क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडारण किस देश में है? इस सवाल के जवाब में कई लोग सऊदी अरब, इराक, ईरान, कनाडा जैसे देशों का नाम लेंगे। लेकिन शायद आपको यह नहीं पता होगा कि इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है वेनेजुएला का। वेनेजुएला में तेल का अथाह भंडार है, लेकिन इसके बावजूद भी वहां महंगाई अपने चरम पर है। कई लोग केवल एक वक्त का खाना खाकर गुजारा कर रहे हैं। इस महंगाई की चपेट में केवल गरीब लोग ही नहीं बल्कि संपन्न लोग भी आ रहे हैं। देश में बाजारों में भले ही खाने पीने की चीज भरी पड़ी हैं, लेकिन उनके दाम इतने अधिक है कि लोग उन्हें खरीद नहीं पा रहे हैं। मुश्किल से मिल रहा खाना वेनेजुएला में दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडारण होने के बाद भी देश की आधी से अधिक आबादी गरीबी में घिरी हुई है। कई लोग चैरिटी पर निर्भर हैं तो कई केवल एक समय का खाना खाकर ही गुजारा कर रहे हैं। एक सर्वे में यह सामने आ चुका है कि लगभग 41% से अधिक लोगों ने एक समय का खाना छोड़ दिया है। पिछले लगभग 40-45 सालों में देश में महंगाई तो बढ़ गई, लेकिन वहां लोगों की इनकम में जरा भी इजाफा नहीं हुआ। कितना है वेनेजुएला के पास तेल का भंडार वेनेजुएला के पास लगभग 303 बिलियन बैरल तेल भंडार है। लेकिन इसके बाद भी बढ़ती महंगाई के पीछे कई कारण हैं। विस्तार से समझते हैं कारण- 1. अर्थव्यवस्था में विविधता की कमी इस देश में अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह तेल पर ही निर्भर है। यहां की आय का लगभग 90% हिस्सा तेल निर्यात से आता है। ऐसे में अन्य उद्योगों का विकास ना के बराबर हुआ है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था विविधता की कमी से जूझ रही है। जब साल 2014 में तेल की कीमतों में वैश्विक गिरावट आई तो इस देश के आय पर भी भारी असर हुआ। इसके बाद शुरू हुआ वेनेजुएला का आर्थिक संकट। 2. राजनीतिक फैसलों का असर देश में ह्यूगो चावेज और उनके उत्तराधिकारी निकोलस मादुरो की सरकारों द्वारा लिए गए फैसलों ने देश को आर्थिक संकट के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया। इन सरकारों ने तेल से आए पैसे को देश के विकास के बजाय कई नीतियों पर खर्च किया जैसे मुफ्त योजनाओं, सब्सिडी आदि। इन नीतियों के कारण अल्पकाल में तो काफी लोकप्रियता हासिल हुई, लेकिन दीर्घकाल में देश को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। भ्रष्टाचार और सरकारी तेल कंपनियों के को प्रबंधन के कारण भी उत्पादन क्षमता कम हुई। साल 1998 के आसपास वेनेजुएला में प्रतिदिन 3.5 बिलियन बैरल तेल का प्रोडक्शन होता था, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर बहुत कम हो गया है। 3. तेल निर्यात पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध अमेरिका के साथ ही अन्य देशों ने वेनेजुएला पर साल 2017 से कड़े प्रतिबंध लगाए। इसका असर भी तेल निर्यात पर हुआ। इससे न केवल तेल की बिक्री सीमित हुई बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आई। 4. सरकार की यह नीति पड़ी भारी जब सरकार राजस्व की कमी से जूझ रही थी तो उसे पूरा करने के लिए सरकार ने अत्यधिक मात्रा में मुद्रा छापना शुरू किया। जिसका असर यह हुआ कि वेनेजुएला की मुद्रा बोलिवर के मूल्य में तेज गिरावट आई। जिसके परिणाम स्वरुप साल 2018 में महंगाई दर 1,700,000% पहुंच गई थी। इस देश में हाइपरइन्फ्लेशन है। साल 2022 में महंगाई दर 222% थी। इसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों ऊपर हुआ क्योंकि बुनियादी चीजों की कीमत भी आसमान पर पहुंच गई। 5. ये भी हैं वेनेजुएला में महंगाई बढ़ने के कारण संसाधनों की कमी के कारण देश में खाद्य संकट के कारण गरीबी बढ़ने लगी। देश के लगभग 86% आबादी गरीबी रेखा के नीचे हैं। इस महंगाई के कारण लाखों लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। कुशल कर्मचारियों के पलायन भ्रष्टाचार और रखरखाव की कमी के कारण तेल उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसीलिए देश में तेल का सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद वहां की महंगाई दर चरम पर पहुंच चुकी है। ऐसा कहा जा सकता है कि वेनेजुएला में आए इस आर्थिक संकट के कई कारण हैं। जैसे तेल पर अत्यधिक निर्भरता, गलत आर्थिक नीति, भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन आदि।
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