भारतीय शेयर बाज़ार में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स एक महत्वपूर्ण फैक्टर हैं. एफआईआई की एक्शन बाज़ार की दिशा तय करने में सहायक है. लगातार दो माह खरीदारी करने के बाद अब जुलाई में फिर से एफआईआई नेट सेलर्स बन गए हैं.
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मई और जून में नेट बायर्स थे, लेकिन जुलाई के पहले सप्ताह में सेलर्स बन गए हैं, जो वैश्विक अनिश्चितता और भारतीय बाजार में बढ़े हुए वैल्यूएशन के बीच सतर्कता को दर्शाता है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार मई में मजबूत एफआईआई बाइंग ट्रेंड कमजोर पड़ गया है. उन्होंने कहा कि एफआईआई मई और जून में क्रमशः 18,082 करोड़ रुपये और 8,466 करोड़ रुपये के खरीदार थे, लेकिन जुलाई की शुरुआत में एफआईआई एक्टिविटीज़ सेलिंग का संकेत देती है. जुलाई के पहले चार दिनों में एफआईआई हर दिन सेलर्स थे, जिसमें कुल मिलाकर 5,772 करोड़ रुपये की बिक्री हुई."
जून के दूसरे पखवाड़े में एफआईआई ने फाइनेंस, ऑटो, ऑटो कंपोनेंट और ऑइल एंड गैस में खरीदारी में रुचि दिखाई थी, जबकि कैपिटल गुड्स और पावर सेक्टर में मुनाफावसूली की थी.
विजयकुमार ने कहा कि हाल ही में अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर में मुनाफावसूली का चलन है. उन्होंने कहा कि एफआईआई फ्लो की वापसी दो प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी. भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति और आगामी Q1FY26 परिणामों में अर्निंग ग्रोथ और यदि भारत और अमेरिका के बीच कोई ट्रेड डील होती है तो यह बाजारों और एफआईआई फ्लो के लिए सकारात्मक होगा. इसी तरह Q1 में अर्निंग में सुधार के किसी भी संकेत से और अधिक समर्थन मिल सकता है."
बाज़ार में किसी भी फ्रंट पर कोई भी झटका बाज़ार के सेंटीमेंट को प्रभावित कर सकता है और एफआईआई के बाइंग इंटेरेस्ट को कम कर सकता है.
मजबूत तेजी के बाद बाजार में ठहराव मार्च और जून के बीच 15% से ज़्यादा की बढ़त के बाद जुलाई में भारतीय शेयर बाज़ारों ने राहत की सांस ली है. महीने के पहले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 0.2% की मामूली गिरावट आई, क्योंकि बढ़े हुए मूल्यांकन और वैश्विक संकेतों ने निवेशकों को प्रतीक्षा और नज़र रखने का दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रेसिप्रोकल टैरिफ के लिए 9 जुलाई की समय सीमा तेजी से निकट आ रही है, इसलिए ट्रेड डील चर्चाओं के परिणाम पर ध्यान केंद्रित है. निवेशक अगले सप्ताह शुरू होने वाले आय सीजन से संकेतों का भी इंतजार कर रहे हैं.
शुक्रवार को आईटी और फाइनेंस शेयरों में तेजी के कारण बेंचमार्क सूचकांक में तेजी आई. निफ्टी 50 0.22% बढ़कर 25461 पर बंद हुआ, जबकि बीएसई सेंसेक्स 0.23% बढ़कर 83,432.89 पर बंद हुआ. दिन भर की बढ़त के बावजूद दोनों सूचकांकों में साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई.
सेक्टोरियल फ्रंट पर 13 प्रमुख सूचकांकों में से सात सप्ताह के लिए कम पर बंद हुए. फाइनेंस 1.75% गिर गए, जो रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गया विश्लेषकों ने कहा कि मूल्यांकन संबंधी चिंताओं और व्यापक लाभ लेने की ट्रेंड ने निवेशकों को सप्ताह के अधिकांश समय किनारे पर ही रखा. आने वाले दिनों में वैश्विक घटनाक्रम और कॉर्पोरेट अर्निंग के साथ साथ एफआईआई फ्लो और बाजार की दिशा के लिए संकेतों पर निर्भर करेगा.
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मई और जून में नेट बायर्स थे, लेकिन जुलाई के पहले सप्ताह में सेलर्स बन गए हैं, जो वैश्विक अनिश्चितता और भारतीय बाजार में बढ़े हुए वैल्यूएशन के बीच सतर्कता को दर्शाता है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार मई में मजबूत एफआईआई बाइंग ट्रेंड कमजोर पड़ गया है. उन्होंने कहा कि एफआईआई मई और जून में क्रमशः 18,082 करोड़ रुपये और 8,466 करोड़ रुपये के खरीदार थे, लेकिन जुलाई की शुरुआत में एफआईआई एक्टिविटीज़ सेलिंग का संकेत देती है. जुलाई के पहले चार दिनों में एफआईआई हर दिन सेलर्स थे, जिसमें कुल मिलाकर 5,772 करोड़ रुपये की बिक्री हुई."
जून के दूसरे पखवाड़े में एफआईआई ने फाइनेंस, ऑटो, ऑटो कंपोनेंट और ऑइल एंड गैस में खरीदारी में रुचि दिखाई थी, जबकि कैपिटल गुड्स और पावर सेक्टर में मुनाफावसूली की थी.
विजयकुमार ने कहा कि हाल ही में अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर में मुनाफावसूली का चलन है. उन्होंने कहा कि एफआईआई फ्लो की वापसी दो प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगी. भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति और आगामी Q1FY26 परिणामों में अर्निंग ग्रोथ और यदि भारत और अमेरिका के बीच कोई ट्रेड डील होती है तो यह बाजारों और एफआईआई फ्लो के लिए सकारात्मक होगा. इसी तरह Q1 में अर्निंग में सुधार के किसी भी संकेत से और अधिक समर्थन मिल सकता है."
बाज़ार में किसी भी फ्रंट पर कोई भी झटका बाज़ार के सेंटीमेंट को प्रभावित कर सकता है और एफआईआई के बाइंग इंटेरेस्ट को कम कर सकता है.
मजबूत तेजी के बाद बाजार में ठहराव मार्च और जून के बीच 15% से ज़्यादा की बढ़त के बाद जुलाई में भारतीय शेयर बाज़ारों ने राहत की सांस ली है. महीने के पहले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 0.2% की मामूली गिरावट आई, क्योंकि बढ़े हुए मूल्यांकन और वैश्विक संकेतों ने निवेशकों को प्रतीक्षा और नज़र रखने का दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रेसिप्रोकल टैरिफ के लिए 9 जुलाई की समय सीमा तेजी से निकट आ रही है, इसलिए ट्रेड डील चर्चाओं के परिणाम पर ध्यान केंद्रित है. निवेशक अगले सप्ताह शुरू होने वाले आय सीजन से संकेतों का भी इंतजार कर रहे हैं.
शुक्रवार को आईटी और फाइनेंस शेयरों में तेजी के कारण बेंचमार्क सूचकांक में तेजी आई. निफ्टी 50 0.22% बढ़कर 25461 पर बंद हुआ, जबकि बीएसई सेंसेक्स 0.23% बढ़कर 83,432.89 पर बंद हुआ. दिन भर की बढ़त के बावजूद दोनों सूचकांकों में साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई.
सेक्टोरियल फ्रंट पर 13 प्रमुख सूचकांकों में से सात सप्ताह के लिए कम पर बंद हुए. फाइनेंस 1.75% गिर गए, जो रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गया विश्लेषकों ने कहा कि मूल्यांकन संबंधी चिंताओं और व्यापक लाभ लेने की ट्रेंड ने निवेशकों को सप्ताह के अधिकांश समय किनारे पर ही रखा. आने वाले दिनों में वैश्विक घटनाक्रम और कॉर्पोरेट अर्निंग के साथ साथ एफआईआई फ्लो और बाजार की दिशा के लिए संकेतों पर निर्भर करेगा.
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