नई दिल्लीः आने वाले समय में सुबह और शाम कम के पीक आवर्स के दौरान कैब या बाइक टैक्सी का सफर आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की नई गाइडलांस के मुताबिक, कैब एग्रीगेटर अब पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना तक वसूल सकेंगे। अभी अधिकतम डेढ़ गुना किराया लेने की छूट है। बता दें कि ड्राइवर के मामले में भी रूल बनाया गया है।
राइड को कैंसल करना पड़ सकता है भारी
हालांकि, दूसरी और गाइडलाइंस में कंपनियों को यह छूट भी दी गई है कि वो चाहे, तो किराए में बेस फेयर के 50 प्रतिशत तक की छूट भी दे सकती है या फिर बेस फेयर से आधा किराया ले सकती है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, बुक हो चुकी राइड को कैंसल करना भी यात्रियों को भारी पड़ सकता है।
10 प्रतिशत फीस वसूली जा सकती है
सरकार ने राइड हेलिंग कंपनियों को छूट दी है कि अगर कोई पैसेंजर ऐप या वेबसाइट पर बिना कोई वैध कारण बताए बुक हो चुकी राइड को कैंसल करता है, तो उससे किराये की 10 प्रतिशत फीस वसूली जा सकती है। हालांकि, यह 100 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
बेस फेयर के आधार पर तय करना होगा किराया
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, ड्राइवर के मामले में भी यह रूल बनाया गया है कि अगर बुकिंग लेने के बाद ड्राइवर कोई वैध कारण बताए बिना राइड कैंसल करता है , तो एग्रीगेटर की ओर से भी किराये की 10 फीसदी फीस वसूली जा सकती है। कैब कंपनियों को राज्य सरकारों की ओर से वाहन की क्लास या कैटिगरी के लिए तय बेस फेयर के आधार पर ही अपना किराया निर्धारित करना होगा।
सर्वे में क्या बात आई सामने
बता दें कि सरकार की ओर से टैक्सी एग्रीगेटरों को ज्यादा सर्ज प्राइसिंग की इजाजत देने के बावजूद 59 प्रतिशत उपभोक्ताओं का कहना है कि अनुचित तरीके अभी भी अपनाए जा रहे हैं। लोकल सर्कल्स के सर्वे में दावा किया गया है कि पिछले 12 महीनों में लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें ड्राइवर की ओर से बुकिंग कैंसल करने को लेकर हुई। अचानक बढ़े हुए किराए और लंबे इंतजार की भी परेशानियां सामने आईं।
टू वीलर्स के कमर्शल इस्तेमाल की छूट
परिवहन मंत्रालय ने मोटर वीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 में साफ किया है कि इससे पहले 2020 में भी मोटर वीकल एग्रीगेटर गाइलाइंस जारी की गई थी, ताकि उनके आधार पर एग्रीगेटर्स को लाइसेंस दिया जा सके। तब से लेकर अब तक मोटर वीकल एग्रीगेटर ईको सिस्टम में जो बदला आए हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए यूजर्स की सेफ्टी और सिक्योरिटी और ड्राइवरों के वेलफेयर को ध्यान में रखते हुए अब ये नई गाइडलाइंस तैयार की गई है।
रोजगार को मिल सकता है बढ़ावा
बता दें कि राज्यों से कहा गया है कि वे इन गाइडलाइंस को आधार बनाकर अपने यहां पॉलिसी फ्रेमवर्क तैयार करें। उसी के आधार पर एग्रीगेटर्स को लाइसेंस दें। सबसे अहम बात यह है कि गाइडलाइंस के जरिए मंत्रालय ने प्राइवेट या नॉन ट्रांसपोर्ट कैटिगरी के टू वीलर्स के कमर्शल इस्तेमाल की छूट भी दे दी। इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
टैक्सी सर्विस पर लगा दिया गया था बैन
दिल्ली में इसी आधार पर कुछ साल पहले बाइक टैक्सी सर्विस पर बैन लगा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इसके लिए उचित पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा, निश्चित आधार किराया न्यूनतम 3 किमी के लिए होगा, ताकि डेड माइलेज की भरपाई हो। इसमें बिना यात्री के तय की गई दूरी, यात्रा वाली दूरी , यात्री को लेने के लिए उपयोग हुआ ईंधन शामिल है।
राइड को कैंसल करना पड़ सकता है भारी
हालांकि, दूसरी और गाइडलाइंस में कंपनियों को यह छूट भी दी गई है कि वो चाहे, तो किराए में बेस फेयर के 50 प्रतिशत तक की छूट भी दे सकती है या फिर बेस फेयर से आधा किराया ले सकती है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, बुक हो चुकी राइड को कैंसल करना भी यात्रियों को भारी पड़ सकता है।
10 प्रतिशत फीस वसूली जा सकती है
सरकार ने राइड हेलिंग कंपनियों को छूट दी है कि अगर कोई पैसेंजर ऐप या वेबसाइट पर बिना कोई वैध कारण बताए बुक हो चुकी राइड को कैंसल करता है, तो उससे किराये की 10 प्रतिशत फीस वसूली जा सकती है। हालांकि, यह 100 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
बेस फेयर के आधार पर तय करना होगा किराया
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, ड्राइवर के मामले में भी यह रूल बनाया गया है कि अगर बुकिंग लेने के बाद ड्राइवर कोई वैध कारण बताए बिना राइड कैंसल करता है , तो एग्रीगेटर की ओर से भी किराये की 10 फीसदी फीस वसूली जा सकती है। कैब कंपनियों को राज्य सरकारों की ओर से वाहन की क्लास या कैटिगरी के लिए तय बेस फेयर के आधार पर ही अपना किराया निर्धारित करना होगा।
सर्वे में क्या बात आई सामने
बता दें कि सरकार की ओर से टैक्सी एग्रीगेटरों को ज्यादा सर्ज प्राइसिंग की इजाजत देने के बावजूद 59 प्रतिशत उपभोक्ताओं का कहना है कि अनुचित तरीके अभी भी अपनाए जा रहे हैं। लोकल सर्कल्स के सर्वे में दावा किया गया है कि पिछले 12 महीनों में लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें ड्राइवर की ओर से बुकिंग कैंसल करने को लेकर हुई। अचानक बढ़े हुए किराए और लंबे इंतजार की भी परेशानियां सामने आईं।
टू वीलर्स के कमर्शल इस्तेमाल की छूट
परिवहन मंत्रालय ने मोटर वीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 में साफ किया है कि इससे पहले 2020 में भी मोटर वीकल एग्रीगेटर गाइलाइंस जारी की गई थी, ताकि उनके आधार पर एग्रीगेटर्स को लाइसेंस दिया जा सके। तब से लेकर अब तक मोटर वीकल एग्रीगेटर ईको सिस्टम में जो बदला आए हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए यूजर्स की सेफ्टी और सिक्योरिटी और ड्राइवरों के वेलफेयर को ध्यान में रखते हुए अब ये नई गाइडलाइंस तैयार की गई है।
रोजगार को मिल सकता है बढ़ावा
बता दें कि राज्यों से कहा गया है कि वे इन गाइडलाइंस को आधार बनाकर अपने यहां पॉलिसी फ्रेमवर्क तैयार करें। उसी के आधार पर एग्रीगेटर्स को लाइसेंस दें। सबसे अहम बात यह है कि गाइडलाइंस के जरिए मंत्रालय ने प्राइवेट या नॉन ट्रांसपोर्ट कैटिगरी के टू वीलर्स के कमर्शल इस्तेमाल की छूट भी दे दी। इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
टैक्सी सर्विस पर लगा दिया गया था बैन
दिल्ली में इसी आधार पर कुछ साल पहले बाइक टैक्सी सर्विस पर बैन लगा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इसके लिए उचित पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा, निश्चित आधार किराया न्यूनतम 3 किमी के लिए होगा, ताकि डेड माइलेज की भरपाई हो। इसमें बिना यात्री के तय की गई दूरी, यात्रा वाली दूरी , यात्री को लेने के लिए उपयोग हुआ ईंधन शामिल है।
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