पहाड़ी राज्यों पर लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने लोगों की ज़िंदगी में कहर ला दिया है। हिमाचल और उसके पड़ोसी राज्यों में बादल फटने की घटनाएं लोगों के दिलों को दहला रही हैं। इन भयावह हालातों में कई मासूम जिंदगियां समय से पहले ही थम गईं। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण भूस्खलन, सड़कें बंद और इमारतें ढहने की घटनाएं सामने आ रही हैं। अब भारतीय मौसम विभाग ने एक बार फिर मंगलवार को हिमाचल के कुछ हिस्सों के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है, जो स्थिति की गंभीरता को बयां करता है।#WATCH | Morning visuals from Himachal Pradesh's Mandi, where the water level in the River Beas has risen due to incessant heavy rainfall in the State.
— ANI (@ANI) July 1, 2025
A 'red alert' for heavy to very heavy rainfall has been issued in the district. pic.twitter.com/pgCJC8yIR9
शिमला, मनाली, कुल्लू, कुफरी, बिलासपुर, चंबा, धर्मशाला, हमीरपुर जैसे पर्यटन और जनजीवन से जुड़े जिलों में अगले दो दिनों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। जून में हुई 135 मिमी बारिश, जो औसतन 101 मिमी से 34 प्रतिशत ज्यादा रही, ने 1901 के बाद का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 21वीं सबसे ज्यादा दर्ज की गई जून की बारिश बन गई है।
अलग-अलग जिलों की 285 सड़कें बंद
राज्य आपातकालीन केंद्र के अनुसार, आसमान से बरसी तबाही के बाद हिमाचल में 285 सड़कें बंद हो चुकी हैं। अकेले मंडी की 129 और सिरमौर की 92 सड़कें इसकी गवाही देती हैं। इसके साथ ही 614 ट्रांसफार्मर और 130 वॉटर सप्लाई स्कीम भी ठप पड़ी हैं। मानसून की एंट्री 20 जून को हुई थी और तब से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 17 की जान सड़क हादसों में गई।
5 सेकंड में 5 मंजिला इमारत जमींदोज
सोमवार को शिमला के पास भट्टाकुफर में एक पांच मंजिला इमारत सिर्फ 5 सेकंड में ताश के पत्तों की तरह ढह गई। सौभाग्य से पहले ही इमारत को खाली करवा लिया गया था। बिलासपुर के एक सरकारी स्कूल में बाढ़ आ गई और 130 से ज्यादा बच्चों को घर भेजा गया। जुंगा के प्राथमिक स्कूल में भी बच्चे डर के मारे सहमे दिखे। इस वजह से कई स्कूलों को सावधानीवश बंद कर दिया गया है। रामपुर में बादल फटा, जिससे दो गौशालाएं और मवेशी बह गए, हालांकि इंसानी जान का नुकसान नहीं हुआ।
भूस्खलन और पत्थरों की मार
शिमला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पांच जगहों पर भूस्खलन और पत्थर गिरने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे आवाजाही सीमित हो गई है। सोलन के सुबाथू-वाकनाघाट और चंडीगढ़-मनाली मार्ग पर पंडोह के पास कैंची मोड़ भी प्रभावित हुआ। सोलन के डिप्टी कमिश्नर ने 24 घंटे मशीनरी की तैनाती का आदेश दिया है ताकि जल्द से जल्द रास्ते साफ किए जा सकें।
करसोग में बादल फटा, गांवों में बहा जीवन
मंडी के करसोग में फटा बादल पंजराट और मेगली गांवों में तबाही लेकर आया। पानी ने नाले का रास्ता छोड़ गांव की गलियों में बहना शुरू कर दिया। करीब 8 घर और दो दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। करसोग बाईपास की सड़क भी बुरी तरह टूटी पड़ी है।
डर के साए में बीती रातें
पंडोह में नाला इतना तेज बहा कि लोगों को आधी रात को घर छोड़कर सड़कों पर भागना पड़ा। पुलिस कैंप ने लोगों को ठिकाना दिया। धर्मपुर में नदी का पानी 20 फीट ऊपर बहा और बाजार तथा बस अड्डा डूब गया। थुनाग में तो सड़क ही नाले में तब्दील हो गई। लोगों के घरों में पानी घुस गया और पूरी रात जागते हुए काटनी पड़ी। इस पूरी स्थिति ने एक बार फिर औद्योगिक और आपदा प्रबंधन ढांचे की चुनौती को उजागर कर दिया है। लोगों की आंखों में अब सिर्फ डर है, उम्मीदें बचाव दलों और प्रशासन के भरोसे टिकी हैं।
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