नई दिल्ली : भारतीय सेना दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन पर देश की पहरेदारी मुस्तैदी से कर रही है। मगर, इसके साथ ही वह ऐसा काम भी कर रही है, जिसकी पूरी दुनिया में सराहना होती है। भारतीय सेना को सीमाओं का रखवाला तो आपदा में देवदूत कहा ही जाता है, मगर वह कई जीवों की रक्षक भी है। सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है, जो किसी को भी प्रेरित कर सकती है।
यूं ही नहीं हम जवानों को धरती का देवदूत बोलते हैं
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने वीडियो पोस्ट लिखा-आज की सबसे सुंदर तस्वीर। यूं ही नहीं हम अपने जवानों को धरती का देवदूत बोलते हैं। सियाचिन की कठिन पहाड़ियों में भारतीय सेना की बड़ी दिलेरी। सेना के जवानों ने एक हिमालयी भूरे रंग के भालू के बच्चे को बचाया, जिसका सिर एक कैन में फंसा हुआ था। सेना की करुणा और साहस को सलाम। लास्ट वाला हिस्सा जरूर देखना।
यह वीडियो कब का है, जो फिर हो रहा वायरल
यह वीडियो फिर वायरल हो रहा है। जब यह सवाल ग्रोक से पूछा गया तो उसने बताया कि यह वीडियो नवंबर 2024 का है, जिसमें भारतीय सेना ने हिमालयी भूरे भालू के बच्चे को कैन से निकाला था। यह सच्ची घटना है, लेकिन सियाचिन में यह किस जगह का वीडियो है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
उत्तराखंड आपदा के दौरान सेना बनी देवदूत
thecsrjournal.in के अनुसार, केदारनाथ में त्रासदी, 2013 में 13 जून से लेकर 17 जून के बीच उत्तराखंड में तबाही की बारिश हो रही थी। बादल फटने की वजह से सबकुछ बह गया। बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ। उस वक्त सेना ही देवदूत बनकर आई और युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव अभियान हुआ। इस अभियान को भारतीय सेना का सबसे बड़ा अभियान माना जाता है। सेना के 10 हजार जवान, एयरफोर्स के 30 और सेना के 12 हेलीकॉप्टर बचाव कार्यों में लगे रहे।
केरल में जब भगवान ने संभाला मोर्चा
इसी तरह अगस्त 2018 में केरल में भयानक बाढ़ आई। इस दौरान जब राज्य सरकार राहत बचाव करने में असमर्थ दिखाई दी तो आसमान से भारतीय सेना के जवान देवदूत बनकर जमीन पर उतरे, पानी में घुसे और केरलवासियों के लिए भगवान बनकर आ गए। केरल में बारिश और बाढ़ से मची तबाही में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। बाढ़ के हालात कुछ ऐसे बने कि जिन सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती थीं वहां आज नाव चली, शहर की दुकानें, बाजार, मॉल सब सैलाब में लापता हो गया, इस बीच सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला और ना सिर्फ राहत बचाव किया बल्कि स्थानीय लोगों को मौत के काल से बचाकर सुरक्षित स्थान पर भी पहुंचाया।
नेपाल-अफगानिस्तान में मानवता की मिसाल
अप्रैल 2015 की बता है जब नेपाल में जलजला आया। भूकंप से पूरा नेपाल कांप उठा, पड़ोसी देश नेपाल में दो दिनों तक लगातार आए भूकंप के दौरान भारत ने मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भूकंप आने के मात्र छह घंटे बाद ही नेपाल पहुंचकर भारतीय सेना ने राहत कार्य की मुहिम शुरू कर दी। सेना के सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर-3 जैसे बड़े विमान ना सिर्फ बड़ी मात्रा में राहत सामग्री और बचाव व राहत दल के लोगों को पहुंचाया।भारतीय सेना ने इस अभियान को ‘आपरेशन मैत्री’ नाम दिया था। हाल ही में अफगानिस्तान में आए भूंकप में भी भारतीय सेना ने जमकर मदद की।
यूं ही नहीं हम जवानों को धरती का देवदूत बोलते हैं
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने वीडियो पोस्ट लिखा-आज की सबसे सुंदर तस्वीर। यूं ही नहीं हम अपने जवानों को धरती का देवदूत बोलते हैं। सियाचिन की कठिन पहाड़ियों में भारतीय सेना की बड़ी दिलेरी। सेना के जवानों ने एक हिमालयी भूरे रंग के भालू के बच्चे को बचाया, जिसका सिर एक कैन में फंसा हुआ था। सेना की करुणा और साहस को सलाम। लास्ट वाला हिस्सा जरूर देखना।
आज की सबसे सुंदर तस्वीर।
— Sagar Kumar “Sudarshan News” (@KumaarSaagar) November 4, 2025
यू ही नहीं हम अपने जवानों को धरती का देवदूत बोलते।
सियाचिन की कठिन पहाड़ियों में भारतीय सेना की बड़ी दिलेरी।
सेना के जवानों ने एक हिमालयी भूरे रंग के भालू के बच्चे को बचाया, जिसका सिर एक कैन में फंसा हुआ था।
सेना की करुणा और साहस को सलाम।
लास्ट वाला… pic.twitter.com/rWgxrq3YuU
यह वीडियो कब का है, जो फिर हो रहा वायरल
यह वीडियो फिर वायरल हो रहा है। जब यह सवाल ग्रोक से पूछा गया तो उसने बताया कि यह वीडियो नवंबर 2024 का है, जिसमें भारतीय सेना ने हिमालयी भूरे भालू के बच्चे को कैन से निकाला था। यह सच्ची घटना है, लेकिन सियाचिन में यह किस जगह का वीडियो है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
भारतीय सेना का शानदार विडिओ
— Nehra Ji (@nehraji77) November 3, 2025
सियाचिन मे भारतीय सेना ने एक भालू की जान बचाई pic.twitter.com/Iq0u1C6NbS
उत्तराखंड आपदा के दौरान सेना बनी देवदूत
thecsrjournal.in के अनुसार, केदारनाथ में त्रासदी, 2013 में 13 जून से लेकर 17 जून के बीच उत्तराखंड में तबाही की बारिश हो रही थी। बादल फटने की वजह से सबकुछ बह गया। बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ। उस वक्त सेना ही देवदूत बनकर आई और युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव अभियान हुआ। इस अभियान को भारतीय सेना का सबसे बड़ा अभियान माना जाता है। सेना के 10 हजार जवान, एयरफोर्स के 30 और सेना के 12 हेलीकॉप्टर बचाव कार्यों में लगे रहे।
केरल में जब भगवान ने संभाला मोर्चा
इसी तरह अगस्त 2018 में केरल में भयानक बाढ़ आई। इस दौरान जब राज्य सरकार राहत बचाव करने में असमर्थ दिखाई दी तो आसमान से भारतीय सेना के जवान देवदूत बनकर जमीन पर उतरे, पानी में घुसे और केरलवासियों के लिए भगवान बनकर आ गए। केरल में बारिश और बाढ़ से मची तबाही में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। बाढ़ के हालात कुछ ऐसे बने कि जिन सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती थीं वहां आज नाव चली, शहर की दुकानें, बाजार, मॉल सब सैलाब में लापता हो गया, इस बीच सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला और ना सिर्फ राहत बचाव किया बल्कि स्थानीय लोगों को मौत के काल से बचाकर सुरक्षित स्थान पर भी पहुंचाया।
नेपाल-अफगानिस्तान में मानवता की मिसाल
अप्रैल 2015 की बता है जब नेपाल में जलजला आया। भूकंप से पूरा नेपाल कांप उठा, पड़ोसी देश नेपाल में दो दिनों तक लगातार आए भूकंप के दौरान भारत ने मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भूकंप आने के मात्र छह घंटे बाद ही नेपाल पहुंचकर भारतीय सेना ने राहत कार्य की मुहिम शुरू कर दी। सेना के सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर-3 जैसे बड़े विमान ना सिर्फ बड़ी मात्रा में राहत सामग्री और बचाव व राहत दल के लोगों को पहुंचाया।भारतीय सेना ने इस अभियान को ‘आपरेशन मैत्री’ नाम दिया था। हाल ही में अफगानिस्तान में आए भूंकप में भी भारतीय सेना ने जमकर मदद की।
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