हाथों की ख़ूबसूरती बढ़ाने वाले नाखूनों को 'डेड सेल' कहा जाता है. यानी ऐसी कोशिकाएं जिनमें जान नहीं होती. मगर ये बेजान नाखून आपकी सेहत के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं.
क्लिनिकल डर्मटोलॉजी रिव्यू की एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि नाखूनों को देखकर शरीर में दिल और किडनी समेत कई अंगों से जुड़ी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है.
क्लिनिकल डर्मटोलॉजी रिव्यू ने कर्नाटक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के 272 मरीज़ों पर इसे लेकर एक स्टडी की.
इस स्टडी में अलग-अलग बीमारियों के मरीजों और उनके नाखून में बदलाव पर नज़र रखी गई.
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इस शोध में जिन मरीजों को शामिल किया गया उनमें से 26 फ़ीसदी मरीज़ों को सांस से जुड़ी समस्याएं थीं. 21 फ़ीसदी को ख़ून, 17 फ़ीसदी को लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जीआईटी) की बीमारी थी. जबकि 12 फ़ीसदी मरीज़ों को दिल और किडनी से जुड़ी समस्या थी.
यानी इस रिसर्च में देखा गया कि रेस्पिरेटरी सिस्टम बिगड़ने की स्थिति में इंसान के नाखूनों पर सबसे ज़्यादा असर दिखता है. इसी तरह अगर शरीर में ख़ून से जुड़ी कोई बीमारी हो, या लिवर, गैस्ट्रो, दिल और किडनी से जुड़ी कोई बीमारी हो तो नाखूनों में बदलाव दिखने लगते हैं.
कुल मिलाकर अगर किसी को नाखूनों में कोई नया बदलाव दिखे तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए. आइए अब ये जानते हैं कि नाखूनों में किस तरह के बदलावों को ख़तरे का संकेत मान सकते हैं.
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हाथों और पैरों के नाखून इसके नीचे की त्वचा को चोट से बचाते हैं. इसके अलावा नाखून शरीर को खुजाने और कई चीज़ों को छीलने में भी हमारी मदद करते हैं.
लेकिन क्लिनिकल डर्मटोलॉजी रिव्यू की रिसर्च में नाखून के रंग और बदलते आकार को कई बीमारियों से जोड़कर देखा गया है.
इस शोध में मुख्य रूप से नाखूनों में सूजन (क्लबिंग), लंबी धारीदारी लाइनें (लॉन्गिट्यूडनल रिजिंग), नाखूनों का पीला होना, रंग उड़ना और नाखूनों का फ्लैट होना जैसे कई लक्षण नोट किए गए.
कई बार नाखूनों में एक से ज़्यादा लक्षण एक साथ दिख सकते हैं.
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रिसर्च के नतीजों में कहा गया है कि दिल की बीमारी वाले मरीज़ों के नाखूनों में ख़ासतौर पर क्लबिंग (नाखूनों का कर्व्ड हो जाना और नीचे की तरफ मुड़ जाना) , लॉन्गिट्यूडिनल रिजिंग (लंबी-लंबी लकीरें) के लक्षण देखे गए हैं.
मेट्रो ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर समीर गुप्ता कहते हैं, "इंसान के नाखून सामान्य तौर पर थोड़े गुलाबी होते हैं. अगर इसका रंग हल्का हो जाए तो यह शरीर में ख़ून की कमी की तरफ़ इशारा करता है."
"इसी तरह से अगर नाखून का रंग नीला हो रहा हो तो यह साइनोसिस बीमारी की तरफ़ इशारा करता है, जो शरीर में ऑक्सीजन की कमी बताता है और यह हृदय या फेफड़े से जुड़ी किसी बीमारी की वजह से हो सकता है. यह बीमारी क्या है इसे जानने के लिए फिर विशेष जांच की जाती है."
साइनोसिस होने पर यानी नाखून का रंग नीला होना हाइपॉक्सिया, अस्थमा, पल्मोनरी हाइपरटेंशन की बीमारी की संभावना की तरफ़ भी इशारा करता है.
फेफड़े की बीमारीरेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी बीमारियों वाले मरीज़ों में क्लबिंग सबसे प्रमुख लक्षण रहा. उसके बाद लंबी धारीदार लाइनें, नाखूनों का टूटना, रंग उड़ना भी देखे गए हैं. यानी अगर किसी को नाखूनों में ये लक्षण दिख रहे हैं तो उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
ग्रेटर नोएडा के गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ में पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट की प्रमुख डॉक्टर रश्मि उपाध्याय ने बताया कि फेफड़े से जुड़ी बीमारियां शरीर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग लक्षणों की तरह दिखने लगती हैं.
"जैसे- स्किन का रंग हल्का हो जाना. इसमें त्वचा पतली और चमकीली हो जाती है. नाखूनों में भी कई लक्षण दिखते हैं, जिन्हें देखकर हम अंदाज़ा लगाते हैं कि फेफड़े में कुछ गड़बड़ है."
नाखूनों से जुड़ा सबसे पहला लक्षण है क्लबिंग.
वह बताती हैं कि "हाल के समय में लंग फाइब्रोसिस (इससे फेफड़ों के टिशू प्रभावित होते हैं और सांस लेने में परेशानी होती है) के मामले ज़्यादा आ रहे हैं. ख़ून में लंबे समय तक ऑक्सीजन की कमी से नाखून तक पहुंचने वाली रक्त वाहिकाएं पतली हो जाती हैं. लिहाज़ा नाखूनों में क्लबिंग दिखने लगती है."
इसके अलावा येलो नेल सिंड्रोम में नाखून मोटे और पीले रंग में दिखने लगते हैं. नाखून के आसपास के हिस्सों में सूजन दिखने लगती है. ये सिंड्रोम ब्रोंकाइटिस, लंग एब्सेस और चाइलोथोरैक्स का संकेत हो सकते हैं. ये सभी फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं हैं.
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इसी तरह क्लिनिकल डर्मटोलॉजी रिव्यू की एक रिसर्च गैस्ट्रिक और लिवर वाले 46 मरीजों में सबसे ज्यादा पीले नाखून, लंबी धारीदार लाइनें, क्लबिंग और टेरीज़ नेल (नाखून के नीचे का हिस्सा सफेद हो जाना) के लक्षण देखे गए. सबसे ज्यादा प्रभावी लक्षण टेरीज़ नेल रहा है.
डॉक्टर समीर गुप्ता के मुताबिक़ क्लबिंग नेल, जो थोड़ा मुड़ा हुआ (कर्व) और नीचे की तरफ झुका हुआ हो, वो किसी पुरानी बीमारी (क्रॉनिक डिजीज) के बारे में बताता है.
नाखून से मिलता है किडनी से जुड़ी बीमारी का संकेत
रिपोर्ट कहती है कि किडनी की बीमारी वाले मरीजों में सबसे ज्यादा पीले नाखून, लॉन्गिट्यूडिनल रिजिंग (लंबवर रेखाएं), हाफ़ एंड हाफ़ नेल, ऑब्लिटेरेड लुनुला (यानी नाखून के निचले हिस्से में मौजूद आधे चांद जैसे आकार का गायब हो जाना) और ब्रिटल नेल (सूखा और भुरभुरा) के मामले देखे गए.
ग़ाज़ियाबाद के यशोदा अस्पताल में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रजीत मजूमदार कहते हैं, "लंबे समय से किडनी की बीमारी वाले पेशेंट में 'हाफ़ एंड हाफ़ नेल' का होना सबसे सामान्य संकेत है."
'हाफ़ एंड हाफ़ नेल' मतलब होता है नाखून का आधा हिस्सा अलग और बाक़ी आधा हिस्सा अलग दिखना.
हालांकि कई बार किसी चोट लगने या नाखूनों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए किए गए उपायों से भी नाखून में बदलाव आ जाता है.
इसलिए अपने नाखूनों को देखकर फ़ौरन किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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