दुनिया के कुछ देशों को भारतीय छात्रों के लिए फ्रेंडली या कहें दोस्ताना माना जाता है। किसी देश को फ्रेंडली बताने के लिए चार बातों का ख्याल रखा जाता है, जिसमें पहला पढ़ाई का कम खर्च, यानी बड़े देशों की तुलना में यहां पढ़ना किफायती हो। दूसरा छात्रों के लिए अनुकूल होना, यानी दुनियाभर से स्टूडेंट्स को आने देना। छात्रों के परिवार को आने की इजाजत देना और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा देना भी जरूरी है। ऐसे में आइए दुनिया के 6 ऐसे देशों के बारे में जानते हैं, जो फ्रेंडली और सबसे अच्छे माने जाते हैं।
जर्मनी

जर्मनी में हायर एजुकेशन विदेशी छात्रों के लिए भी फ्री है। यहां पर सरकारी यूनिवर्सिटीज में कोई फीस नहीं ली जाती है। इसके अलावा, यहां कई अंग्रेजी में पढ़ाए जाने वाले कोर्स हैं। टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में नौकरी के अवसर भी हैं। यहां की संस्कृति भी बहुत अच्छी है। ICEF की एक रिपोर्ट बताती है कि जर्मनी विदेशी छात्रों पर किए गए निवेश से आठ गुना तक लाभ कमाता है। लगभग 65% छात्र ग्रेजुएशन के बाद जर्मनी में रहना चाहते हैं। (Pexels)
रूस
रूसी सरकार विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वे अगले कुछ सालों में छात्रों की संख्या 40% से ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं। 2030 तक छात्रों की संख्या को 3,55,000 से 5,00,000 तक लेकर जाना है। रूस ट्यूशन फीस, आवास, मेडिकल इंश्योरेंस और अन्य भत्ते जैसे ग्रांट पैकेज देने की योजना बना रहा है। यहां की सरकार विदेशी छात्रों के लिए कोटा बढ़ाना चाहती है। साथ ही अंग्रेजी में पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज बढ़ाए जा रहे हैं। (Pexels)
न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड की एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत वह 2027 तक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के माध्यम से 4.4 बिलियन न्यूजीलैंड डॉलर का आर्थिक योगदान हासिल करना चाहता है। इसे सफल बनाने के लिए सरकार विदेशी छात्रों को लाने के प्रयास कर रही है। वे उन लोगों को भर्ती कर रहे हैं, जिनके पास ग्रीन लिस्ट में डिग्री है। ग्रीन लिस्ट में हेल्थकेयर, STEM और अन्य जैसे क्षेत्र शामिल हैं जिनकी बहुत मांग है। (Pexels)
फ्रांस
फ्रांस हमेशा से ही पढ़ाई के लिए एक लोकप्रिय जगह रहा है। अब, सरकार Bienvenue en France योजना के तहत 2027 तक 5,00,000 विदेशी छात्रों को लाने की योजना बना रही है। इसके अलावा, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक नया लक्ष्य घोषित किया है। वे 2030 तक 30,000 भारतीय छात्रों का स्वागत करना चाहते हैं। यह भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते का हिस्सा है। (Pexels)
ताइवान

जानकारों का मानना है कि ताइवान 2025 तक एक 'सुपर-एज्ड' समाज बन जाएगा। इसका मतलब है कि 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोग आबादी का 20% से अधिक होंगे। इससे समाज और अर्थव्यवस्था में कई चुनौतियां आएंगी। इसका समाधान विदेशी छात्र हैं। यहां रहने का खर्च कम है और यूनिवर्सिटीज बहुत अच्छी हैं। इसके अलावा, देश न्यू साउथबाउंड पॉलिसी (NSP) के जरिए ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्रों को आकर्षित करना चाहता है। (Pexels)
दक्षिण कोरिया
ताइवान की तरह ही दक्षिण कोरिया भी एक ऐसा देश है, जहां आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। ऐसे में उन्हें अपने यहां विदेशी छात्र चाहिए, ताकि उन्हें डिग्री देकर यहीं पर नौकरी के लिए रोका जा सके। दक्षिण कोरिया का लक्ष्य 2027 तक 3,00,000 विदेशी छात्र लाना है। यह Study Korea 300K प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इससे दक्षिण कोरिया 2027 तक दुनिया के टॉप 10 स्टडी अब्रॉड डेस्टिनेशन में से एक बन जाएगा। (Pexels)
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