वी यादव दावा करने से पहले अपना होमवर्क तो पूरा कर लें.
उन्होंने कहा, "नेक सलाह दूंगा. आप विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, पूर्व मुख्यमंत्री हैं, कृपा कर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के रास्ते पर ना चलिए. आप तो सही बोलिए, एक बार देख तो लेते, होमवर्क तो कर लेते कि आपका नाम है या नहीं आज चुनाव आयोग को ये दिखाना पड़ेगा कि आपका नाम दीघा विधानसभा क्षेत्र के लिस्ट में है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है."
बिहार से आने वाले बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन ने तेजस्वी के बयान को राहुल गांधी के बयान से जोड़ा.
उन्होंने कहा, "वह पहले भी मतदाता गहन पुनरीक्षण को लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी कल जो दावा कर रहे थे कि उनके पास चुनाव आयोग के ख़िलाफ़ एटम बम है, क्या यही उनका एटम ब़म था जो तेजस्वी यादव ने कहा. उन्हें ऐसा बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए."
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने कहा, "ये लोग एक तरफ संविधान की किताब लेकर चलते हैं और दूसरी तरफ संवैधानिक संस्था (चुनाव आयोग) को अपमानित करेंगे. इन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए."
उन्होंने कहा, "संवैधानिक संस्था के ख़िलाफ़ झूठ बोलकर जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं. ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. इतनी स्वतंत्रता कतई उचित नहीं है जो अपने संविधान और संवैधानिक संस्था पर हमला करता हो. भारत के अंदर ऐसी मानसिकता पर रोक लगनी चाहिए."
बिहार से आने वाले केंद्रीय मंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू के नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा, "तेजस्वी यादव इस तरह की राजनीति करते रहे हैं, उन्हें तथ्यों से कोई लेना देना नहीं. वो बिना तथ्य की राजनीति करते रहते हैं. अगर चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण दे दिया है तो किसी ओर को सफ़ाई देने की क्या ज़रूरत है."
बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि तेजस्वी यादव का दावा झूठा है, उनका नाम मतदाता सूची में है.
उन्होंने लिखा, "कृपया किसी भी ग़लत जानकारी को बढ़ावा देने से पहले तथ्यों की पुष्टि करें. जानबूझकर मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिशों को बेनकाब करना ज़रूरी है."
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