एक दौर था जब भारत में बाघों की कमी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई थी। इसको लेकर सरकार ने एक वक्त में कई कैंपेन चलाए थे, जिसमें से एक 'Save Tiger' भी था। हालांकि, बीते कुछ सालों में इंडिया में टाइगर्स की संख्या मे बढ़ोतरी देखने को मिली है। लेकिन बात करे गुजरात की तो 1980 के दशक से ही यहां बाघों की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। 1992 में हुई राष्ट्रीय बाघ जनगणना के मुताबिक गुजरात में एक भी बाघ नहीं पाया गया था। जिससे सबको लगा कि शायद अब फिर कभी गुजरात में बाघ देखने को नहीं मिलेंगे। गुजरात में 32 साल बाद दिखा बाघइन सब के बीच हाल ही में गुजरात से एक बहुत ही अच्छी खबर आई है। पूरे 32 साल बाद एक बार फिर यहां बाघ देखा गया है। भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी सुशांत नंदा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि गुजरात के दाहोद जिले में एक बाघ नजर आया है और इसका वीडियो भी शेयर किया है। इस खबर के साथ गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां शेर, बाघ और तेंदुआ तीनों बड़ी बिल्लियों की प्रजाती पाई जाती हैं। 1985 में दिखा था आखिरी बाघराष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के मुताबिक, गुजरात में आखिरी बार बाघ 1985 में देखा गया था। वो बाघ व्यारा तालुका के भेसखत्री इलाके में मिला था, लेकिन दुर्भाग्य से उसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद 1992 में हुई बाघों की गिनती में ये संख्या शून्य हो गई थी। यानी पिछले कई दशकों से गुजरात में कोई बाघ नहीं था। हाल ही में हुई जनगणना के अनुसार गुजरात में अब 891 शेर हैं। शेरों की बढ़ती संख्या और अब बाघ की वापसी से साफ है कि गुजरात का पर्यावरण जानवरों के लिए फिर से रहने की जगह बन रहा है। 'तीनों बड़ी बिल्लियां' होने का मतलब?शेर, बाघ और तेंदुआ, ये तीनों बिल्ली परिवार के सबसे बड़े जानवर हैं। इन्हें 'बड़ी बिल्लियां' कहा जाता है। अब गुजरात भारत का पहला और इकलौता राज्य बन गया है जहां ये तीनों वन्यजीव मौजूद हैं।
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