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भारत ˏ में सबसे ज्यादा सुअर किस राज्य में हैं? देखें टॉप-5 की लिस्ट, आंकड़े देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान

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भारत में सुअर पालन ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर के राज्यों में। 2019 में हुई 20वीं पशुधन जनगणना के मुताबिक भारत में सुअरों की कुल संख्या लगभग 90.6 लाख है। यह जनगणना 27 करोड़ से भी ज्यादा घरों से लिए गए डेटा पर आधारित है। आज हम आपको भारत के उन टॉप 5 राज्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सुअरों की संख्या सबसे ज्यादा है।

रत में सुअर पालन ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर के राज्यों में। 2019 में हुई 20वीं पशुधन जनगणना के मुताबिक भारत में सुअरों की कुल संख्या लगभग 90.6 लाख है। यह जनगणना 27 करोड़ से भी ज्यादा घरों से लिए गए डेटा पर आधारित है। आज हम आपको भारत के उन टॉप 5 राज्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सुअरों की संख्या सबसे ज्यादा है।

छत्तीसगढ़ सुअरों की आबादी के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है। इस सूबे में 5.3 लाख सुअर हैं। छत्तीसगढ़ में सुअर पालन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर किया जाता है, जहां यह निम्न-आय वाले परिवारों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है।

छत्तीसगढ़ सुअरों की आबादी के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है। इस सूबे में 5.3 लाख सुअर हैं। छत्तीसगढ़ में सुअर पालन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर किया जाता है, जहां यह निम्न-आय वाले परिवारों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है।

पश्चिम बंगाल में सुअरों की संख्या 5.4 लाख है, जो इसे देश में चौथे स्थान पर रखता है। स्थानीय स्तर पर सुअरों की मांग और छोटे पैमाने के पशुपालन की वजह से इस राज्य में सुअरों की आबादी अच्छी-खासी है।

पश्चिम बंगाल में सुअरों की संख्या 5.4 लाख है, जो इसे देश में चौथे स्थान पर रखता है। स्थानीय स्तर पर सुअरों की मांग और छोटे पैमाने के पशुपालन की वजह से इस राज्य में सुअरों की आबादी अच्छी-खासी है।

मेघालय इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है जहां सुअरों की संख्या 7.1 लाख है। इस पूर्वोत्तर राज्य में सुअर स्थानीय आदिवासी समुदायों की खाद्य संस्कृति और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मेघालय में सुअर पालन छोटे पैमाने पर और पारंपरिक तरीकों से किया जाता है, और इसका मुख्य मकसद स्थानीय मांग को पूरा करना होता है।I

मेघालय इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है जहां सुअरों की संख्या 7.1 लाख है। इस पूर्वोत्तर राज्य में सुअर स्थानीय आदिवासी समुदायों की खाद्य संस्कृति और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मेघालय में सुअर पालन छोटे पैमाने पर और पारंपरिक तरीकों से किया जाता है, और इसका मुख्य मकसद स्थानीय मांग को पूरा करना होता है।

झारखंड सुअरों की आबादी के मामले में पूरे देश में दूसरे स्थान पर है, जहां 12.8 लाख सुअर हैं। यह राज्य आदिवासी समुदायों का गढ़ है, जहां सुअर पालन न केवल आजीविका का स्रोत है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं से भी जुड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और मध्यम स्तर के किसान सुअर पालन को आय के एक आकर्षक स्रोत के रूप में देखते हैं।

झारखंड सुअरों की आबादी के मामले में पूरे देश में दूसरे स्थान पर है, जहां 12.8 लाख सुअर हैं। यह राज्य आदिवासी समुदायों का गढ़ है, जहां सुअर पालन न केवल आजीविका का स्रोत है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं से भी जुड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और मध्यम स्तर के किसान सुअर पालन को आय के एक आकर्षक स्रोत के रूप में देखते हैं।

असम भारत में सुअर पालन के मामले में शीर्ष स्थान रखता है, जहां लेटेस्ट पशुगणना के आंकड़ों के मुताबिक सुअरों की संख्या 21.0 लाख है। यह राज्य पूर्वोत्तर भारत का एक प्रमुख केंद्र है, जहां सुअर पालन ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का अभिन्न अंग है। असम में सुअरों की जबरदस्त मांग रहती है और यह यहां के खान पान का अहम हिस्सा है।

असम भारत में सुअर पालन के मामले में शीर्ष स्थान रखता है, जहां लेटेस्ट पशुगणना के आंकड़ों के मुताबिक सुअरों की संख्या 21.0 लाख है। यह राज्य पूर्वोत्तर भारत का एक प्रमुख केंद्र है, जहां सुअर पालन ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का अभिन्न अंग है। असम में सुअरों की जबरदस्त मांग रहती है और यह यहां के खान पान का अहम हिस्सा है।

इस तरह देखा जाए तो भारत में सुअर पालन, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों में, ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। 20वीं पशुधन जनगणना (2019) के आंकड़े दर्शाते हैं कि सुअरों की संख्या सबसे ज्यादा असम में हैं। ये आंकड़े पशुपालन और डेयरी विभाग के डेटा पर आधारित हैं।

इस तरह देखा जाए तो भारत में सुअर पालन, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों में, ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। 20वीं पशुधन जनगणना (2019) के आंकड़े दर्शाते हैं कि सुअरों की संख्या सबसे ज्यादा असम में हैं। ये आंकड़े पशुपालन और डेयरी विभाग के डेटा पर आधारित हैं।

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