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ऑफिस चेयर सिंड्रोम: चुपचाप बिगड़ती हड्डियों की बनावट का जिम्मेदार

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बदलती कार्यशैली और तकनीक के बढ़ते उपयोग ने जीवन को आसान जरूर बनाया है, लेकिन इसके दुष्परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं। खासकर वे लोग जो ऑफिस में दिन के 8–10 घंटे लगातार कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठते हैं, वे आजकल एक नई स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं — ऑफिस चेयर सिंड्रोम। सुनने में भले ही यह कोई गंभीर बीमारी न लगे, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह धीरे-धीरे हड्डियों की शेप, मांसपेशियों की मजबूती और शरीर की मुद्रा (Posture) को बिगाड़ सकता है।

क्या है ऑफिस चेयर सिंड्रोम?
यह कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि लंबे समय तक बैठकर काम करने से पैदा होने वाली समस्याओं का समूह है। इसमें गर्दन में अकड़न, कंधों में जकड़न, पीठ और कमर में दर्द, आंखों में थकान, हाथ-पैरों में सुन्नता और सबसे अहम – हड्डियों की प्राकृतिक आकृति का बिगड़ना शामिल है।

विशेषज्ञ इसे एक “स्लो डैमेज” कहते हैं, जो समय के साथ शरीर को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, खासकर उन लोगों में जो घंटों एक ही मुद्रा में बैठे रहते हैं।

कैसे बिगड़ती है हड्डियों की शेप?
डॉक्टरों के अनुसार, हमारी हड्डियां एक सक्रिय ऊतक होती हैं, जो हलचल और दबाव के प्रति प्रतिक्रिया करती हैं। जब शरीर लंबे समय तक निष्क्रिय यानी बैठे हुए स्थिति में रहता है, तो हड्डियों पर जरूरी भार नहीं पड़ता। इससे उनकी घनता (Bone Density) घटने लगती है।

गलत मुद्रा में बैठने से रीढ़ की हड्डी पर असामान्य दबाव पड़ता है, जिससे उसकी प्राकृतिक वक्रता (curve) बिगड़ जाती है। कंधे आगे झुकने लगते हैं, गर्दन नीचे की ओर झुक जाती है, और शरीर का पूरा पॉश्चर असंतुलित हो जाता है। यह स्थिति आगे चलकर स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों को जन्म दे सकती है।

खतरे में युवा पीढ़ी
आज की पीढ़ी, विशेष रूप से कॉर्पोरेट और आईटी सेक्टर में काम करने वाले युवा, इस सिंड्रोम से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 25–40 वर्ष की आयु के लोगों में कमरदर्द, पीठ में अकड़न और गर्दन की जकड़न जैसी शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं।

कैसे बचाव किया जा सकता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिंड्रोम कोई लाइलाज समस्या नहीं है, बशर्ते समय रहते चेतावनी ली जाए।

नीचे दिए गए सुझाव पालन करके इससे बचा जा सकता है:

हर 30 से 40 मिनट में ब्रेक लें, 2–3 मिनट टहलें या स्ट्रेचिंग करें।

कार्यस्थल पर एर्गोनॉमिक चेयर और सही ऊंचाई की मेज का उपयोग करें।

स्क्रीन की ऊंचाई आंखों के स्तर पर होनी चाहिए।

प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम या योग करें।

बैठने के दौरान पीठ सीधी रखें और पैर ज़मीन पर टिके हों।

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