भोपालः शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों और मदरसों में बड़ा घोटाला सामने आया। प्रदेश में बड़ा स्कॉलरशिप स्कैम हुआ है। इस घोटाले में 20 प्राइवेट और 20 मदरसे शामिल हैं। इन संस्थानों ने सरकार की मानॉरिटी स्कॉलरशिप योजना का गलत फायदा उठाया है। संस्थानों ने 972 फर्जी स्टूडेंट के नाम पर लगभग 57 लाख 78 हजार 300 की रकम सरकारी खजाने से निकाल ली गई।
पुलिस ने इस मामले पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है। साथ ही मामले की जांच जारी है। शुरूआती जांच में पता चला है कि इस राशि को जरूरतमंद छात्रों को मिलनी थी। लेकिन संस्थानों ने फर्जी छात्र के नाम पर छात्रवृत्ति की रकम को निकाला है।
ऐसे सामने आया घोटाला
लाखों की स्कॉलरिश घोटाले का मामला तब सामने आया जब पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला है कि एकेडमिक सेशन 2021-2022 में इन संस्थानों ने घोटाला किया। संस्थानों ने स्कॉलरशिप पोर्टल पर करीब 972 ऐसे स्टूडेंट का नाम दर्ज किया। हालांकि ये छात्र वास्तव में पढ़ नहीं रहे थे।
रेड फ्लैग मार्क स्कूलों की जांच में खुलासा
दरअसल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने भोपाल जिले की 83 स्कूलों को रेड फ्लैग से मार्क किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इन इंस्टीट्यूशन का इंस्पेक्शन कराया। तब घोटाले का पता चला। निरीक्षण के दौरान पता चला कि इन संस्थाओं को केवल 8वी और 10वीं तक मान्यता थी। लेकिन उन्होंने 11वीं-12वीं के छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया था। इतना ही नहीं इनके नाम से स्कॉलरशिप निकाली जा रही थी। बता दें कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से कक्षा 11वीं-12वीं में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट को सालाना 5700 रुपए की स्कॉलरशिप दी जाती है।
40 संस्थानों पर क्राइम ब्रांच की जांच शुरू
स्कॉलरशिप घोटाला 20 प्राइवेट स्कूल और 20 मदरसे कर रहे थे। इन संस्थानों पर क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है। क्राइम ब्रांच अधिकारी इन संस्थानों के मैनेजमेंट, नोडल अधिकारियों और प्रमुख की भूमिका की जांच कर रहे हैं। साथ ही पुलिस इन मदरसों और स्कूलों की मान्यता के संबंध में जानकारी जुटा रही है।
पुलिस ने इस मामले पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली है। साथ ही मामले की जांच जारी है। शुरूआती जांच में पता चला है कि इस राशि को जरूरतमंद छात्रों को मिलनी थी। लेकिन संस्थानों ने फर्जी छात्र के नाम पर छात्रवृत्ति की रकम को निकाला है।
ऐसे सामने आया घोटाला
लाखों की स्कॉलरिश घोटाले का मामला तब सामने आया जब पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला है कि एकेडमिक सेशन 2021-2022 में इन संस्थानों ने घोटाला किया। संस्थानों ने स्कॉलरशिप पोर्टल पर करीब 972 ऐसे स्टूडेंट का नाम दर्ज किया। हालांकि ये छात्र वास्तव में पढ़ नहीं रहे थे।
रेड फ्लैग मार्क स्कूलों की जांच में खुलासा
दरअसल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने भोपाल जिले की 83 स्कूलों को रेड फ्लैग से मार्क किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इन इंस्टीट्यूशन का इंस्पेक्शन कराया। तब घोटाले का पता चला। निरीक्षण के दौरान पता चला कि इन संस्थाओं को केवल 8वी और 10वीं तक मान्यता थी। लेकिन उन्होंने 11वीं-12वीं के छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया था। इतना ही नहीं इनके नाम से स्कॉलरशिप निकाली जा रही थी। बता दें कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से कक्षा 11वीं-12वीं में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट को सालाना 5700 रुपए की स्कॉलरशिप दी जाती है।
40 संस्थानों पर क्राइम ब्रांच की जांच शुरू
स्कॉलरशिप घोटाला 20 प्राइवेट स्कूल और 20 मदरसे कर रहे थे। इन संस्थानों पर क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है। क्राइम ब्रांच अधिकारी इन संस्थानों के मैनेजमेंट, नोडल अधिकारियों और प्रमुख की भूमिका की जांच कर रहे हैं। साथ ही पुलिस इन मदरसों और स्कूलों की मान्यता के संबंध में जानकारी जुटा रही है।
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