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एआई इस्तेमाल करते समय ख़ुद से ये चार सवाल ज़रूर पूछिए

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BBC कनाडाई कंप्यूटर साइंटिस्ट साशा लुचियोनी 'गुड मशीन लर्निंग को लोकतंत्रात्मक' बनाना चाहती हैं

ये आपका मैथ्स का होमवर्क कर सकता है. ये आपकी नौकरी के इंटरव्यू के सवालों के जवाब दे सकता है, यहां तक कि ये आपका थैरेपिस्ट भी हो सकता है. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब सिर्फ़ एक बटन दबाने भर से सबकुछ कर पाने में सक्षम नज़र आता है.

यह तकनीक रिकॉर्ड गति से आगे बढ़ रही है क्योंकि अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते हुए लगातार नए और उन्नत फ़ीचर इसमें जोड़ रहे हैं.

चैटजीपीटी इतिहास की अब तक की सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाली टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन में से एक है.

30 देशों की सरकारों और संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के सदस्यों की ओर से तैयार की गई इंटरनेशनल एआई सेफ़्टी रिपोर्ट बताती है कि लॉन्च होने के सिर्फ़ पांच दिनों के अंदर चैटजीपीटी के 10 लाख से अधिक यूज़र्स हो गए थे. दो महीनों में ये आंकड़ा 10 करोड़ पहुंच गया था.

साल 2023 में अपना एआई असिस्टेंट को-पायलट लॉन्च करने वाले माइक्रोसॉफ़्ट ने कहा है कि ऐसा अनुमान है कि साल 2025 की दूसरी तिमाही में एआई बिज़नेस से मिलने वाला राजस्व 10 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा. साथ ही उसका कहना है कि उसने दुनिया के 60 क्षेत्रों में अपने डाटा केंद्रों का विस्तार किया है.

गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फ़ाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई के मुताबिक़, गूगल के सर्च रिज़ल्ट में सबसे ऊपर आने वाली एआई-जेनरेटेड समरी जिसे एआई ओवरव्यूज़ कहा जाता है उसे हर महीने 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में 1.5 अरब बार इस्तेमाल किया जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक अब हम सबके बीच रहने वाली है, इसलिए हमने उनसे पूछा कि इसका अधिक से अधिक फ़ायदा कैसे उठाया जा सकता है.

ओपन सोर्स एआई मॉडल्स के साथ काम करने वाले और गुड मशीन लर्निंग को लोकतंत्रात्मक बनाने की चाहत रखने वाले एक ग्लोबल स्टार्ट-अप 'हगिंग फ़ेस' में कनाडाई कंप्यूटर साइंटिस्ट साशा लुचियोनी जलवायु प्रमुख (क्लाइमेट लीड) हैं.

उन्होंने बीबीसी 100 वीमेन से कहा, "मैं मानवता की भलाई और बुराई दोनों मामलों में एआई को एक विस्तारक के रूप में देखती हूं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम नियंत्रित रहें."

यहां पर ऐसे चार सवाल उन्होंने सुझाए हैं जो किसी भी शख़्स को एआई इस्तेमाल करने से पहले ख़ुद से पूछने चाहिए.

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1. क्या यह आपकी ज़रूरत के लिए सबसे बेस्ट एआई टूल है? image Getty Images कई एआई ऐप सिर्फ़ तस्वीर देखकर उसका जवाब दे सकते हैं

लुचियोनी कहती हैं कि एआई सिस्टम बहुत सारे अलग-अलग काम करने में सक्षम हैं.

वह कहती हैं, "कभी-कभी हम सबसे लोकप्रिय एआई टूल का रुख़ करते हैं क्योंकि हम उन्हें जानते हैं और वे बहुत सी चीज़ें कर सकते हैं, लेकिन वहीं कुछ ऐसे भी टूल हैं जो किसी ख़ास काम के लिए बने हैं, जैसे कि सिर्फ़ वैज्ञानिक सवालों का जवाब देने के लिए. जो वास्तव में बहुत बेहतर काम कर सकते हैं."

हर समय कई ऐप लॉन्च हो रहे हैं, जो छोटी-बड़ी समेत कई तरह की ज़रूरतों के लिए बनाए गए हैं.

कोई ऐप यूज़र को उसकी मैथ्स की समस्या का हल बस तस्वीर देखकर बता सकता है. वहीं कोई दूसरा ख़ास ऐप आपके खाने को देखकर उसकी रेसिपी को बेहतर बनाने के लिए आपकी मदद कर सकता है. वहीं एक और ऐप पवित्र ग्रंथों से जानकारियां लेकर आपके लिए व्यक्तिगत प्रार्थनाएं तैयार कर सकता है.

स्टैनफ़ॉर्ड यूनिवर्सिटी की 2025 एआई इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक़, बीते साल अमेरिका के संस्थानों ने 40 उल्लेखनीय एआई मॉडल बनाए, जबकि इनकी तुलना में चीन ने 15 और यूरोप ने तीन बनाए.

इसलिए यह तय करिए कि किसी ख़ास ऐप पर किस बारे में मदद की पेशकश की जा रही है और अपनी ज़रूरतों के हिसाब से उसे चुनिए.

2. क्या एआई के जवाबों पर भरोसा कर सकते हैं?

लुचियोनी कहती हैं कि एआई आपको जवाब दे सकता, लेकिन यह बिलकुल ज़रूरी नहीं है कि वह सच या एकदम सटीक हो.

वह कहती हैं, "एआई मॉडल ऐसी बातें भी बना सकते हैं जो अस्तित्व में ही न हों, और ऐसा इसलिए क्योंकि वे उन्हें विश्वसनीय लगती हैं. काम पर या स्कूल में इसका इस्तेमाल करते समय ये बहुत सी समस्याएं खड़ी कर सकते हैं."

इससे बचने के लिए वह एआई सिस्टम के आउटपुट की हमेशा जांच करने की सलाह देती हैं.

वह कहती हैं, "(उसके जवाब को) विस्तार से कई बार पढ़ें और गंभीरता से सोचें कि वह क्या कह और समझ रहा है. एआई आत्मविश्वास से भरा नज़र आ सकता है लेकिन फिर भी ग़लत हो सकता है."

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3. कौन-सी जानकारी शेयर की जा रही है? image Getty Images एआई टूल पर अपनी निजी जानकारी साझा करने से पहले उस पर विचार करना बेहद ज़रूरी है

लुचियोनी कहती हैं कि यूज़र को एआई मॉडल में डाली जा रही जानकारी के साथ-साथ उससे निकलने वाली जानकारी के बारे में भी सोचना चाहिए.

एआई सिस्टम बड़े पैमाने पर डेटा इकट्ठा करने और मॉडल को उसी डेटा से प्रशिक्षित करने के बाद काम करता है. इसका मतलब है कि आपने जो भी जानकारी डाली है, चाहे वह कोई फ़ोटो हो या टेक्स्ट, सिस्टम उसको सुरक्षित रख सकता है. साथ ही उसका विश्लेषण करते हुए, भविष्य में दिए जाने वाले किसी दूसरे जवाब पर उसका असर भी हो सकता है.

हर प्लेटफ़ॉर्म की अपनी ख़ुद की गोपनीय नीति होगी तो इस्तेमाल करने से पहले उनकी शर्तें ज़रूर पढ़ लें.

लुचियोनी कहती हैं, "कोई व्यक्तिगत या फिर संवेदनशील डेटा हो तो उसे एआई मॉडल में न डालें क्योंकि यह इंटरनेट पर सार्वजनिक हो सकता है."

वह मेटा एआई ऐप की ओर इशारा करती हैं, जहां कुछ यूज़र्स इस बात से अनजान थे कि उनके प्रॉम्प्ट्स सार्वजनिक 'डिस्कवर' फ़ीड पर पब्लिश किए जा रहे हैं.

बीबीसी को लोगों के ऐसे उदाहरण मिले हैं जिनमें वे स्कूल या यूनिवर्सिटी की तस्वीरें, टेस्ट के सवाल अपलोड कर रहे हैं, सेक्शुअल इमेजेज़ मांग रहे हैं और अपनी जेंडर आइडेंटिटी के लिए सलाह मांग रहे हैं.

साल 2023 में इटली ऐसा पहला पश्चिमी देश बना था जिसने गोपनीयता की चिंताओं और अपने जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के अनुपालन की वजह से चैटजीपीटी के एडवांस्ड चैटबॉट पर रोक लगा दी थी.

चीन के चैटबॉट डीपसीक को लेकर दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने भी ये चिंताएं ज़ाहिर की थीं कि वह यूज़र डेटा को कैसे स्टोर और प्रोसेस करता है.

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4. क्या मुझे वाक़ई एआई की ज़रूरत है? image Getty Images क्या एआई रचनात्मकता, संबंध और समुदाय जैसी चीज़ों पर काबिज़ हो सकता है, ये भी एक बड़ा सवाल है

लुचियोनी कहती हैं कि एआई को एक टूल की तरह इस्तेमाल करिए, क्योंकि ये आपके दिमाग़ की जगह नहीं ले सकता है.

इस बात पर विचार करिए कि क्या यह ऐसा काम है जिसे आप ख़ुद कर सकते हैं, या फिर मैथ्स की कुछ जटिल समस्याओं के लिए कैलकुलेटर जैसे दूसरे टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

वह यह भी सलाह देती हैं कि नैतिक और व्यक्तिगत सवालों के लिए अपने आसपास के लोगों की मदद लेनी चाहिए.

वह कहती हैं, "जैसे कि क्या सही है, क्या ग़लत है, किसी परिस्थिति में क्या नैतिक है और हमें किस तरह के निर्णय नहीं लेने चाहिए, मानवीय मूल्यों के आधार पर एआई इन जैसे मामलों में निर्णय नहीं ले सकता है."

पारंपरिक सर्च इंजनों की तुलना में एआई बहुत सारी ऊर्जा और संसाधनों का भी इस्तेमाल करता है.

एआई जिन कंप्यूटर सर्वरों के डेटा सेंटरों का इस्तेमाल करता है, उन्हें ठंडा रखने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की ज़रूरत होती है, जिससे दुनिया भर में जल आपूर्ति की समस्याएं और भी बदतर हो सकती हैं.

लुचियोनी कहती हैं, "निश्चित रूप से एआई टूल्स मौजूद रहेंगे और ख़ासतौर पर इसलिए भी क्योंकि हम इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मौजूद हैं और बेहद सक्रिय हैं."

"लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपनी ज़िंदगी में हर चीज़ के लिए एआई का इस्तेमाल करना होगा, क्योंकि इससे हम रचनात्मकता, संबंध और समुदाय जैसी उन चीज़ों को खो देंगे जो हमें इंसान बनाती हैं."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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