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लोको-पायलट से लगातार 13-14 घंटे काम करवा रहे अधिकारी, रेलवे की जांच में हुआ खुलासा

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नई दिल्ली: दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) की एक जांच में कुछ गंभीर गड़बड़ियां मिली हैं। इसके मुताबिक क्रू लॉबी के अधिकारी मालगाड़ी के लोको पायलटों से लगातार 13-14 घंटे काम करवा रहे थे। इतना ही नहीं, उनसे गलत समय का रिकॉर्ड भी भरवाया जा रहा था। रेलवे के नियमों के अनुसार एक लोको पायलट को लगातार 11 घंटे से ज्यादा काम करने के लिए नहीं कहा जा सकता। लेकिन जांच के मुताबिक इन नियमों का उल्लंघन हो रहा था।यह जांच तब शुरू हुई जब सिकंदराबाद डिवीजन में मालगाड़ी के एक लोको पायलट ने पिछले हफ्ते ड्यूटी पर आने से इनकार कर दिया। उसका कहना था कि उन्हें पर्याप्त आराम का समय नहीं दिया गया। जब उसके ड्यूटी शेड्यूल का विश्लेषण किया गया, तो पाया गया कि क्रू मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) रिपोर्ट के अनुसार उसके काम के घंटे 13.55 घंटे थे। CMS एक तरह का सॉफ्टवेयर है जिससे पता चलता है कि कौन कितने घंटे काम कर रहा है। क्रू को नहीं मिलता आरामSCR ने इस बारे में एक पत्र जारी किया है। पत्र में जांच के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह एक गंभीर अनियमितता है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। पत्र में आगे कहा गया है कि इससे क्रू को पर्याप्त आराम नहीं मिलता। यह ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के खिलाफ है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें।पत्र में यह भी कहा गया है कि लोको पायलट ने पुष्टि की है कि उसके वास्तविक काम के घंटे 14:26 घंटे थे। लेकिन CMS में 14 घंटे से ज्यादा काम न दिखे, इसलिए 31 मिनट काट दिए गए। जांच में यह भी पता चला कि लगभग 620 ऐसे मामले थे जिनमें मालगाड़ी के लोको पायलटों ने लगभग 14 घंटे काम किया था। इनमें से 545 मामले तो सिर्फ सिकंदराबाद डिवीजन में ही थे।सर्कुलर में लिखा है कि इतनी बड़ी संख्या में मामले (13.55-14 घंटे के बीच काम के घंटे) बताते हैं कि क्रू को साइन ऑफ करते समय गलत समय भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। लोको पायलट को ड्यूटी खत्म होने पर रजिस्टर में एंट्री करनी पड़ती है जिसे साइन ऑफ कहते हैं।
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