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विजिंजम पोर्ट में ₹13,000 करोड़ निवेश करेगा अडानी ग्रुप, भारत का पहला ट्रांसशिपमेंट हब बनाने का प्लान, 2 मई को PM मोदी ने किया था उद्घाटन

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भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट पोर्ट ऑपरेटर कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) अब अपने कारोबार को नए मुकाम पर ले जाने की तैयारी में है. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर करण अडानी ने कहा है कि अब फोकस सिर्फ पोर्ट ऑपरेशन पर नहीं, बल्कि मरीन, लॉजिस्टिक्स और एग्री-लॉजिस्टिक्स जैसे तीन बड़े क्षेत्रों को तेजी से विस्तार देने पर है.करण अडानी ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में बताया कि कंपनी के पास मरीन बिजनेस में देश की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है और अब इसे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ाने की योजना है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि समुद्री सर्विस को सिर्फ पोर्ट तक सीमित न रखकर, एक ग्लोबल नेटवर्क में बदला जाए. ₹13,000 करोड़ का निवेश, विजिंजम पोर्ट बनेगा ट्रांसशिपमेंट हबप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 मई को केरल के विजिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट के उद्घाटन किया था, जिसे अब अडानी ग्रुप और बड़ा बनाने जा रहा है. फेज-2 के तहत अडानी ग्रुप इसमें ₹13,000 करोड़ का निवेश करेगा, जिससे इसकी कंटेनर हैंडलिंग कैपेसिटी 1.2 मिलियन TEUs से बढ़कर लगभग 5 मिलियन TEUs हो जाएगी. करण अडानी ने बताया कि अडानी ग्रुप के ज्यादातर पोर्ट घरेलू और आयात-निर्यात वॉल्यूम पर काम करते हैं, लेकिन विजिंजम देश का ऐसा पहला पोर्ट होगा जो ट्रांसशिपमेंट हब की भूमिका निभाएगा, यानी यहां से माल सीधे अंतरराष्ट्रीय कंटेनर रूट्स पर भेजा जाएगा. लॉजिस्टिक्स और एग्री-लॉजिस्टिक्स में भी बड़ा प्लानAPSEZ अब लॉजिस्टिक्स सेक्टर में भी मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क्स बना रही है, जहां सड़क, रेल और पोर्ट की कनेक्टिविटी एक जगह होगी. इससे माल की ढुलाई में समय और लागत दोनों की बचत होगी. वहीं, कृषि से जुड़ी लॉजिस्टिक्स को भी नया रूप दिया जा रहा है. करण अडानी ने बताया कि भारत में अनाज का भंडारण आज भी पारंपरिक और असुरक्षित तरीकों से होता है. हम साइलो (Silos) बनाएंगे, जहां अनाज को वैज्ञानिक तरीके से सुरक्षित रखा जा सके. सिर्फ पोर्ट नहीं, पूरा लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम बनाने की योजनाकरण अडानी के मुताबिक APSEZ अब खुद को सिर्फ एक पोर्ट ऑपरेटर के रूप में नहीं देख रही, बल्कि एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित कर रही है जो माल की ढुलाई, स्टोरेज और ट्रांसफर के हर पहलू को कवर करता है. अडानी ने कहा कि हमारा विजन है कि भारत का हर व्यापार, हर किसान और हर कंपनी एक मजबूत लॉजिस्टिक्स सिस्टम का हिस्सा बने और हम उस सिस्टम को बना रहे हैं. अडानी बोले- भारत का 'विजिंजम' बनेगा नया इंटरनेशनल हब भारत के पहले 100% ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में विजिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट अब सिंगापुर और कोलंबो जैसे विदेशी पोर्ट्स को सीधी चुनौती देने जा रहा है. करण अडानी ने कहा है कि कंपनी का लक्ष्य है कि भारत से होने वाला ट्रांसशिपमेंट अब विदेश नहीं, बल्कि देश में ही हो और वह केंद्र केरल का विजिंजम पोर्ट बनेगा. दक्षिण एशिया में मरीन लॉजिस्टिक्स का लीडर बन सकता है भारतफिलहाल भारत के करीब 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो कोलंबो (श्रीलंका), सिंगापुर और अन्य विदेशी पोर्ट्स पर हैंडल होता है. इससे भारत के पोर्ट्स को हर साल लगभग $200 से $220 मिलियन यानी ₹1600 से ₹1800 करोड़ तक का रेवेन्यू लॉस होता है. करण अडानी ने आज जो माल भारत के पोर्ट्स से बाहर जा रहा है या बाहर से आ रहा है, वह सिंगापुर और कोलंबो जैसे पोर्ट्स से होकर आता-जाता है. हमारा फोकस है कि अब यही ट्रैफिक विजिंजम पोर्ट की ओर मोड़ा जाए. अगर ट्रांसशिपमेंट भारत में ही होने लगे, तो न केवल देश को अरबों का रेवेन्यू मिलेगा, बल्कि व्यापारियों को भी तेज, सस्ता और सुविधाजनक ट्रांसपोर्ट मिलेगा. करण अडानी का कहना है कि विजिंजम को इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट सेंटर बनाकर भारत न सिर्फ विदेशी निर्भरता कम करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में मरीन लॉजिस्टिक्स का लीडर भी बन सकता है. विजिंजम पोर्ट क्यों है खास?विजिंजम पोर्ट को 100% ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के रूप में डिजाइन किया गया है, जो भारत में पहली बार हो रहा है. यह पोर्ट बहुत गहरे समुद्र में बना है, जिससे दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज भी आसानी से आ-जा सकते हैं. स्ट्रैटेजिक रूप से यह पोर्ट इंटरनेशनल शिपिंग रूट के बहुत करीब स्थित है, जिससे इसे ग्लोबल हब बनाया जा सकता है.
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