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वैस्कुलर डिमेंशिया एक बड़ी समस्या, माइक्रोप्लास्टिक्स से दिमाग को पहुंचा नुकसान: अध्ययन

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New Delhi, 20 सितंबर . शोधकर्ताओं के अनुसार, वैस्कुलर डिमेंशिया एक व्यापक समस्या है, लेकिन इसका अल्जाइमर रोग जितना गहन अध्ययन नहीं किया गया है. इस अवस्था में तंत्रिका ऊतक में असामान्य प्लाक और प्रोटीन टेंगल्स जमा हो जाते हैं, जिससे मस्तिष्क के स्मॉल ब्लड वेसल्स (छोटी रक्त वाहिकाओं) को नुकसान पहुंचता है.

न्यू मैक्सिको विश्वविद्यालय की टीम ने रोग के विभिन्न रूपों को बेहतर ढंग से समझने और प्रभावी उपचार खोजने के लिए संवहनी मनोभ्रंश (वैस्कुलर डिमेंशिया) के विभिन्न रूपों की पहचान और वर्गीकरण के लिए एक नया मॉडल विकसित किया.

विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एलेन बेयरर ने कहा, “हाइपरटेंशन, एथेरोस्क्लेरोसिस और मधुमेह जैसी स्थितियों को वैस्कुलर डिमेंशिया से जोड़ा गया है, लेकिन मानव मस्तिष्क में हाल ही में नैनो और माइक्रोप्लास्टिक पाए गए. इस खोज से पता चला कि कारणों को अभी भी ठीक से समझा नहीं जा सका है.”

उन्होंने आगे कहा, “हम अंधेरे में तीर मार रहे हैं. विभिन्न वैस्कुलर पैथोलॉजी को व्यापक रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए हमें नहीं पता कि हम किसका इलाज कर रहे हैं. और हमें यह भी नहीं पता था कि नैनो और माइक्रोप्लास्टिक की उसमें मौजूदगी है.”

अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में, बेयरर और उनकी टीम ने 10 विभिन्न रोग प्रक्रियाओं की पहचान की जो आमतौर पर ऑक्सीजन या पोषक तत्वों की कमी, रक्त सीरम के रिसाव, और सूजन या अपशिष्ट निष्कासन में कमी का कारण बनकर संवहनी-आधारित मस्तिष्क क्षति (वैस्कुलर बेस्ड ब्रेन इंजरी) में योगदान देते हैं. ये छोटे स्ट्रोक का कारण बनते हैं जो न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचाते हैं.

उन्होंने इनका पता लगाने के लिए नवीन प्रयोगात्मक तकनीकों की सूची दी.

इस बीच, बियरर ने कहा कि चिंता का एक नया क्षेत्र मस्तिष्क में नैनो- और माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी है जो हेल्थ संबंधी परेशानी का कारण बन सकता है.

उन्होंने कहा, “मस्तिष्क में नैनोप्लास्टिक्स ब्रेन पैथोलॉजी के क्षेत्र में नए प्लेयर की भूमिका निभा रहे हैं. इस खोज के साथ ही हमें अल्जाइमर और विभिन्न प्रकार के डिमेंशिया को लेकर जो सेट विचार हैं उनमें बदलाव की जरूरत है.”

उन्होंने कहा, “मुझे पता चला है कि सामान्य लोगों की तुलना में डिमेंशिया पीड़ितों में प्लास्टिक की मात्रा बहुत अधिक होती है. यह मनोभ्रंश के प्रकार और उसके स्तर से भी जुड़ा होता है.”

केआर/

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