नई दिल्ली : अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने एक बड़ा फैसला लिया है। कंपनी अब अलग-अलग तरीकों से पैसा जुटाने की तैयारी में है। इससे कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और विकास की योजनाओं को गति मिलेगी। कंपनी ने बताया है कि 16 जुलाई, 2025 को बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मीटिंग होगी। इस मीटिंग में पैसे जुटाने की रणनीति पर बात होगी। कंपनी ने हाल में अपना सारा कर्ज चुका दिया है।
रिलायंस इन्फ्रा का कहना है कि मीटिंग में इक्विटी शेयर/इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज जारी करके, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट या किसी अन्य तरीके से और/या नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (NCDs) के माध्यम से लंबी अवधि के संसाधन जुटाने पर विचार किया जाएगा। यानी कंपनी कई तरह से निवेशकों से पैसा ले सकती है। कंपनी इक्विटी शेयर जारी कर सकती है। इक्विटी से जुड़े सिक्योरिटीज भी जारी कर सकती है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए भी पैसा जुटाया जा सकता है। इसके अलावा, नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (NCDs) भी जारी किए जा सकते हैं।
कैसे जुटाया जाएगा पैसाNCD एक तरह का लोन होता है, जिसे बाद में इक्विटी में नहीं बदला जा सकता। कंपनी एक या एक से ज्यादा बार में ये सब कर सकती है। बोर्ड मीटिंग में इस पर भी विचार होगा कि शेयरधारकों से मंजूरी लेनी है या नहीं। अगर ज्यादा पैसे जुटाने की जरूरत हुई, तो शेयरधारकों की स्पेशल मीटिंग बुलाई जा सकती है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) का मतलब है कि कंपनी बैंकों और बीमा कंपनियों जैसे बड़े निवेशकों को शेयर बेचेगी। इससे पता चलता है कि कंपनी को अपनी तरक्की पर भरोसा है।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब कंपनी जल्द ही पहली तिमाही के नतीजे जारी करने वाली है। इससे निवेशकों को पता चलेगा कि कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है और उसे और पैसे की जरूरत क्यों है। कंपनी के शेयर की कीमत और निवेशकों की प्रतिक्रिया इस बात पर निर्भर करेगी कि पैसे जुटाने की शर्तें कैसी हैं। अगर शर्तें अच्छी होंगी, तो निवेशक ज्यादा आकर्षित होंगे।
रेटिंग में सुधार
हाल में कंपनी के लिए एक और अच्छी खबर आई। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कंपनी की क्रेडिट रेटिंग को तीन पायदान ऊपर कर दिया है। पहले कंपनी की रेटिंग 'IND D' थी, जिसे अब 'IND B/Stable/IND A4' कर दिया गया है। क्रेडिट रेटिंग से पता चलता है कि कंपनी लोन चुकाने में कितनी सक्षम है। रेटिंग बढ़ने से कंपनी के लिए लोन लेना आसान हो जाएगा।
रिलायंस इन्फ्रा के शेयर पिछले एक साल से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान शेयर की कीमत 97% तक बढ़ गई है। इस साल अब तक इस शेयर में करीब 18% की उछाल आई है। यह Nifty और Sensex जैसे बड़े इंडेक्स से कहीं ज्यादा है। निफ्टी और सेंसेक्स में इस साल 3% से थोड़ा ज्यादा ही बढ़ोतरी हुई है। पिछले पांच साल में कंपनी का शेयर 2000% से अधिक चढ़ा है। 27 जून को यह 425 रुपये पर पहुंच गया था जो इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर है।
रिलायंस इन्फ्रा का कहना है कि मीटिंग में इक्विटी शेयर/इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज जारी करके, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट या किसी अन्य तरीके से और/या नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (NCDs) के माध्यम से लंबी अवधि के संसाधन जुटाने पर विचार किया जाएगा। यानी कंपनी कई तरह से निवेशकों से पैसा ले सकती है। कंपनी इक्विटी शेयर जारी कर सकती है। इक्विटी से जुड़े सिक्योरिटीज भी जारी कर सकती है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए भी पैसा जुटाया जा सकता है। इसके अलावा, नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (NCDs) भी जारी किए जा सकते हैं।
कैसे जुटाया जाएगा पैसाNCD एक तरह का लोन होता है, जिसे बाद में इक्विटी में नहीं बदला जा सकता। कंपनी एक या एक से ज्यादा बार में ये सब कर सकती है। बोर्ड मीटिंग में इस पर भी विचार होगा कि शेयरधारकों से मंजूरी लेनी है या नहीं। अगर ज्यादा पैसे जुटाने की जरूरत हुई, तो शेयरधारकों की स्पेशल मीटिंग बुलाई जा सकती है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) का मतलब है कि कंपनी बैंकों और बीमा कंपनियों जैसे बड़े निवेशकों को शेयर बेचेगी। इससे पता चलता है कि कंपनी को अपनी तरक्की पर भरोसा है।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब कंपनी जल्द ही पहली तिमाही के नतीजे जारी करने वाली है। इससे निवेशकों को पता चलेगा कि कंपनी कैसा प्रदर्शन कर रही है और उसे और पैसे की जरूरत क्यों है। कंपनी के शेयर की कीमत और निवेशकों की प्रतिक्रिया इस बात पर निर्भर करेगी कि पैसे जुटाने की शर्तें कैसी हैं। अगर शर्तें अच्छी होंगी, तो निवेशक ज्यादा आकर्षित होंगे।
रेटिंग में सुधार
हाल में कंपनी के लिए एक और अच्छी खबर आई। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कंपनी की क्रेडिट रेटिंग को तीन पायदान ऊपर कर दिया है। पहले कंपनी की रेटिंग 'IND D' थी, जिसे अब 'IND B/Stable/IND A4' कर दिया गया है। क्रेडिट रेटिंग से पता चलता है कि कंपनी लोन चुकाने में कितनी सक्षम है। रेटिंग बढ़ने से कंपनी के लिए लोन लेना आसान हो जाएगा।
रिलायंस इन्फ्रा के शेयर पिछले एक साल से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान शेयर की कीमत 97% तक बढ़ गई है। इस साल अब तक इस शेयर में करीब 18% की उछाल आई है। यह Nifty और Sensex जैसे बड़े इंडेक्स से कहीं ज्यादा है। निफ्टी और सेंसेक्स में इस साल 3% से थोड़ा ज्यादा ही बढ़ोतरी हुई है। पिछले पांच साल में कंपनी का शेयर 2000% से अधिक चढ़ा है। 27 जून को यह 425 रुपये पर पहुंच गया था जो इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर है।
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