नई दिल्ली, 3 जून . चुनाव आयोग अब अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझानों को अद्यतन करने के लिए सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली शुरू कर रहा है. यह नई प्रक्रिया पहले की मैन्युअल रिपोर्टिंग विधियों से जुड़े समय अंतराल को काफी कम कर देगी. यह पहल समय पर सार्वजनिक संचार सुनिश्चित करने के लिए आयोग की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार विभिन्न अवसरों पर इसकी आवश्यकता को रेखांकित करते रहे हैं.
चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49एस के वैधानिक ढांचे के तहत, पीठासीन अधिकारियों (पीआरओ) को दर्ज किए गए मतों का विवरण देने वाला फॉर्म 17सी, उम्मीदवारों द्वारा नामित मतदान एजेंट (जो मतदान के समाप्त होने पर मतदान केंद्र पर उपस्थित होते हैं) को देना अनिवार्य है. इस कानूनी आवश्यकता में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, मतदान प्रतिशत रुझान की वीटीआर ऐप को अपडेट करने की प्रक्रिया को तेजी से अपडेट करने के लिए सुव्यवस्थित किया जा रहा है. यह ऐप जनता को अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझानों से अवगत कराने के लिए एक सुविधाजनक, गैर-वैधानिक तंत्र के रूप में विकसित की गई थी.
इस नई पहल के तहत, प्रत्येक मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी (पीआरओ) अब मतदान के दिन प्रत्येक दो घंटे में नए ईसीआईएनईटी ऐप पर सीधे मतदाताओं की उपस्थिति दर्ज करेंगे ताकि अनुमानित मतदान रुझानों के अद्यतन में समय अंतराल को कम किया जा सके. इसे स्वचालित रूप से निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर एकत्रित किया जाएगा. अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझान पहले की तरह प्रत्येक दो घंटे में अपडेट होते रहेंगे.
विशेष रूप से, मतदाता उपस्थिति डेटा अब मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद पीठासीन अधिकारी द्वारा मतदान केंद्र छोड़ने से पहले ईसीआईएनईटी में दर्ज किया जाएगा, जिससे देरी कम होगी और यह सुनिश्चित होगा कि नेटवर्क कनेक्टिविटी के अधीन मतदान समाप्त होने के बाद अद्यतन किए गए वीटीआर ऐप पर निर्वाचन क्षेत्रवार डाले गए मतों का अनुमानित प्रतिशत उपलब्ध होगा. जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, वहां कनेक्टिविटी बहाल होने तक प्रविष्टियां ऑफलाइन की जा सकती हैं और अपडेट की जा सकती है.
इससे पहले, सेक्टर अधिकारियों द्वारा हाथ से लिखे हुए रूप में मतदान डेटा एकत्र किया जाता था और फोन कॉल, एसएमएस या मैसेजिंग ऐप के माध्यम से रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को रिले किया जाता था. यह जानकारी प्रत्येक दो घंटे में एकत्र की जाती थी और वोटर टर्नआउट (वीटीआर) ऐप पर अपलोड की जाती थी.
मतदान प्रतिशत के रुझान अक्सर घंटों बाद अपडेट किए जाते थे, जो देर रात या अगले दिन आने वाले लिखित रिकॉर्ड पर आधारित होते थे, जिससे 4-5 घंटे या उससे अधिक की देरी होती थी और इस कारण कुछ लोगों में गलतफहमियां पैदा होती थीं.
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एसके/जीकेटी
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