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जियो और ब्लैकरॉक की जोड़ी, क्या बदल जाएगी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की तस्वीर?

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मुकेश अंबानी की जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड और दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक का गठबंधन भारत के वित्तीय क्षेत्र में तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है. सीईओ सिड स्वामीनाथन का कहना है कि भारतीय निवेशकों की भागीदारी अब पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का विस्तार.



दरअसल मुकेश अंबानी ने दूरसंचार और रिटेल में अपनी मज़बूत पकड़ बनाने के बाद अब भारत के वित्तीय सेवा उद्योग को बदलने की तैयारी कर ली है. जियो ब्लैकरॉक की एंट्री भारत के अर्थव्यवस्था में काफी अहम है. बता दें कि ब्लैकरॉक ने 2018 में भारत से बाहर निकलने का फैसला लिया था.



सोने से म्यूचुअल फंड की ओरभारत में लंबे समय तक लोग अपनी बचत सोना खरीदने में, ज़मीन-जायदाद खरीदने में लगाते रहे है. लेकिन अब कुछ सालों में इसकी तस्वीर बदल रही है. अब म्यूचुअल फंड पर लोगों का भरोसा बढ़ रहा है.



आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच सालों में भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की कुल संपत्ति दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है. इसके साथ ही भारत का शेयर बाजार भी पिछले पांच सालों में दोगुना होकर 5.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. इस तेजी ने लाखों खुदरा निवेशकों को आकर्षित किया है.



जियो ब्लैकरॉक का रास्ता आसान नहीं होगाहालांकि जियो ब्लैकरॉक का रास्ता आसान नहीं होगा, उसे एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और एसबीआई म्यूचुअल फंड जैसे दिग्गज खिलाड़ियों से टक्कर लेनी होगी, जिनके पास छोटे शहरों और गांवों तक गहरी पहुंच है.



ग्रो और जीरोधा जैसे ऑनलाइन निवेश प्लेटफ़ॉर्म भी म्यूचुअल फंड की सीधी बिक्री को आसान और लोकप्रिय बना रहे हैं. ऐसे में जियो ब्लैकरॉक को बाजार में अपनी अलग पहचान बनानी होगी.



कैसा रहा शुरूआती कारोबार

जुलाई 2025 में जियो ब्लैकरॉक ने अपना पहला फंड लॉन्च किया था और सिर्फ तीन दिनों में ही 2 अरब डॉलर से ज़्यादा जुटा लिए थें. इस उपलब्धि ने इसे भारत के शीर्ष 15 एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में जगह दिला दी.



सीईओ सिड स्वामीनाथन का क्या कहना है ?इस साझेदारी के सीईओ सिड स्वामीनाथन का कहना है कि जियो ब्लैकरॉक का मकसद सिर्फ मौजूदा खिलाड़ियों से हिस्सा छीनना नहीं, बल्कि पूरे बाजार का विस्तार करना है. रिपोर्टस की मानें तो, अगले पांच साल में कंपनी बड़े पैमाने पर काम करने की तैयारी कर रही है.

इसका फायदा क्या है?

इसके लिए कंपनी Active और Passive दोनों तरह की निवेश रणनीतियों का मिश्रण पेश कर रही है. उनका पहला इक्विटी फंड अगले हफ्ते लॉन्च होने वाला है. इसमें सिर्फ 30-50 कंपनियों में ही पैसा नहीं लगेगा, बल्कि करीब 1,000 भारतीय कंपनियों को कवर किया जाएगा.



मान लीजिए आपने सिर्फ 10 कंपनियों में पैसा लगाया और उनमें से 2-3 का प्रदर्शन खराब हो गया, तो आपको नुकसान होगा. लेकिन अगर आपने 1,000 कंपनियों में छोटा-छोटा निवेश कर रखा है, तो रिस्क बहुत कम हो जाएगा क्योंकि किसी एक-दो कंपनी के खराब प्रदर्शन से बड़ा असर नहीं पड़ेगा.

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