2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली, तब भारत की अर्थव्यवस्था कई स्तरों पर समस्याओं से जूझ रही थी। बीते 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने जो बड़े सुधार किए हैं, उन्होंने न सिर्फ व्यवस्थाओं में पारदर्शिता और गति लाई, बल्कि वैश्विक निवेशकों को भी भारत की ओर आकर्षित किया। नीचे ऐसे ही छह प्रमुख फैसलों पर प्रकाश डाला गया है:
1. वस्तु एवं सेवा कर (GST): कर सुधार की क्रांतिGST को ‘reform of reforms’ कहा गया है। इसके लागू होने से भारत ने एक समान राष्ट्रीय बाजार का निर्माण किया, जहां टैक्स की जटिलता कम हुई और अनुपालन में तेजी आई। अप्रैल 2025 में GST संग्रह ₹1.87 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो अब तक का उच्चतम मासिक आंकड़ा है। अधिकांश राज्यों ने 20% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। ई-वे बिलों की संख्या में भी तेजी आई, जिससे व्यापार में पारदर्शिता आई।
2. इंडिया स्टैक और UPI: डिजिटल सशक्तिकरण की नींवभारत ने पहली बार ऐसा डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया, जो निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र की नवाचार क्षमताओं को आगे बढ़ाता है। इंडिया स्टैक में आधार, UPI, डिजिलॉकर और CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। UPI ने गांवों तक डिजिटल भुगतान संभव किया, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम बन गया।
IMF ने भी इसे दुनिया का सबसे असरदार डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बताया है। व्यापारी भुगतान FY26 तक $1 ट्रिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
3. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): भ्रष्टाचार पर चोटDBT योजना के तहत जनधन, आधार और मोबाइल (JAM) के जरिये सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में जाती है। इससे पारदर्शिता आई, बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई और 27 अरब डॉलर की बचत हुई। अब हर दिन औसतन 90 लाख ट्रांजैक्शन DBT से किए जाते हैं। 2013 से 2024 के बीच 24.8 लाख करोड़ रुपये DBT के माध्यम से ट्रांसफर किए गए हैं।
4. दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC): कर्ज वसूली में गतिIBC लागू होने से पहले दिवालिया कंपनियों के मामले दशकों तक अटके रहते थे। अब यह एक समयबद्ध प्रणाली बन गई है। हालांकि चुनौतियां अभी भी हैं — औसतन 482 दिन लगते हैं, जबकि अधिकतम 270 दिन का प्रावधान है। अब तक 611 मामलों में 2.53 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई है। सरकार इसे और कारगर बनाने के लिए संशोधन की तैयारी में है।
5. ‘मेक इन इंडिया’ और PLI स्कीम: विनिर्माण को बढ़ावाभारत को सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से निर्माण आधारित बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ शुरू किया गया। शुरुआती संशयों के बावजूद, आज Apple जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में निर्माण इकाइयां स्थापित कर रही हैं। PLI स्कीम के ज़रिए 14 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 11.5 लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। MSME क्षेत्र को भी इसका बड़ा लाभ मिल रहा है।
6. राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति: व्यापार की रीढ़ को मजबूत करनाभारत में लॉजिस्टिक्स लागत GDP का 13% है, जो वैश्विक मानकों से अधिक है। इसे कम करने और व्यापार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए 2022 में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति शुरू की गई। इसका लक्ष्य 2030 तक लागत को वैश्विक मानकों के बराबर लाना है।
World Bank की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स रैंकिंग 2018 में 44 से सुधरकर 2023 में 38 हो गई है। सड़क, रेल, बंदरगाह और डिजिटल समन्वय के ज़रिए भारत वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
निष्कर्षप्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने न सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में बल्कि तकनीकी, प्रशासनिक और वैश्विक स्तर पर भी ठोस पहचान बनाई है। इन सुधारों ने भारत को न सिर्फ वर्तमान में प्रतिस्पर्धी बनाया, बल्कि भविष्य की संभावनाओं के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार किया है। अगले दशक में यही सुधार भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की ओर ले जाने वाले स्तंभ बन सकते हैं
1. वस्तु एवं सेवा कर (GST): कर सुधार की क्रांतिGST को ‘reform of reforms’ कहा गया है। इसके लागू होने से भारत ने एक समान राष्ट्रीय बाजार का निर्माण किया, जहां टैक्स की जटिलता कम हुई और अनुपालन में तेजी आई। अप्रैल 2025 में GST संग्रह ₹1.87 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो अब तक का उच्चतम मासिक आंकड़ा है। अधिकांश राज्यों ने 20% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। ई-वे बिलों की संख्या में भी तेजी आई, जिससे व्यापार में पारदर्शिता आई।
2. इंडिया स्टैक और UPI: डिजिटल सशक्तिकरण की नींवभारत ने पहली बार ऐसा डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया, जो निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र की नवाचार क्षमताओं को आगे बढ़ाता है। इंडिया स्टैक में आधार, UPI, डिजिलॉकर और CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। UPI ने गांवों तक डिजिटल भुगतान संभव किया, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम बन गया।
IMF ने भी इसे दुनिया का सबसे असरदार डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बताया है। व्यापारी भुगतान FY26 तक $1 ट्रिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
3. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): भ्रष्टाचार पर चोटDBT योजना के तहत जनधन, आधार और मोबाइल (JAM) के जरिये सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में जाती है। इससे पारदर्शिता आई, बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई और 27 अरब डॉलर की बचत हुई। अब हर दिन औसतन 90 लाख ट्रांजैक्शन DBT से किए जाते हैं। 2013 से 2024 के बीच 24.8 लाख करोड़ रुपये DBT के माध्यम से ट्रांसफर किए गए हैं।
4. दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC): कर्ज वसूली में गतिIBC लागू होने से पहले दिवालिया कंपनियों के मामले दशकों तक अटके रहते थे। अब यह एक समयबद्ध प्रणाली बन गई है। हालांकि चुनौतियां अभी भी हैं — औसतन 482 दिन लगते हैं, जबकि अधिकतम 270 दिन का प्रावधान है। अब तक 611 मामलों में 2.53 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई है। सरकार इसे और कारगर बनाने के लिए संशोधन की तैयारी में है।
5. ‘मेक इन इंडिया’ और PLI स्कीम: विनिर्माण को बढ़ावाभारत को सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से निर्माण आधारित बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ शुरू किया गया। शुरुआती संशयों के बावजूद, आज Apple जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में निर्माण इकाइयां स्थापित कर रही हैं। PLI स्कीम के ज़रिए 14 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 11.5 लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। MSME क्षेत्र को भी इसका बड़ा लाभ मिल रहा है।
6. राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति: व्यापार की रीढ़ को मजबूत करनाभारत में लॉजिस्टिक्स लागत GDP का 13% है, जो वैश्विक मानकों से अधिक है। इसे कम करने और व्यापार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए 2022 में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति शुरू की गई। इसका लक्ष्य 2030 तक लागत को वैश्विक मानकों के बराबर लाना है।
World Bank की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स रैंकिंग 2018 में 44 से सुधरकर 2023 में 38 हो गई है। सड़क, रेल, बंदरगाह और डिजिटल समन्वय के ज़रिए भारत वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
निष्कर्षप्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने न सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में बल्कि तकनीकी, प्रशासनिक और वैश्विक स्तर पर भी ठोस पहचान बनाई है। इन सुधारों ने भारत को न सिर्फ वर्तमान में प्रतिस्पर्धी बनाया, बल्कि भविष्य की संभावनाओं के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार किया है। अगले दशक में यही सुधार भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की ओर ले जाने वाले स्तंभ बन सकते हैं
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