नोएडा: पल्स कैंडी (Pulse Candy), जो सिर्फ 1 रुपये में मिलती है, नौ सालों में एक बड़ा ब्रांड बन गई है। यह ब्रांड अब कई सौ करोड़ रुपये का हो गया है। धरमपाल सत्यपाल ग्रुप (DS Group) के वाइस-चेयरमैन राजीव कुमार का कहना है कि उनकी पल्स कैंडी ब्रांड दो सालों में 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लेगी। उन्होंने ये बात तब कही जब पल्स कैंडी ने वित्त वर्ष 2025 में 750 करोड़ रुपये की कमाई की।
FY 25 में 750 करोड़ की कैंडी बेचीकंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक उसने साल 2024-25 के दौरान 750 करोड़ रुपये की पल्स कैंडी बेची है। इस समय भारत में हार्ड बॉइल्ड कैंडी, जिसे आम जनता लेमनचूस भी कहती है, का बाजार लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है। हार्ड बॉइल्ड कैंडी मतलब वो कैंडी जो मुंह में रखकर धीरे-धीरे घुलती है।
कुछ नए प्रोडक्ट भीइस कैंडी को मिली अपार सफलता के बाद डीएस ग्रुप अब पल्स कैंडी के नए प्रोडक्ट लाने की सोच रहा है। वे अलग-अलग तरह की कैंडी और लोकल फ्लेवर वाली कैंडी लाएंगे। राजीव कुमार का कहना है कि पल्स कैंडी को भारत का एक बड़ा कैंडी ब्रांड बनाना चाहते हैं। कुमार ने कहा, "हम देश में हार्ड-बॉइल्ड कैंडी के सबसे बड़े प्लेयर हैं। हमारी बाजार में 19 फीसदी की हिस्सेदारी है। पिछले तीन सालों में हम 15 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। जबकि हार्ड-बॉइल्ड कैंडी का बाजार 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।"
डेढ़-दो साल में 1,000 करोड़ का ब्रांडब्रांड के विकास के बारे में राजीव कुमार का कहना है कि पल्स कैंडी "बहुत जल्द, डेढ़ से दो सालों में" 1,000 करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, "हम 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं और इस गति से हम बहुत जल्द 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकते हैं।"
IIMA में बनी केस स्टडीडीएस ग्रुप ने साल 2015 में पल्स कैंडी को बाजार में उतारा था। कंपनी का कहना है कि बाजार में आने के बाद से ही पल्स कैंडी नौ सालों से हार्ड-बॉइल्ड कैंडी में सबसे आगे है। इसकी ऐसी सफलता से प्रभावित होकर ही आईआईएम अहमदाबाद (Institute of Management Ahmedabad) ने पिछले साल ही इसे अपने कोर्स में केस स्टडी (Case Study) के रूप में शामिल किया है।
FY 25 में 750 करोड़ की कैंडी बेचीकंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक उसने साल 2024-25 के दौरान 750 करोड़ रुपये की पल्स कैंडी बेची है। इस समय भारत में हार्ड बॉइल्ड कैंडी, जिसे आम जनता लेमनचूस भी कहती है, का बाजार लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है। हार्ड बॉइल्ड कैंडी मतलब वो कैंडी जो मुंह में रखकर धीरे-धीरे घुलती है।
कुछ नए प्रोडक्ट भीइस कैंडी को मिली अपार सफलता के बाद डीएस ग्रुप अब पल्स कैंडी के नए प्रोडक्ट लाने की सोच रहा है। वे अलग-अलग तरह की कैंडी और लोकल फ्लेवर वाली कैंडी लाएंगे। राजीव कुमार का कहना है कि पल्स कैंडी को भारत का एक बड़ा कैंडी ब्रांड बनाना चाहते हैं। कुमार ने कहा, "हम देश में हार्ड-बॉइल्ड कैंडी के सबसे बड़े प्लेयर हैं। हमारी बाजार में 19 फीसदी की हिस्सेदारी है। पिछले तीन सालों में हम 15 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। जबकि हार्ड-बॉइल्ड कैंडी का बाजार 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।"
डेढ़-दो साल में 1,000 करोड़ का ब्रांडब्रांड के विकास के बारे में राजीव कुमार का कहना है कि पल्स कैंडी "बहुत जल्द, डेढ़ से दो सालों में" 1,000 करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, "हम 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं और इस गति से हम बहुत जल्द 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकते हैं।"
IIMA में बनी केस स्टडीडीएस ग्रुप ने साल 2015 में पल्स कैंडी को बाजार में उतारा था। कंपनी का कहना है कि बाजार में आने के बाद से ही पल्स कैंडी नौ सालों से हार्ड-बॉइल्ड कैंडी में सबसे आगे है। इसकी ऐसी सफलता से प्रभावित होकर ही आईआईएम अहमदाबाद (Institute of Management Ahmedabad) ने पिछले साल ही इसे अपने कोर्स में केस स्टडी (Case Study) के रूप में शामिल किया है।
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