भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिनों तक चले सैन्य टकराव में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इसमें पाकिस्तानी सेना के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को मार गिराने और इस्लामाबाद के पास स्थित प्रमुख सैन्य अड्डों को नुकसान पहुंचाने जैसी बड़ी कार्रवाइयाँ शामिल हैं। रविवार (11 मई 2025) को इस बाबत सेना ने जानकारी दी। DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के अनुसार, इस संघर्ष में 35 से 40 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और भारत ने अपने सभी निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लिए हैं। उन्होंने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान ने दोबारा कोई दुस्साहस किया, तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
भारतीय सेना ने यह माना कि उसे भी कुछ हल्का नुकसान हुआ है, लेकिन ऑपरेशन अभी जारी होने के कारण अधिक विवरण साझा करने से इनकार कर दिया गया। एयर मार्शल ए.के. भारती ने प्रेस से बातचीत में कहा, “हम एक युद्ध की स्थिति में हैं और नुकसान इसमें शामिल होता है। सवाल यह है कि क्या हमने अपने टारगेट पूरे किए? इसका जवाब है – हां।” उन्होंने आगे बताया कि निर्धारित सभी लक्ष्य पूरे किए गए और सभी पायलट सुरक्षित अपने अड्डों पर लौट आए हैं। उन्होंने विदेशी मीडिया में भारतीय विमानों के नुकसान की खबरों पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।
100 से अधिक आतंकवादी ढेर
भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक साझा प्रेस वार्ता में 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी दी, जिसके तहत पाकिस्तान की ओर से भारतीय सैन्य ठिकानों और नागरिक इलाकों को निशाना बनाने की साजिश को नाकाम किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल घई ने बताया कि IC-814 के अपहरण और पुलवामा हमले से जुड़े यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद सहित 100 से ज्यादा आतंकियों को 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर में ढेर कर दिया गया।
पाक विमानों का क्या हुआ?
एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने कुछ पाकिस्तानी विमानों को अवश्य निशाना बनाया, लेकिन उन्होंने संख्या बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "पाकिस्तानी विमान हमारी सीमा में प्रवेश नहीं कर पाए, इसलिए उनके मलबे हमारे पास नहीं हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि हमने कुछ को गिराया है।"
हर खतरे का डटकर सामना करेंगे
डीजीएमओ घई ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहीद हुए पांच भारतीय जवानों और नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत अब तक संयम से काम लेता रहा है, लेकिन यदि संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता या नागरिकों की सुरक्षा पर कोई खतरा उत्पन्न हुआ तो उसे निर्णायक ढंग से पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा।
पाक को कितना नुकसान हुआ?
पाकिस्तानी सेना को हुए नुकसान के बारे में डीजीएमओ ने कहा कि 35 से 40 पाक सैनिक मारे गए हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की ओर से उनके समकक्ष अधिकारी ने शनिवार दोपहर फोन कर संघर्ष रोकने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच शाम 5 बजे एक सहमति बनी, जिसके अनुसार जमीनी, हवाई और समुद्री क्षेत्रों में गोलीबारी व सैन्य कार्रवाई रोक दी गई।
पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हुए हमले
भारतीय सेना ने यह भी बताया कि 10 मई की सुबह रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियन सहित कई पाकिस्तानी सैन्य अड्डों पर जवाबी हमले किए गए। ये हमले पाकिस्तानी सेना द्वारा 9-10 मई की रात भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के प्रयासों के बाद किए गए थे। सेना ने बताया कि नौ आतंकवादी अड्डों की पहचान कर उन पर सटीक हमले किए गए।
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य क्या था?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ 6 मई की आधी रात के बाद शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों को सजा देना था। लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा कि इस ऑपरेशन की रूपरेखा बहुत ही स्पष्ट सैन्य उद्देश्य के साथ बनाई गई थी – आतंकी हमलों के पीछे के अपराधियों और योजनाकारों को निशाना बनाना। उन्होंने बताया कि सीमा पार के आतंकी ढांचों की बारीकी से निगरानी की गई और आतंकी कैंपों की पहचान कर कार्रवाई की गई।
नेवी की भूमिका और जवाबी रणनीति
नौसेना की भूमिका के बारे में जानकारी देते हुए वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद भारतीय नौसेना ने अपने वाहक युद्ध समूह, पनडुब्बियाँ और विमानन संसाधनों को पूर्ण युद्ध तत्परता के साथ समुद्र में तैनात किया। नौसेना उत्तरी अरब सागर में अग्रिम मोर्चे पर ‘निरोधक और प्रतिरोधक’ स्थिति में तैनात रही और वह कराची समेत समुद्र और धरती पर चुने हुए लक्ष्यों पर हमला करने के लिए तैयार है।
नेवी ने पाकिस्तान को कैसे किया रक्षात्मक?
वाइस एडमिरल प्रमोद के अनुसार, भारतीय नौसेना की रणनीतिक और अग्रिम मोर्चे पर की गई तैनाती ने पाकिस्तानी नौसेना और वायुसेना इकाइयों को पूरी तरह से रक्षात्मक स्थिति में आने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तानी जहाज और विमान अधिकतर अपने बंदरगाहों के भीतर या तटीय क्षेत्रों के बेहद करीब ही सीमित रह गए। उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना ने पूरे अभियान के दौरान समुद्री क्षेत्र में अपनी सतत उपस्थिति बनाए रखी और दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी। डीजीएनओ ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की रणनीति में समुद्र के ऊपर और भीतर, दोनों से आक्रामक कार्रवाई करने की नौसेना की पूरी क्षमता को ध्यान में रखा गया था, और उसी के अनुरूप सभी विकल्पों पर गहराई से विचार किया गया।
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