नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार वकील विक्रम सिंह की रिहाई का आदेश दिया, जिन्हें हरियाणा पुलिस ने हत्या से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया था। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने यह अंतरिम आदेश जारी करते हुए पुलिस को नोटिस जारी किया।
वकील को रिहा करने के दिए निर्देश
आपको बता दें कि यह आदेश सिंह द्वारा दाखिल उस रिट याचिका पर पारित किया गया जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि एडवोकेट विक्रम सिंह को 10,000 के जमानती बांड पर तुरंत रिहा किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विकास सिंह ने कहा कि पुलिस कमिश्नर पर अपने मुवक्किलों से संबंधित जानकारी उजागर करने का दबाव बना रही थी।
गिरफ्तारी का आधार बताना जरूरी
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि कोई लिखित आधार नहीं दिया गया था। जबकि हाल के मिहिर शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि किसी भी मामले में गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी का आधार बताना जरूरी है।
वकील के संभावना नहीं
अदालत ने आदेश दिया कि वह इस परिस्थिति में अंतरिम प्रोटेक्शन दे रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वैसे भी, याचिकाकर्ता पेशे से वकील हैं और न्याय से भागने की संभावना नहीं है। ऐसे में अंतरिम आदेश के रूप में हम प्रतिवादी (राज्य पुलिस) को निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को तुरंत रिहा किया जाए।
रजिस्ट्रार को दिए आदेश
अदालत ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि आदेश की कॉपी को तुरंत गुरुग्राम पुलिस आयुक्त को भेजा जाए। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह दिल्ली जिला न्यायालयों के बार संघों ने एडवोकेट की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया था।
क्या था मामला
विक्रम सिंह को गुरुग्राम स्पेशल टास्क फोर्स ने 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था और उन्हें 1 नवंबर को फरीदाबाद के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। एफआईआर सूरज भान नामक शख्स की हत्या से संबंधित है, जिन्हें कथित रूप से कपिल सांगवान उर्फ नंदू के गिरोह ने गोली मार दी थी।
आरोपी ने लगाए थे आरोप
विक्रम सिंह के मुवक्किल ज्योति प्रकाश उर्फ बाबू को इस मामले में 16 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था।याचिका के अनुसार, सिंह ने अदालत में कई आवेदन दायर किए थे जिनमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके मुवक्किल के साथ पुलिस हिरासत में दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
आरोपी वकील को दिए थे नोटिस
सिंह ने अपनी याचिका में बताया कि जांच अधिकारी ने उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 41A के तहत नोटिस जारी किए थे, जिनमें उनसे पुलिस के सामने पेश होकर अपने मुवक्किलों जिनमें कपिल सांगवान भी शामिल हैं , की जानकारी देने को कहा गया था।
बिना किसी कारण के किया गिरफ्तार
उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे 31 अक्टूबर को ऐसे नोटिस के जवाब में थाने पहुंचे, तो उन्हें बिना किसी उचित कारण के गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वकील ने अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल रिट में अपनी गिरफ्तारी को “असाधारण मामला” बताया और कहा कि यह वकालत की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
वकील को रिहा करने के दिए निर्देश
आपको बता दें कि यह आदेश सिंह द्वारा दाखिल उस रिट याचिका पर पारित किया गया जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि एडवोकेट विक्रम सिंह को 10,000 के जमानती बांड पर तुरंत रिहा किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विकास सिंह ने कहा कि पुलिस कमिश्नर पर अपने मुवक्किलों से संबंधित जानकारी उजागर करने का दबाव बना रही थी।
गिरफ्तारी का आधार बताना जरूरी
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि कोई लिखित आधार नहीं दिया गया था। जबकि हाल के मिहिर शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि किसी भी मामले में गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी का आधार बताना जरूरी है।
वकील के संभावना नहीं
अदालत ने आदेश दिया कि वह इस परिस्थिति में अंतरिम प्रोटेक्शन दे रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वैसे भी, याचिकाकर्ता पेशे से वकील हैं और न्याय से भागने की संभावना नहीं है। ऐसे में अंतरिम आदेश के रूप में हम प्रतिवादी (राज्य पुलिस) को निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को तुरंत रिहा किया जाए।
रजिस्ट्रार को दिए आदेश
अदालत ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि आदेश की कॉपी को तुरंत गुरुग्राम पुलिस आयुक्त को भेजा जाए। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह दिल्ली जिला न्यायालयों के बार संघों ने एडवोकेट की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया था।
क्या था मामला
विक्रम सिंह को गुरुग्राम स्पेशल टास्क फोर्स ने 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था और उन्हें 1 नवंबर को फरीदाबाद के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। एफआईआर सूरज भान नामक शख्स की हत्या से संबंधित है, जिन्हें कथित रूप से कपिल सांगवान उर्फ नंदू के गिरोह ने गोली मार दी थी।
आरोपी ने लगाए थे आरोप
विक्रम सिंह के मुवक्किल ज्योति प्रकाश उर्फ बाबू को इस मामले में 16 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था।याचिका के अनुसार, सिंह ने अदालत में कई आवेदन दायर किए थे जिनमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके मुवक्किल के साथ पुलिस हिरासत में दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
आरोपी वकील को दिए थे नोटिस
सिंह ने अपनी याचिका में बताया कि जांच अधिकारी ने उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 41A के तहत नोटिस जारी किए थे, जिनमें उनसे पुलिस के सामने पेश होकर अपने मुवक्किलों जिनमें कपिल सांगवान भी शामिल हैं , की जानकारी देने को कहा गया था।
बिना किसी कारण के किया गिरफ्तार
उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे 31 अक्टूबर को ऐसे नोटिस के जवाब में थाने पहुंचे, तो उन्हें बिना किसी उचित कारण के गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वकील ने अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल रिट में अपनी गिरफ्तारी को “असाधारण मामला” बताया और कहा कि यह वकालत की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
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