नई दिल्ली: लाल किले के पास सोमवार शाम हुए तेज धमाके में जिन चीजों का इस्तेमाल किया गया, शुरुआती जांच के अनुसार उनमें अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल (ANFO) और डिटोनेटर शामिल थे। इस धमाके में कम से कम 10 लोग मारे गए हैं जबकि दर्जनों घायल हुए हैं।
अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल क्या है, जिसका दिल्ली ब्लास्ट में हुआ इस्तेमाल?
अमोनियम नाइट्रेट (NH₄NO₃) एक सफेद क्रिस्टल जैसा रसायन है, जो आमतौर पर खेतों में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल होता है। अकेले यह सामान्य परिस्थितियों में स्थिर और ज्वलनशील नहीं होता। जब इसे ईंधन जैसे फ्यूल ऑयल के साथ मिलाया जाता है तो यह ANFO बनता है यानी एक बहुत शक्तिशाली औद्योगिक विस्फोटक मिश्रण। आम तौर पर ANFO में लगभग 94% अमोनियम नाइट्रेट और 6% फ्यूल ऑयल होता है।
सवाल है- क्यों इतना खतरनाक होता है?
ANFO में फ्यूल ऑयल अमोनियम नाइट्रेट के छिद्रों में समा जाता है, इसलिए इसे संभालना और ले जाना आसान होता है। हालांकि इसे जला देने से यह तुरंत जलता नहीं है। इसके लिए हाई एनर्जी वाला प्राइमर या डिटोनेटर जरूरी होता है। डिटोनेशन के समय अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल की तेज रासायनिक प्रतिक्रिया बहुत मात्रा में गरम गैसें पैदा कर देती हैं, जिससे शक्तिशाली धमाका और शॉक वेव बनती है। बड़े मात्रा में ANFO का विस्फोट भारी तबाही कर सकता है और जहरीली गैसें भी रिलीज कर सकता है।
आतंकवादी हमलों में इस्तेमाल
सस्ती उपलब्धता, कम लागत और असरदार परिणाम के कारण ANFO का उपयोग सामान्यतः आईईडी (Improvised Explosive Device) बनाने के लिए आतंकवादी करते रहे हैं। इसकी स्थिरता के कारण इसे संभालना आसान होता है, पर एक बार डिटोनेटर से एक्टिव होने पर यह बेहद विनाशकारी साबित होता है। बहरहाल, दिल्ली ब्लास्ट में शुरुआती फोरेंसिक रिपोर्ट में ANFO और डिटोनेटर के संकेत मिले हैं, जो फिदायीन हमला होने की आशंका है।
जांच क्या कह रही अभी
आरोपी डॉ. मोहम्मद उमर पर शक है; वह हाल ही में फरीदाबाद में पकड़े गए एक आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा माना जाता है और धमाके के वक्त उस i20 कार में अकेला था, ऐसा बताया जा रहा है। फॉरेंसिक टीमें और राष्ट्रीय एजेंसियां मौके से अवशेष इकट्ठा कर एनालिसिस कर रही हैं।
अमोनियम नाइट्रेट को लेकर भारत का कानून क्या है?
भारत में अमोनियम नाइट्रेट पर कड़ा नियमन है। 45% से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट वाले मिक्सचर को विस्फोटक माना जाता है और इन्हें रेगुलेट किया जाता है। यह नियम औद्योगिक इस्तेमाल की अनुमति रखते हुए दुरुपयोग रोकने के प्रयास का हिस्सा है। यह धमाका बताता है कि अमोनियम नाइट्रेट जैसे केमिकल्स के इधर-उधर होने पर कड़ी निगरानी और सुरक्षा जरूरी है, ताकि इनका गलत इस्तेमाल रोकने के साथ लोगों की जानों को बचाया जा सके।
अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल क्या है, जिसका दिल्ली ब्लास्ट में हुआ इस्तेमाल?
अमोनियम नाइट्रेट (NH₄NO₃) एक सफेद क्रिस्टल जैसा रसायन है, जो आमतौर पर खेतों में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल होता है। अकेले यह सामान्य परिस्थितियों में स्थिर और ज्वलनशील नहीं होता। जब इसे ईंधन जैसे फ्यूल ऑयल के साथ मिलाया जाता है तो यह ANFO बनता है यानी एक बहुत शक्तिशाली औद्योगिक विस्फोटक मिश्रण। आम तौर पर ANFO में लगभग 94% अमोनियम नाइट्रेट और 6% फ्यूल ऑयल होता है।
सवाल है- क्यों इतना खतरनाक होता है?
ANFO में फ्यूल ऑयल अमोनियम नाइट्रेट के छिद्रों में समा जाता है, इसलिए इसे संभालना और ले जाना आसान होता है। हालांकि इसे जला देने से यह तुरंत जलता नहीं है। इसके लिए हाई एनर्जी वाला प्राइमर या डिटोनेटर जरूरी होता है। डिटोनेशन के समय अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल की तेज रासायनिक प्रतिक्रिया बहुत मात्रा में गरम गैसें पैदा कर देती हैं, जिससे शक्तिशाली धमाका और शॉक वेव बनती है। बड़े मात्रा में ANFO का विस्फोट भारी तबाही कर सकता है और जहरीली गैसें भी रिलीज कर सकता है।
आतंकवादी हमलों में इस्तेमाल
सस्ती उपलब्धता, कम लागत और असरदार परिणाम के कारण ANFO का उपयोग सामान्यतः आईईडी (Improvised Explosive Device) बनाने के लिए आतंकवादी करते रहे हैं। इसकी स्थिरता के कारण इसे संभालना आसान होता है, पर एक बार डिटोनेटर से एक्टिव होने पर यह बेहद विनाशकारी साबित होता है। बहरहाल, दिल्ली ब्लास्ट में शुरुआती फोरेंसिक रिपोर्ट में ANFO और डिटोनेटर के संकेत मिले हैं, जो फिदायीन हमला होने की आशंका है।
जांच क्या कह रही अभी
आरोपी डॉ. मोहम्मद उमर पर शक है; वह हाल ही में फरीदाबाद में पकड़े गए एक आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा माना जाता है और धमाके के वक्त उस i20 कार में अकेला था, ऐसा बताया जा रहा है। फॉरेंसिक टीमें और राष्ट्रीय एजेंसियां मौके से अवशेष इकट्ठा कर एनालिसिस कर रही हैं।
अमोनियम नाइट्रेट को लेकर भारत का कानून क्या है?
भारत में अमोनियम नाइट्रेट पर कड़ा नियमन है। 45% से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट वाले मिक्सचर को विस्फोटक माना जाता है और इन्हें रेगुलेट किया जाता है। यह नियम औद्योगिक इस्तेमाल की अनुमति रखते हुए दुरुपयोग रोकने के प्रयास का हिस्सा है। यह धमाका बताता है कि अमोनियम नाइट्रेट जैसे केमिकल्स के इधर-उधर होने पर कड़ी निगरानी और सुरक्षा जरूरी है, ताकि इनका गलत इस्तेमाल रोकने के साथ लोगों की जानों को बचाया जा सके।
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