सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में चीनी मिल के बंद होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्षेत्र के करीब 40 हजार किसान/कारोबारी प्रभावित थे। एक तरह से क्षेत्र के किसानों की आर्थिक तौर पर कमर ही टूट गई थी। क्षेत्र के किसानों के लिए गन्ना की खेती काफी लाभप्रद था। हालांकि अब चीनी मिल चालू हो गया है। किसान खुश हैं। किसानों ने चीनी मिल के बंद होने के बाद आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने के लिए गन्ना की खेती छोड़कर वैकल्पिक रूप से कटहल की खेती शुरू किया था, जो अब काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। कटहल की खेती रीगा प्रखंड क्षेत्र के किसान गन्ना की खेती बंद कर कटहल की खेती की ओर आकर्षित होने लगे हैं। वैसे किसान कटहल के पौधे अधिक लगाए हैं या लगा रहे हैं, जिनकी जमीन लखनदेई नदी के किनारे है। बताया गया है कि लखनदेई की पुरानी धार के किनारे बसे गांवों के किसान कटहल की खेती का दायरा बढ़ा रहे हैं। किसानों का मानना है कि योजना बनाकर कटहल की खेती की जाए, तो यह आर्थिक आमदनी का बहुत बड़ा स्रोत हो सकता है। वैसे भी कटहल के अपेक्षा आम की खेती में कम फायदा है। किसानों की माने, तो लखनदेई नदी की पुरानी धार के किनारे की मिट्टी में ऐसा तत्व है, जो कटहल के पैदावार के लिए काफी उपयुक्त है। नदी के किनारे की मिट्टी एक तरह से वरदान साबित हो रही है। एक पेड़ से अच्छी आमदनीगौरतलब है कि नदी के किनारे बसे गांवों के किसानों में एक बार फिर कटहल की खेती के प्रति उत्साहित होने लगे है। किसान मनोज कुमार, दिनेश सिंह और रामाशंकर राय आदि का कहना है कि जिसके पास जितना अधिक कटहल के पेड़ हैं, उस किसान की आमदनी उतनी ही अधिक है। किसानों ने कहा कि कृषि विभाग को उन्नत प्रभेद का कटहल नर्सरी उपलब्ध कराना चाहिए। सरकार को कटहल की खेती में दिलचस्पी लेकर किसानों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि आमदनी के दृष्टिकोण से कटहल की खेती वैज्ञानिक पद्धति से की जा सके। बताया है कि कटहल के एक पेड़ से तीन से चार हजार रुपये की आय हो जाती है। जंगली जानवरों से कोई क्षति नहींदरअसल, कटहल की खेती के प्रति लोगों का रुझान इस लिहाज से भी बढ़ा है कि इसके पौधों को जंगली जानवर जैसे सुअर और नीलगाय कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, जबकि सब्जी की फसल एवं दूसरे खाने वाले फलों के पेड़ों को नीलगाय एवं सूअर आसानी से क्षति पहुंचा देते है। सभी दृष्टिकोण से कटहल का पेड़ लगाना आमदनी की दृष्टिकोण से किसानों के लिए एक अच्छा जरिया बन गया है।
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कटहल की खेती से बढ़ी किसानों की आमदनी, लखनदेई नदी साबित हुई वरदान, जानिए कैसे बंपर कमाई कर रहे किसान
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