नई दिल्ली: आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में पैसा बचाने से ज्यादा पैसा कमाना हो गया है। मिडिल क्लास अपनी कुछ आदतों की वजह से पैसा नहीं बचा पाता है। लेकिन एक्सपर्ट ने कुछ ऐसी बातें बताई हैं जिन्हें अपनाकर मिडिल क्लास भी अमीर बन सकता है। हालांकि इसके लिए कुछ पुराने नियमों का पालन करना जरूरी होगा।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए नितिन कौशिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय मिडिल क्लास की उन पुरानी सीखों के बारे में बताया है, जिन्हें आज के तेज रफ्तार जमाने में भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये सीखें भले ही पुरानी लगती हों, लेकिन आज भी बहुत काम की हैं। उन्होंने लिखा है, 'मैंने अपने पिता को यह कहते हुए सुना था कि पैसा दिखाने के लिए नहीं, संभालने के लिए होता है।'
इन बातों के बारे में बतायासीए नितिन कौशिक ने बताया कि जो बातें उन्हें पहले पुरानी लगती थीं, वही असल दौलत का आधार निकलीं। इसमें अनुशासन प्रमुख है। उन्होंने समझाया कि दिखावटी दौलत थोड़ी देर की होती है, लेकिन जो दौलत धीरे-धीरे बढ़ती है, वो हमेशा टिकती है।
कौशिक ने यह भी बताया कि पहले मिडिल क्लास लोग पैसे को लेकर कभी दिखावा नहीं करते थे। कोई महंगी कार या घड़ी का दिखावा नहीं। उनका मकसद था आर्थिक शांति पाना, न कि ईएमआई के बोझ तले दबना। उन्होंने कहा कि इसी सोच की वजह से आज भी कई मिडिल क्लास फैमिली उन लोगों से ज्यादा सुकून से सोते हैं, जिनकी कमाई दस गुना ज्यादा है।
आसान और असरदार सिद्धांतउनके अनुसार, एक बहुत ही आसान लेकिन असरदार सिद्धांत था- वही खरीदें जिसका पूरा पेमेंट आप तुरंत कर सकें। फालतू कर्ज से बचना, क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कम करना और तुरंत खुशी पाने की बजाय धैर्य रखना, इन आदतों ने लाखों परिवारों को आर्थिक मुश्किलों से बचाया।
कौशिक ने यह भी बताया कि सोने और जमीन जैसी पारंपरिक चीजों में निवेश सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी किया जाता था। उन्होंने कहा कि कुछ सोने के सिक्के आत्मविश्वास देते थे, लालच नहीं। जमीन का मालिक होना सिर्फ प्रॉपर्टी का मूल्य नहीं, बल्कि इज्जत और अपनेपन का प्रतीक था।
आज बदल गईं प्राथमिकताएंआज के समय में लोगों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। अब लोग संपत्ति से ज्यादा लिक्विडिटी (तुरंत मिलने वाला पैसा) और कैश फ्लो (पैसों का आना-जाना) को ज्यादा अहमियत देते हैं। लेकिन कौशिक का मानना है कि इन पुरानी सीखों का सार आज भी वही है। उन्होंने कहा कि इन सीखों का मकसद आपको रातोंरात अमीर बनाना नहीं था, बल्कि यह पक्का करना था कि आप कभी गरीब न हों।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए नितिन कौशिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय मिडिल क्लास की उन पुरानी सीखों के बारे में बताया है, जिन्हें आज के तेज रफ्तार जमाने में भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये सीखें भले ही पुरानी लगती हों, लेकिन आज भी बहुत काम की हैं। उन्होंने लिखा है, 'मैंने अपने पिता को यह कहते हुए सुना था कि पैसा दिखाने के लिए नहीं, संभालने के लिए होता है।'
इन बातों के बारे में बतायासीए नितिन कौशिक ने बताया कि जो बातें उन्हें पहले पुरानी लगती थीं, वही असल दौलत का आधार निकलीं। इसमें अनुशासन प्रमुख है। उन्होंने समझाया कि दिखावटी दौलत थोड़ी देर की होती है, लेकिन जो दौलत धीरे-धीरे बढ़ती है, वो हमेशा टिकती है।
कौशिक ने यह भी बताया कि पहले मिडिल क्लास लोग पैसे को लेकर कभी दिखावा नहीं करते थे। कोई महंगी कार या घड़ी का दिखावा नहीं। उनका मकसद था आर्थिक शांति पाना, न कि ईएमआई के बोझ तले दबना। उन्होंने कहा कि इसी सोच की वजह से आज भी कई मिडिल क्लास फैमिली उन लोगों से ज्यादा सुकून से सोते हैं, जिनकी कमाई दस गुना ज्यादा है।
आसान और असरदार सिद्धांतउनके अनुसार, एक बहुत ही आसान लेकिन असरदार सिद्धांत था- वही खरीदें जिसका पूरा पेमेंट आप तुरंत कर सकें। फालतू कर्ज से बचना, क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कम करना और तुरंत खुशी पाने की बजाय धैर्य रखना, इन आदतों ने लाखों परिवारों को आर्थिक मुश्किलों से बचाया।
कौशिक ने यह भी बताया कि सोने और जमीन जैसी पारंपरिक चीजों में निवेश सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी किया जाता था। उन्होंने कहा कि कुछ सोने के सिक्के आत्मविश्वास देते थे, लालच नहीं। जमीन का मालिक होना सिर्फ प्रॉपर्टी का मूल्य नहीं, बल्कि इज्जत और अपनेपन का प्रतीक था।
The timeless money lessons every Indian middle-class family passed down — and why they still matter today:
— CA Nitin Kaushik (FCA) | LLB (@Finance_Bareek) November 3, 2025
I grew up hearing my father say, “Paise dikhane ke liye nahi, sambhalne ke liye hote hain.” 🧵👇🏼#stockmarket #investingtips #finance #realestate pic.twitter.com/81Ah3zoIos
आज बदल गईं प्राथमिकताएंआज के समय में लोगों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। अब लोग संपत्ति से ज्यादा लिक्विडिटी (तुरंत मिलने वाला पैसा) और कैश फ्लो (पैसों का आना-जाना) को ज्यादा अहमियत देते हैं। लेकिन कौशिक का मानना है कि इन पुरानी सीखों का सार आज भी वही है। उन्होंने कहा कि इन सीखों का मकसद आपको रातोंरात अमीर बनाना नहीं था, बल्कि यह पक्का करना था कि आप कभी गरीब न हों।
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