Tripura Became Third fully Literate State of India: एक तरह केंद्र सरकार 10वीं 12वीं के बाद स्कूल ड्रॉपआउट करने वाले लाखों स्टूडेंट्स के आंकड़ों को लेकर फिक्र में हैं कि कैसे पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों की मदद की जाए और इसके लिए केंद्रीय सहायता दी जाएगी। देश के 66 शिक्षा बोर्ड्स के 2024 के नतीजों पर हुए एनालिसिस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पिछले साल देशभर में 10वीं 12वीं के 50 लाख से ज्यादा छात्र अगली क्लास में नहीं पहुंचे।
इनमें से करीब 9 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन के बावजूद बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हुए। जहां, सरकार के लिए ड्रॉपआउट स्टूडेंट्स को मुख्यधारा में लाने की चुनौती अब भी बरकरार है। वहीं, इन सबके बीच एक अच्छी खबर भी सामने आ रही है। जहां भारत के एक और स्टेट ने पूर्ण साक्षर राज्यों की लिस्ट में अपनी जगह बना ली है।
त्रिपुरा को मिली ये बड़ी उपलब्धित्रिपुरा सरकार के सूचना एवं सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (Government of Tripura Directorate of Information & Cultural Affairs) द्वारा जारी ऑफिशियल नोटिस के मुताबिक हाल ही में उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा को आधिकारिक तौर पर पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया है। यह उपलब्धि निस्संदेह राज्य के लिए बहुत गर्व की बात है और इसे इसके इतिहास में मील का पत्थर माना जाएगा। इससे पहले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख ने यह सफलता हासिल की थी।
देश के तीसरे पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा
इसी के साथ यह उपलब्धि हासिल करने वाला त्रिपुरा भारत का तीसरा राज्य बन गया है। त्रिपुरा के पूर्ण साक्षर बनने के साथ ही भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी है। त्रिपुरा ने यह दर्जा 'उल्लास स्कीम' (ULLAS- Understanding Lifelong Learning for All in Society) के तहत हासिल किया है। इस योजना के अनुसार, किसी राज्य को तभी पूर्ण साक्षर माना जाता है, जब वहां का लिटरेसी रेट 95 प्रतिशत से या फिर उससे ज्यादा हो।
त्रिपुरा ने लगाई 95.6% तक की छलांग
एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिपुरा की शिक्षा यात्रा की शुरुआत 20% से हुई थी और लंबी छलांग लगाते हुए 95.6% तक पहुंच गया है। हालांकि,राज्य को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए बहुत लंबा सफर तय करना पड़ा है। अब त्रिपुरा की लिटरेसी रेट 95.6 प्रतिशत पहुंच गया है, जो 1961 में केवल 20.24 प्रतिशत था।
इस उल्लेखनीय प्रगति को हाल ही में आयोजित एक समारोह में मान्यता दी गई, जिसमें मुख्यमंत्री माणिक साहा, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि मौजूद थे। सीएम साहा ने इस उपलब्धि को राज्य के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह देश को 'विकसित राष्ट्र' बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
गोवा और मिजोरम पहले से हैं इस लिस्ट में शामिल
त्रिपुरा से पहले अन्य दो स्टेट गोवा और मिजोरम भी पूर्ण साक्षरता का दर्जा हासिल कर चुके हैं, जो भारत के शिक्षा के नक्शे पर प्रेरणा बनकर उभरे हैं। इन राज्यों ने शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार करते हुए यह मुकाम पाया है। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भी पूरी तरह से साक्षर घोषित हो चुका है।
ULLAS योजना क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
ULLAS योजना की शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत हुई थी। इसका उद्देश्य उन युवाओं और वयस्कों (15 साल और उससे ऊपर) को साक्षर बनाना है, जो कभी औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए थे। 2022 में शुरू की गई इस स्कीम को मिशन मोड में पूरे देश में लागू किया गया। सरकार की इस योजना का फोकस केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं, बल्कि संख्यात्मक दक्षता और लाइफ स्किल्स सिखाना भी है।
क्या है इस उपलब्धि के मायने?
किसी राज्य का पूर्ण साक्षर होना केवल शिक्षा का आंकड़ा नहीं होता, यह समाज में जागरूकता, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक बराबरी की ओर एक बड़ा कदम है। जब कोई भी नागरिक अनपढ़ नहीं होगा, तो वह सरकार की योजनाओं का बेहतर लाभ उठा सकता है। रोजगार के बेहतर अवसर पा सकता है और समाज में जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सकता है, जो एक बेहतर समाज और देश के निर्माण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इनमें से करीब 9 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन के बावजूद बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हुए। जहां, सरकार के लिए ड्रॉपआउट स्टूडेंट्स को मुख्यधारा में लाने की चुनौती अब भी बरकरार है। वहीं, इन सबके बीच एक अच्छी खबर भी सामने आ रही है। जहां भारत के एक और स्टेट ने पूर्ण साक्षर राज्यों की लिस्ट में अपनी जगह बना ली है।
त्रिपुरा को मिली ये बड़ी उपलब्धित्रिपुरा सरकार के सूचना एवं सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (Government of Tripura Directorate of Information & Cultural Affairs) द्वारा जारी ऑफिशियल नोटिस के मुताबिक हाल ही में उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा को आधिकारिक तौर पर पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया है। यह उपलब्धि निस्संदेह राज्य के लिए बहुत गर्व की बात है और इसे इसके इतिहास में मील का पत्थर माना जाएगा। इससे पहले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख ने यह सफलता हासिल की थी।
देश के तीसरे पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा
इसी के साथ यह उपलब्धि हासिल करने वाला त्रिपुरा भारत का तीसरा राज्य बन गया है। त्रिपुरा के पूर्ण साक्षर बनने के साथ ही भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी है। त्रिपुरा ने यह दर्जा 'उल्लास स्कीम' (ULLAS- Understanding Lifelong Learning for All in Society) के तहत हासिल किया है। इस योजना के अनुसार, किसी राज्य को तभी पूर्ण साक्षर माना जाता है, जब वहां का लिटरेसी रेट 95 प्रतिशत से या फिर उससे ज्यादा हो।
त्रिपुरा ने लगाई 95.6% तक की छलांग
एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिपुरा की शिक्षा यात्रा की शुरुआत 20% से हुई थी और लंबी छलांग लगाते हुए 95.6% तक पहुंच गया है। हालांकि,राज्य को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए बहुत लंबा सफर तय करना पड़ा है। अब त्रिपुरा की लिटरेसी रेट 95.6 प्रतिशत पहुंच गया है, जो 1961 में केवल 20.24 प्रतिशत था।
इस उल्लेखनीय प्रगति को हाल ही में आयोजित एक समारोह में मान्यता दी गई, जिसमें मुख्यमंत्री माणिक साहा, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि मौजूद थे। सीएम साहा ने इस उपलब्धि को राज्य के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह देश को 'विकसित राष्ट्र' बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
गोवा और मिजोरम पहले से हैं इस लिस्ट में शामिल
त्रिपुरा से पहले अन्य दो स्टेट गोवा और मिजोरम भी पूर्ण साक्षरता का दर्जा हासिल कर चुके हैं, जो भारत के शिक्षा के नक्शे पर प्रेरणा बनकर उभरे हैं। इन राज्यों ने शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार करते हुए यह मुकाम पाया है। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भी पूरी तरह से साक्षर घोषित हो चुका है।
ULLAS योजना क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
ULLAS योजना की शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत हुई थी। इसका उद्देश्य उन युवाओं और वयस्कों (15 साल और उससे ऊपर) को साक्षर बनाना है, जो कभी औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए थे। 2022 में शुरू की गई इस स्कीम को मिशन मोड में पूरे देश में लागू किया गया। सरकार की इस योजना का फोकस केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं, बल्कि संख्यात्मक दक्षता और लाइफ स्किल्स सिखाना भी है।
क्या है इस उपलब्धि के मायने?
किसी राज्य का पूर्ण साक्षर होना केवल शिक्षा का आंकड़ा नहीं होता, यह समाज में जागरूकता, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक बराबरी की ओर एक बड़ा कदम है। जब कोई भी नागरिक अनपढ़ नहीं होगा, तो वह सरकार की योजनाओं का बेहतर लाभ उठा सकता है। रोजगार के बेहतर अवसर पा सकता है और समाज में जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सकता है, जो एक बेहतर समाज और देश के निर्माण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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