अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कनाडा पर नए टैरिफ की घोषणा और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा कर दी है। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी साफ दिखाई दिया, जहां शुक्रवार सुबह बाजार गिरावट के साथ खुले। अनिश्चितता भरे इस माहौल में निवेशकों का रुख सतर्क नजर आ रहा है।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट, मिडकैप और स्मॉलकैप में भी दबाव
शुक्रवार को बाजार के शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 216 अंक या 0.26% की गिरावट के साथ 82,973 पर खुला, जबकि निफ्टी 51 अंक या 0.19% की कमजोरी के साथ 25,310 पर था। इससे साफ है कि विदेशी नीतिगत फैसलों का सीधा असर भारतीय बाजार की चाल पर पड़ रहा है।
लार्जकैप शेयरों के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी बिकवाली का रुख देखा गया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 78 अंक की गिरावट के साथ 59,081 पर और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 27 अंक नीचे 18,928 पर कारोबार करता नजर आया।
सेंसेक्स के गेनर शेयरों में एचयूएल, एशियन पेंट्स, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, पावर ग्रिड, टाटा स्टील, एसबीआई, अदाणी पोर्ट्स, सन फार्मा और आईटीसी प्रमुख रहे। वहीं टीसीएस, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, एमएंडएम, एचसीएल टेक, भारती एयरटेल और बजाज फिनसर्व टॉप लूजर्स में शामिल रहे।
सेक्टर आधारित प्रदर्शन
पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी और मेटल सेक्टर के शेयर हरे निशान में दिखाई दिए। वहीं ऑटो, आईटी, रियल्टी और मीडिया सेक्टर के स्टॉक्स में गिरावट देखने को मिली, जिससे बाजार की चाल असंतुलित बनी रही।
चॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए ट्रेडर्स को 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपनाने की सलाह दी है। उनका कहना है कि इस तरह के बाजार में लाभ दिखते ही आंशिक मुनाफा वसूली और ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का पालन करना समझदारी होगी।
एशियाई बाजारों में मिला-जुला रुख
एशियाई बाजारों की बात करें तो जापान के निक्केई 225 और कोरिया के कोस्पी में सपाट कारोबार हुआ, जबकि चीन के शंघाई कंपोजिट और हांगकांग के हैंगसेंग में 1% से अधिक की तेजी देखने को मिली। यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के मनोबल का मिश्रित संकेत देता है।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा पर 35% टैरिफ लगाने की घोषणा और चेतावनी कि यदि जवाबी कार्रवाई की गई तो और अधिक टैरिफ लागू होंगे, ने व्यापारिक तनाव को बढ़ा दिया है। यह नीति 1 अगस्त से प्रभावी होगी और इसका असर वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर पड़ना तय है।
एफआईआई और डीआईआई की स्थिति
10 जुलाई को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 221 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 591 करोड़ रुपये की खरीदारी की। यह दर्शाता है कि घरेलू निवेशक बाजार को लेकर कुछ हद तक सकारात्मक नजरिया बनाए हुए हैं।
ट्रंप की टैरिफ नीति से उपजी वैश्विक अनिश्चितता ने भारतीय शेयर बाजार में भी घबराहट का माहौल पैदा कर दिया है। हालांकि कुछ सेक्टर्स में स्थिरता दिख रही है, लेकिन व्यापक रूप से निवेशकों को फिलहाल सतर्कता और रणनीतिक निवेश का ही रुख अपनाना चाहिए। आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर रखना बेहद जरूरी होगा।
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