लखनऊ: अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर से एक्सिओम मिशन-4 का सीधा प्रसारण... काउंटडाउन के बाद बुधवार दोपहर 12:01 बजे लखनऊ के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरिक्ष को रवाना हुए तो सबकी निगाहें स्क्रीन पर ही रहीं। शुभांशु के घरवाले कभी भावुक हुए तो कभी खुशी से खिलखला उठे। टीवी-मोबाइल पर पूरे देश ने यह सपनों की उड़ान देखी तो स्कूली बच्चों ने इस उड़ान में खुद का सपना भी देखा।
जोश और उत्साह से भरा ऑडिटोरियम। बड़ी-सी स्क्रीन पर शुभांशु शुक्ला की सफलता की झलकियां और उनके मेसेज। सामने की सीट पर बैठा पूरा परिवार और अपने स्कूल के एक स्टूडेंट की सफलता के गवाह बनते सैकड़ों बच्चे... यह नजारा सीएमएस कानपुर रोड में हुए व्योमोत्सव कार्यक्रम में नजर आया। पूरे कैंपस को शुभांशु की तस्वीरों और शुभकामना संदेशों से सजाया गया था। स्क्रीन पर लाइव लॉन्चिंग के लिए शुभांशु का चेहरा दिखा और उन्होंने 'जय हिंद जय भारत' बोला, ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोग खड़े होकर काउंटडाउन करते हुए नारे लगाने के साथ तालियां बजाने लगे।
जैसे ही रॉकेट लॉन्च हुआ, शुभांशु के पिता शंभूदयाल शुक्ला, मां आशा शुक्ला, बड़ी बहन निधि और शुचि शुक्ला की आंखें डबडबा गई। परिवार के भाव पल पल बदलते रहे। कभी भावुक हुए। कभी खुशी से झूम उठे। कभी हाथ जोड़कर सलामती की दुआ की तो कभी आंसू पोंछकर शुभांशु को शाबाशी देते नजर आए। सफल लॉन्चिंग के बाद परिवार ने स्कूल निदेशिका व प्रबंधक डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी के साथ मिलकर भंगड़ा कर जश्न भी मनाया।
मां ने कहा, बेटे ने हम लोगों को सेलिब्रिटी बना दिया
पिता शंभू दयाल शुक्ला का कहना था, यह बहुत कीमती पल है। बयां करना मुश्किल है। पहले वह हमारा बेटा था। आज पूरे देश का बेटा है। बार-बार मिशन निरस्त होने के बाद आज वह घड़ी आई, जब शुभांशु ने उड़ान भरी। आज सुबह ही बात हुई थी। उसने बताया कि पापा करके आता हूं, आप चिंता न करो। मैंने भी बोला, जाओ और सुरक्षित सफल होकर लौटो।
मां आशा शुक्ला ने कहा, सुबह विडियो कॉल पर शुभांशु को दही पेड़ा खिलाया। आशीर्वाद दिया। इस पल का इंतजार बहुत समय से था। आज सच में खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। बेटे ने हम लोगों को सेलिब्रिटी बना दिया। उसने सपने देखे और मेहनत भी की। यह उसी का नतीजा है। मां होने के नाते थोड़ा डर लगता है। फिर भी विश्वास है, वह सफल होकर लौटेगा।
बहन निधि का कहना था, इतनी खुश हूं कि शब्द नहीं है। जहां लोग पूरी जिंदगी एक से दूसरे शहर नहीं जा पाते, आज मेरा भाई सितारों के पार चला गया। भाई ने हमेशा किसी की परवाह किए बगैर पूरी लगन से अपना काम किया। वह कहता था कि जब मेरा काम हो जाएगा तो लोग खुद देख लेंगे। तब हम नहीं समझ पाते थे। लौटने पर ग्रैंड वेलकम की प्लानिंग की है।
बहन शुचि बोलीं, जैसे ही मिशन की लाइव लॉन्चिंग हुई और शुभांशु ने 'जय हिंद जय भारत' बोला, मैं बहुत भावुक हो गई। भाई पर गर्व हो रहा है। यह बेहद कीमती क्षण है। लफ्जों में बयां करना मुश्किल है। उन सबका बहुत शुक्रिया, जो हमारे साथ रहे और शुभांशु को अपना आशीर्वाद दिया। अब शुभांशु का परिवार बहुत बड़ा है। पूरा देश उसका परिवार है।
सास शशिकांता मिश्रा का कहना था, हमारे दामाद बहुत अच्छे हैं। बेहद शांत और मेहनती हैं। आज यहां बैठकर उनको इस तरह देखकर बहुत गर्व हो रहा है। मेरा आशीर्वाद है कि उनका मिशन सफल हो और वह दुनियाभर के लिए प्रेरणा बनें।
मौसेरे भाई आशीष दीक्षित बोले, मैं भी फाइटर पायलट बनना चाहता था। शुभांशु ने साल 2020 में मुझे अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी के बारे में बताया था। तब मैंने मजाक में कहा था कि फाइटर प्लेन के बीच परपेंडीकुलर कहां से आ गया। आज जब उसकी स्पेस जर्नी की शुरुआत देखी तो लगा वह मेरा सपना भी जी रहा है। उसकी जर्नी बेहद खास है।
ससुर बीएम मिश्रा का कहना था, पूरे परिवार के लिए बेहद खास मौका है। साल 2009 में बेटी कामना के साथ शुभांशु की शादी हुई थी। किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतिहास रच देंगे। आज उनका अंतरिक्ष पहुंचने का सपना पूरा हो गया। बहुत खुश हूं। गर्व भी महसूस कर रहा हूं।
भांजा वैश्चिक इंजिनियरिंग स्टूडेंट है, उसने कहा, मामा जब लौटेंगे तो पूछूंगा कि पेन से क्या लिख रहे थे। उनका एक्सपीरियंस भी पूछूंगा। वह अपनी हेल्थ को लेकर बहुत स्ट्रिक्ट हैं। मुझे भी फिटनेस के लिए बोलते हैं। वह सच्चे प्रेरक हैं।
मां और सास दोनों ने देखा था राकेश शर्मा का इंटरव्यू
सीएमएस में हुए कार्यक्रम में शुभांशु शुक्ला के मिशन की सफल लॉन्चिंग के बाद उनके घरवाले हल्के-फुल्के अंदाज में भी नजर आए। एक सवाल पर उनकी सास शशिकांता ने बताया कि साल 1984 में जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने उनसे पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। उनका जवाब था, सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
यह इंटरव्यू मैंने भी टीवी पर देखा था और शुभांशु की मां आशा जी ने भी। अगले साल मेरे यहां कामना पैदा हुईं तो आशा जी के घर में शुभांशु। शायद उस इंटरव्यू से भी शुभांशु बेटा को प्रेरणा मिली। इस पर सभी ठहाके लगाकर हंसने लगे।
हमने सब्जी-पूड़ी खाई, शुभांशु तो दाल-चाल ही खाएंगे
शुभांशु की मां आशा शुक्ला से पूछा गया कि आज लंच और डिनर का मेन्यू क्या है तो वह मुस्करा कर बोली कि अभी कुछ तय नहीं है। सुबह पूड़ी सब्जी बनाकर सबको खिलाई थी। अब घर जाकर तय करेंगे कि क्या बनना है। कुछ अच्छा ही बनाएंगे। वहीं, शुभांशु की बहनों ने बताया कि शुभांशु के लौटने पर ग्रैंड वेलकम पार्टी के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन वह तो दाल-चावल ही खाएंगे।
स्पेस फेस्ट के विजेता का सम्मान
सीएमएस में हुए व्योमोत्सव कार्यक्रम से पहले इसका नाम तय करने के लिए स्पेस फेस्ट प्रतियोगिता भी हुई थी। इसमें राजेंद्रनगर शाखा के दसवीं के स्टूडेंट मो. अम्मार ने व्योमोत्सव नाम सुझाया था। कार्यक्रम के दौरान उन्हें भी सम्मानित किया गया। वहीं, इस कार्यक्रम में हर ब्रांच में नौवीं से 12वीं के स्टूडेंट्स को 15 दिन की ट्रेनिंग भी दी गई थी।
जोश और उत्साह से भरा ऑडिटोरियम। बड़ी-सी स्क्रीन पर शुभांशु शुक्ला की सफलता की झलकियां और उनके मेसेज। सामने की सीट पर बैठा पूरा परिवार और अपने स्कूल के एक स्टूडेंट की सफलता के गवाह बनते सैकड़ों बच्चे... यह नजारा सीएमएस कानपुर रोड में हुए व्योमोत्सव कार्यक्रम में नजर आया। पूरे कैंपस को शुभांशु की तस्वीरों और शुभकामना संदेशों से सजाया गया था। स्क्रीन पर लाइव लॉन्चिंग के लिए शुभांशु का चेहरा दिखा और उन्होंने 'जय हिंद जय भारत' बोला, ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोग खड़े होकर काउंटडाउन करते हुए नारे लगाने के साथ तालियां बजाने लगे।
जैसे ही रॉकेट लॉन्च हुआ, शुभांशु के पिता शंभूदयाल शुक्ला, मां आशा शुक्ला, बड़ी बहन निधि और शुचि शुक्ला की आंखें डबडबा गई। परिवार के भाव पल पल बदलते रहे। कभी भावुक हुए। कभी खुशी से झूम उठे। कभी हाथ जोड़कर सलामती की दुआ की तो कभी आंसू पोंछकर शुभांशु को शाबाशी देते नजर आए। सफल लॉन्चिंग के बाद परिवार ने स्कूल निदेशिका व प्रबंधक डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी के साथ मिलकर भंगड़ा कर जश्न भी मनाया।
मां ने कहा, बेटे ने हम लोगों को सेलिब्रिटी बना दिया
पिता शंभू दयाल शुक्ला का कहना था, यह बहुत कीमती पल है। बयां करना मुश्किल है। पहले वह हमारा बेटा था। आज पूरे देश का बेटा है। बार-बार मिशन निरस्त होने के बाद आज वह घड़ी आई, जब शुभांशु ने उड़ान भरी। आज सुबह ही बात हुई थी। उसने बताया कि पापा करके आता हूं, आप चिंता न करो। मैंने भी बोला, जाओ और सुरक्षित सफल होकर लौटो।
मां आशा शुक्ला ने कहा, सुबह विडियो कॉल पर शुभांशु को दही पेड़ा खिलाया। आशीर्वाद दिया। इस पल का इंतजार बहुत समय से था। आज सच में खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। बेटे ने हम लोगों को सेलिब्रिटी बना दिया। उसने सपने देखे और मेहनत भी की। यह उसी का नतीजा है। मां होने के नाते थोड़ा डर लगता है। फिर भी विश्वास है, वह सफल होकर लौटेगा।
बहन निधि का कहना था, इतनी खुश हूं कि शब्द नहीं है। जहां लोग पूरी जिंदगी एक से दूसरे शहर नहीं जा पाते, आज मेरा भाई सितारों के पार चला गया। भाई ने हमेशा किसी की परवाह किए बगैर पूरी लगन से अपना काम किया। वह कहता था कि जब मेरा काम हो जाएगा तो लोग खुद देख लेंगे। तब हम नहीं समझ पाते थे। लौटने पर ग्रैंड वेलकम की प्लानिंग की है।
बहन शुचि बोलीं, जैसे ही मिशन की लाइव लॉन्चिंग हुई और शुभांशु ने 'जय हिंद जय भारत' बोला, मैं बहुत भावुक हो गई। भाई पर गर्व हो रहा है। यह बेहद कीमती क्षण है। लफ्जों में बयां करना मुश्किल है। उन सबका बहुत शुक्रिया, जो हमारे साथ रहे और शुभांशु को अपना आशीर्वाद दिया। अब शुभांशु का परिवार बहुत बड़ा है। पूरा देश उसका परिवार है।
सास शशिकांता मिश्रा का कहना था, हमारे दामाद बहुत अच्छे हैं। बेहद शांत और मेहनती हैं। आज यहां बैठकर उनको इस तरह देखकर बहुत गर्व हो रहा है। मेरा आशीर्वाद है कि उनका मिशन सफल हो और वह दुनियाभर के लिए प्रेरणा बनें।
मौसेरे भाई आशीष दीक्षित बोले, मैं भी फाइटर पायलट बनना चाहता था। शुभांशु ने साल 2020 में मुझे अंतरिक्ष यात्रा की तैयारी के बारे में बताया था। तब मैंने मजाक में कहा था कि फाइटर प्लेन के बीच परपेंडीकुलर कहां से आ गया। आज जब उसकी स्पेस जर्नी की शुरुआत देखी तो लगा वह मेरा सपना भी जी रहा है। उसकी जर्नी बेहद खास है।
ससुर बीएम मिश्रा का कहना था, पूरे परिवार के लिए बेहद खास मौका है। साल 2009 में बेटी कामना के साथ शुभांशु की शादी हुई थी। किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतिहास रच देंगे। आज उनका अंतरिक्ष पहुंचने का सपना पूरा हो गया। बहुत खुश हूं। गर्व भी महसूस कर रहा हूं।
भांजा वैश्चिक इंजिनियरिंग स्टूडेंट है, उसने कहा, मामा जब लौटेंगे तो पूछूंगा कि पेन से क्या लिख रहे थे। उनका एक्सपीरियंस भी पूछूंगा। वह अपनी हेल्थ को लेकर बहुत स्ट्रिक्ट हैं। मुझे भी फिटनेस के लिए बोलते हैं। वह सच्चे प्रेरक हैं।
मां और सास दोनों ने देखा था राकेश शर्मा का इंटरव्यू
सीएमएस में हुए कार्यक्रम में शुभांशु शुक्ला के मिशन की सफल लॉन्चिंग के बाद उनके घरवाले हल्के-फुल्के अंदाज में भी नजर आए। एक सवाल पर उनकी सास शशिकांता ने बताया कि साल 1984 में जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने उनसे पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। उनका जवाब था, सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
यह इंटरव्यू मैंने भी टीवी पर देखा था और शुभांशु की मां आशा जी ने भी। अगले साल मेरे यहां कामना पैदा हुईं तो आशा जी के घर में शुभांशु। शायद उस इंटरव्यू से भी शुभांशु बेटा को प्रेरणा मिली। इस पर सभी ठहाके लगाकर हंसने लगे।
हमने सब्जी-पूड़ी खाई, शुभांशु तो दाल-चाल ही खाएंगे
शुभांशु की मां आशा शुक्ला से पूछा गया कि आज लंच और डिनर का मेन्यू क्या है तो वह मुस्करा कर बोली कि अभी कुछ तय नहीं है। सुबह पूड़ी सब्जी बनाकर सबको खिलाई थी। अब घर जाकर तय करेंगे कि क्या बनना है। कुछ अच्छा ही बनाएंगे। वहीं, शुभांशु की बहनों ने बताया कि शुभांशु के लौटने पर ग्रैंड वेलकम पार्टी के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन वह तो दाल-चावल ही खाएंगे।
स्पेस फेस्ट के विजेता का सम्मान
सीएमएस में हुए व्योमोत्सव कार्यक्रम से पहले इसका नाम तय करने के लिए स्पेस फेस्ट प्रतियोगिता भी हुई थी। इसमें राजेंद्रनगर शाखा के दसवीं के स्टूडेंट मो. अम्मार ने व्योमोत्सव नाम सुझाया था। कार्यक्रम के दौरान उन्हें भी सम्मानित किया गया। वहीं, इस कार्यक्रम में हर ब्रांच में नौवीं से 12वीं के स्टूडेंट्स को 15 दिन की ट्रेनिंग भी दी गई थी।
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