वॉशिंगटन। अमेरिका में एक बार फिर राजनीतिक गतिरोध के चलते सरकार का कामकाज ठप हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली सरकार जरूरी फंडिंग बिल को पारित कराने में नाकाम रही, जिसके चलते मंगलवार रात 12:01 बजे से आधिकारिक तौर पर शटडाउन शुरू हो गया। यह अमेरिका के इतिहास का 15वां शटडाउन है और इसके चलते सैकड़ों सरकारी एजेंसियों में कामकाज पूरी तरह से रुक गया है।
राष्ट्रपति ट्रंप को यह बिल पारित कराने के लिए सीनेट में 60 वोटों की ज़रूरत थी, लेकिन उनके पास आवश्यक समर्थन नहीं था। भले ही रिपब्लिकन पार्टी के पास सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स दोनों में बहुमत है, लेकिन इस विशेष विधेयक के लिए उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सदस्यों का समर्थन भी चाहिए था — जो नहीं मिल सका।
डेमोक्रेट नेताओं ने सोमवार को ट्रंप से मुलाकात की थी, लेकिन बातचीत का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इस बैठक के कुछ घंटों बाद, ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक AI-जनरेटेड वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने सीनेट के अल्पसंख्यक नेता चक शूमर और प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक नेता हकीम जेफ्रीज का मज़ाक उड़ाया। यह कदम राजनीतिक माहौल को और तनावपूर्ण बना गया।
इसके बाद मंगलवार को ट्रंप ने बयान जारी कर डेमोक्रेट्स पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें एक बार भी झुकते नहीं देखा। अगर सरकार बंद होती है, तो हम लोगों को नौकरी से निकालेंगे। बहुत से लोगों की छंटनी की जाएगी।" उनकी यह टिप्पणी सरकारी कर्मचारियों में दहशत फैलाने वाली रही, खासकर तब जब पहले से ही 1.5 लाख कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत बाहर जा रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं बनीं टकराव की वजह
इस बार शटडाउन के पीछे सबसे बड़ी वजह हेल्थकेयर बजट में कटौती है। डेमोक्रेट पार्टी ने राष्ट्रपति ट्रंप के उस "बिग ब्यूटीफुल बिल" का विरोध किया है जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती की गई थी। डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि यह कटौती वापस ली जाए, खासकर उन सब्सिडी को लेकर जो साल के अंत में खत्म हो रही हैं। उनका कहना है कि इससे लाखों अमेरिकियों की बीमा योजनाएं प्रभावित होंगी।
रिपब्लिकन पार्टी ने डेमोक्रेट्स की इन मांगों को मानने से इनकार कर दिया और केवल 21 नवंबर तक के लिए अल्पकालिक फंडिंग बिल पेश किया, ताकि सरकार कुछ समय और चलाई जा सके। लेकिन विपक्ष ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
जरूरी सेवाएं चलेंगी, लेकिन बाकी पर ताला
शटडाउन के दौरान केवल आवश्यक सेवाएं ही जारी रहेंगी। इनमें सीमा सुरक्षा, कानून प्रवर्तन, और हवाई यातायात नियंत्रण जैसी सेवाएं शामिल हैं। लेकिन बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी फर्लो (अनिवार्य अवकाश) पर भेज दिए जाएंगे, और उन्हें तब तक वेतन नहीं मिलेगा जब तक सरकार दोबारा चालू नहीं हो जाती।
इसके अलावा जिन सेवाओं पर असर पड़ेगा, उनमें शामिल हैं:
—फूड असिस्टेंस प्रोग्राम (खाद्य सहायता योजनाएं)
—सरकारी फंड से चलने वाले प्री-स्कूल (जैसे Head Start)
—खाद्य और औषधि निरीक्षक
—राष्ट्रीय उद्यान और स्मारक स्थल, जो या तो बंद हो सकते हैं या सीमित स्टाफ के साथ संचालित होंगे
अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो हवाई यात्रा भी प्रभावित होगी। कई कर्मचारी वेतन के बिना ड्यूटी करने से इनकार कर सकते हैं, जिससे उड़ानों में देरी और रद्द होने जैसी समस्याएं उत्पन्न होंगी।
इतिहास दोहरा रहा है खुद को
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप के कार्यकाल में शटडाउन हुआ हो। उनके पहले कार्यकाल में 2018-19 के दौरान 35 दिनों तक अमेरिका का सबसे लंबा शटडाउन चला था, जिसका कारण था बॉर्डर वॉल के लिए बजट को लेकर विरोध।
इस बार भी कारण वही है — सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सख्त टकराव और समझौते की कमी। एक ओर ट्रंप प्रशासन स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती को जरूरी बता रहा है, वहीं डेमोक्रेट्स इसे आम जनता के हितों के खिलाफ मान रहे हैं।
कोई समाधान नहीं दिख रहा
फिलहाल रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच समझौते की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। सीनेट में रिपब्लिकन नेता जॉन थ्यून ने कहा कि सप्ताह के अंत में फिर से प्रयास किया जाएगा, लेकिन दोनों पक्षों के रुख से कोई नरमी के संकेत नहीं मिल रहे।
इस शटडाउन से पहले का फंडिंग बिल 21 नवंबर तक सरकार चलाने के लिए था, जिसे डेमोक्रेट्स ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें हेल्थ सब्सिडी को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। सरकार का कुल बजट करीब 7 ट्रिलियन डॉलर है, जिसमें से 1.7 ट्रिलियन डॉलर की राशि ही विवादित है। बाकी का बजट स्वास्थ्य सेवाओं, पेंशन और कर्ज पर ब्याज जैसे मदों में पहले से तय है।
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