नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर बढ़ती आपत्तिजनक पोस्ट पर मंगलवार को चिंता जताई और इस पर अंकुश के लिए आदेश जारी करने की जरूरत पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं। हमें कुछ करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर विवादित कार्टून बनाने वाले हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देते हुए यह टिप्पणी की।सुप्रीम कोर्ट ने कथित आपत्तिजनक कार्टून को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोपी कार्टूनिस्ट को लिखित माफी के बाद, उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
राज्यों को कार्रवाई की आजादी
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि लोग किसी को भी, कुछ भी कह जाते हैं। हमें इस विषय पर सोचना होगाइस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर संबंधित व्यक्ति भविष्य में आपत्तिजनक पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा करता है, तो राज्य सरकार को उसके विरुद्ध कानून के तहत कार्रवाई की पूरी आजादी होगी। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की थी।
इंदोर थाने में दर्ज हुई थी FIR
उनके खिलाफ मई 2024 में इंदौर के थाने में FIR दर्ज की गई थी। जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार किया तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। मालवीय की वकील ने सवाल उठाया कि यह आपराधिक मामला है या अवैध भाषा का मामला है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह है कि कोई बात किस तरह कही। जो किया, वह अपराध है।
राज्यों को कार्रवाई की आजादी
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि लोग किसी को भी, कुछ भी कह जाते हैं। हमें इस विषय पर सोचना होगाइस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर संबंधित व्यक्ति भविष्य में आपत्तिजनक पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा करता है, तो राज्य सरकार को उसके विरुद्ध कानून के तहत कार्रवाई की पूरी आजादी होगी। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की थी।
इंदोर थाने में दर्ज हुई थी FIR
उनके खिलाफ मई 2024 में इंदौर के थाने में FIR दर्ज की गई थी। जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार किया तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। मालवीय की वकील ने सवाल उठाया कि यह आपराधिक मामला है या अवैध भाषा का मामला है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह है कि कोई बात किस तरह कही। जो किया, वह अपराध है।
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