नई दिल्ली : गाजीपुर स्लॉटर हाउस पर पिछले कई सालों से उड़ाई जा रही है एनजीटी के आदेशों की धज्जियां। दरअसल, एमसीडी को गाजीपुर स्लॉटर हाउस पर जानवरों के पेट और आंतों से निकलने वाले वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस करने के लिए इन्जेस्टा प्लांट लगाना था, लेकिन अब तक गाजीपुर स्लॉटर हाउस में यह प्लांट नहीं लग पाया। इस वजह से जानवरों के पेट और आंतों से निकलने वाले पचे हुए और अधपचे भोजन को सही तरीके से प्रोसेस नहीं किया जा रहा है।
7 जुलाई को होनी है सुनवाई
आगामी सात जुलाई को एनजीटी में इस मामले में की सुनवाई होनी है। सूत्रों ने बताया कि 27 जून को हुई स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में जितने एजेंडे लगे थे उनमें से के 11 इन्जेस्टा प्लांट लगाने का अजेंडा भी था, लेकिन किन्हीं कारणों से यह पास नहीं हो पाया।
एनजीटी के अपनाए कड़े रुख
एनजीटी ने इस पर काफी सख्त रुख अपनाया हुआ है और एनजीटी के आदेश पर गाजीपुर स्लॉटर हाउस को सील भी किया जा चुका है। एनजीटी के कड़े रुख के कारण ही प्लांट पर घुलाई में ग्राउंड वॉटर के इस्तेमाल पर रोक लग पाई। एनजीटी ने इन्जेस्टा प्लांट लगाने को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया हुआ है, लेकिन जब भी मामले की सुनवाई होती है अधिकारी एक नया बहाना बनाने लगते है। इस वजह से अब तक यह प्लांट नहीं लग पाया।
अधिकारियों की उड़ गई नींद
अजेंडा पोस्टपोन होने से पशु विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ गई है। क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि स्टैंडिंग कमिटी से अजेंडा पास हो जाता है तो एनजीटी अधिकारी अपना बचाव कर सकते थे, लेकिन एक बार फिर पुरानी स्थिति पैदा हो गई है।
क्या होता है इन्जेस्टा प्लांट, क्या हैं फायदे?
एमसीडी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि स्लॉटर हाउस में इन्जेस्टा प्लांट एक ऐसा प्लांट या यूनिट होता है जो जानवरों के पेट और आंतों में मौजूद वेस्ट (पचा या अधपचा भोजन, गैस, मल) को प्रोसेस करने के लिए लगाया जाता है। इसे इन्जेस्टा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह उस सामग्री से जुड़ा होता है जो जानवरों खाते हैं। प्लांट के एक नहीं कई फायदे होते हैं। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से देखा जाए तो इस प्लांट के माध्यम से ऑर्गेनिक वेस्ट का सुरक्षित निपटान होता है। इससे बीमारियों की रोकथाम होती है। जानवरों के पेट से निकलने वाले वेस्ट को खुले में फेंका या पानी में बहाया जाएगा तो इससे बदबू और बैक्टीरिया की बढ़ सकते हैं।
7 जुलाई को होनी है सुनवाई
आगामी सात जुलाई को एनजीटी में इस मामले में की सुनवाई होनी है। सूत्रों ने बताया कि 27 जून को हुई स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में जितने एजेंडे लगे थे उनमें से के 11 इन्जेस्टा प्लांट लगाने का अजेंडा भी था, लेकिन किन्हीं कारणों से यह पास नहीं हो पाया।
एनजीटी के अपनाए कड़े रुख
एनजीटी ने इस पर काफी सख्त रुख अपनाया हुआ है और एनजीटी के आदेश पर गाजीपुर स्लॉटर हाउस को सील भी किया जा चुका है। एनजीटी के कड़े रुख के कारण ही प्लांट पर घुलाई में ग्राउंड वॉटर के इस्तेमाल पर रोक लग पाई। एनजीटी ने इन्जेस्टा प्लांट लगाने को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया हुआ है, लेकिन जब भी मामले की सुनवाई होती है अधिकारी एक नया बहाना बनाने लगते है। इस वजह से अब तक यह प्लांट नहीं लग पाया।
अधिकारियों की उड़ गई नींद
अजेंडा पोस्टपोन होने से पशु विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ गई है। क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि स्टैंडिंग कमिटी से अजेंडा पास हो जाता है तो एनजीटी अधिकारी अपना बचाव कर सकते थे, लेकिन एक बार फिर पुरानी स्थिति पैदा हो गई है।
क्या होता है इन्जेस्टा प्लांट, क्या हैं फायदे?
एमसीडी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि स्लॉटर हाउस में इन्जेस्टा प्लांट एक ऐसा प्लांट या यूनिट होता है जो जानवरों के पेट और आंतों में मौजूद वेस्ट (पचा या अधपचा भोजन, गैस, मल) को प्रोसेस करने के लिए लगाया जाता है। इसे इन्जेस्टा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह उस सामग्री से जुड़ा होता है जो जानवरों खाते हैं। प्लांट के एक नहीं कई फायदे होते हैं। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से देखा जाए तो इस प्लांट के माध्यम से ऑर्गेनिक वेस्ट का सुरक्षित निपटान होता है। इससे बीमारियों की रोकथाम होती है। जानवरों के पेट से निकलने वाले वेस्ट को खुले में फेंका या पानी में बहाया जाएगा तो इससे बदबू और बैक्टीरिया की बढ़ सकते हैं।
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