सीकर: राजस्थान की वीर भूमि शेखावाटी ने शनिवार को एक और लाल को भारत मां की गोद में समर्पित कर दिया है। जम्मू-कश्मीर की कठिन पहाडिय़ों पर ड्यूटी निभा रहे सीकर जिले के नागवा गांव के सपूत राजेंद्र प्रसाद बगडिय़ा (37) देश सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के गंडोह इलाके में तैनात सशस्त्र सीमा बल के ये जवान शनिवार को हादसे का शिकार हो गए। वे सुबह ड्यूटी के दौरान एक इमारत की छत से गिरने के कारण गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद उन्हें तुरंत उन्हें गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जैसे ही यह खबर उनके गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। हालांकि राजेन्द्र की शहादत की खबर पिता को दे दी गई लेकिन खबर लिखे जाने तक पत्नी एवं माता को शहीद होने की सूचना नहीं दी गई थी। संभवत रविवार सुबह उनको इस हादसे से अवगत कराया जाएगा।
मां मुझे बुला रही है- राजेंद्र बगडिय़ा देश पर कुर्बान
राजेंद्र बगडिय़ा साल 2012 में स्स्क्च में भर्ती हुए थे और बीते डेढ़ साल से जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील डोडा सेक्टर में 7वीं बटालियन की एफ कंपनी में तैनात थे। वे अपने पीछे दो बेटियां और एक 2 साल का बेटा, माता-पिता, पत्नी और विदेश में नौकरी कर रहा एक छोटा भाई छोड़ गए हैं।
अंतिम यात्रा की भव्य तैयारियां, गांव करेगा अपने तिरंगा यात्राा से लाल को सलाम
नागवा गांव के सरपंच सुभाष भामू ने बताया कि शहीद की पार्थिव देह रविवार सुबह 10 बजे धोद पुलिस थाने पहुंचेगे, जहां से 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा उनके पैतृक गांव तक जाएगी, जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। जहां एक ओर पूरा गांव और परिवार सदमे में है, वहीं दूसरी ओर पूरे जिले में शोक के साथ गर्व का भाव भी साफ देखा जा रहा है। राजेंद्र बगडिय़ा जैसे *वीर सपूतों की शहादत यह साबित करती है कि शेखावाटी सिर्फ बलिदान की भूमि नहीं, बल्कि राष्ट्र की ढाल है।
उनके बच्चे अब पूरे देश के बच्चे हैं
शहीद के दो मासूम बेटियों और एक नन्हे बेटे को देख हर आंख नम है, लेकिन दिलों में एक ही आवाज है -राजेंद्र अमर रहें, शेखावाटी का बेटा अमर रहें। इधर गांव वालों ने तिरंगा यात्रा निकालने की तैयारियां शुरू कर दी है। लोगों से अपील की जा रही है कि आइए, शहीद राजेंद्र बगडिय़ा को अंतिम सलामी देने के लिए तिरंगे के नीचे एकजुट हों।
मां मुझे बुला रही है- राजेंद्र बगडिय़ा देश पर कुर्बान
राजेंद्र बगडिय़ा साल 2012 में स्स्क्च में भर्ती हुए थे और बीते डेढ़ साल से जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील डोडा सेक्टर में 7वीं बटालियन की एफ कंपनी में तैनात थे। वे अपने पीछे दो बेटियां और एक 2 साल का बेटा, माता-पिता, पत्नी और विदेश में नौकरी कर रहा एक छोटा भाई छोड़ गए हैं।
अंतिम यात्रा की भव्य तैयारियां, गांव करेगा अपने तिरंगा यात्राा से लाल को सलाम
नागवा गांव के सरपंच सुभाष भामू ने बताया कि शहीद की पार्थिव देह रविवार सुबह 10 बजे धोद पुलिस थाने पहुंचेगे, जहां से 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा उनके पैतृक गांव तक जाएगी, जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। जहां एक ओर पूरा गांव और परिवार सदमे में है, वहीं दूसरी ओर पूरे जिले में शोक के साथ गर्व का भाव भी साफ देखा जा रहा है। राजेंद्र बगडिय़ा जैसे *वीर सपूतों की शहादत यह साबित करती है कि शेखावाटी सिर्फ बलिदान की भूमि नहीं, बल्कि राष्ट्र की ढाल है।
उनके बच्चे अब पूरे देश के बच्चे हैं
शहीद के दो मासूम बेटियों और एक नन्हे बेटे को देख हर आंख नम है, लेकिन दिलों में एक ही आवाज है -राजेंद्र अमर रहें, शेखावाटी का बेटा अमर रहें। इधर गांव वालों ने तिरंगा यात्रा निकालने की तैयारियां शुरू कर दी है। लोगों से अपील की जा रही है कि आइए, शहीद राजेंद्र बगडिय़ा को अंतिम सलामी देने के लिए तिरंगे के नीचे एकजुट हों।
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