New Delhi, 2 सिंतबर . आज के समय में स्वास्थ्य की चिंता हर किसी की पहली प्राथमिकता बन चुकी है. ऐसे में प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारी के बारे में जागरूकता भी बढ़ रही है. यह कैंसर पुरुषों को प्रभावित करता है.
कई बार यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए शुरुआती दौर में इसे पहचानना और सही इलाज कराना बेहद जरूरी होता है. अगर समय पर सही कदम उठाए जाएं तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और मरीज स्वस्थ जीवन जी सकता है. इसके लिए जरूरी है कि लोग प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों और इलाज के तरीकों को समझें.
अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, प्रोस्टेट शरीर में एक छोटी सी ग्रंथि होती है, जो पुरुषों के प्रजनन तंत्र का हिस्सा है. यह ग्रंथि मूत्राशय के नीचे और पुरुषों की मूत्र नली के आसपास होती है. जब इस ग्रंथि में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो इसे प्रोस्टेट कैंसर कहते हैं.
अधिकतर मामलों में, शुरुआती समय में इस कैंसर के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ आम लक्षण जो दिख सकते हैं, उनमें बार-बार पेशाब आना, पेशाब करने में जलन या दर्द, पेशाब रोकने में दिक्कत, और रात को ज्यादा बार पेशाब आना शामिल हैं. इसके अलावा, कुछ मरीजों को कमर या कूल्हे में दर्द भी हो सकता है.
यह बीमारी खासतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होती है, और ज्यादातर 50 साल से ऊपर के पुरुषों को इसका खतरा होता है. इसके लिए नियमित जांच बहुत जरूरी है.
प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए डॉक्टर कुछ खास टेस्ट करते हैं, जैसे कि डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन, जिसमें डॉक्टर सीधे हाथ से प्रोस्टेट की जांच करते हैं. इसके अलावा, खून में पीएसए (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) नामक पदार्थ की मात्रा मापी जाती है. पीएसए बढ़ने पर अधिक जांच की जरूरत होती है.
अगर बीमारी शुरुआती स्टेज में पकड़ी जाए, तो उसे ठीक करना आसान होता है. इलाज में कई विकल्प होते हैं, जैसे कि सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, और हार्मोन थेरेपी. कुछ मरीजों के लिए डॉक्टर केवल निगरानी और नियमित जांच की सलाह भी देते हैं.
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पीके/एबीएम
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