नई दिल्ली : साइबर ठगों का जाल अब कॉर्पोरेट तक पहुंच गया दिखता है। जी हां, इसकी जद में फार्मा सेक्टर की कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड (Dr. Reddy’s Laboratories Ltd) आ गई है। इस कंपनी को एक बड़े कॉर्पोरेट साइबर धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा है। हैकर्स ने उससे जुड़ी एक कंपनी के अधिकारी का रूप में अपने को पेश किया और एक दूसरी कंपनी को जाने वाले 2.16 करोड़ रुपये की राशि को अपने खाते में डलवा ली। मीडिया रिर्पोर्ट के मुताबिक जब अधिकारियों को ठगी का अहसास हुआ, तब बेंगलुरु सिटी साइबर क्राइम पुलिस के पास बीते 5 नवंबर को FIR दर्ज कराई गई।
एफआईआर से पता चला
एफआईआर के मुताबिक ग्रुप फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (Group Pharmaceuticals Ltd)के महेश बाबू के. ने यह शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज से उन्हें 2.16 करोड़ रुपये का भुगतान मिलना था, जो उनके द्वारा सप्लाई किए गए सामान के बदले था। लेकिन, हैकर्स ने दोनों कंपनियों के बीच हो रही ईमेल बातचीत को बीच में ही हैक कर लिया।
हैकर्स ने भेजा फर्जी ईमेल
फिर हैकर्स ने बीते 3 नवंबर को डॉ. रेड्डीज की फाइनेंस टीम को एक फर्जी ईमेल भेजा। यह फर्जी ईमेल एक ऐसे पते से आया था जो बिल्कुल असली जैसा लग रहा था। असली ईमेल पता 'kkeshav@grouppharma.in' था, जबकि हैकर्स ने 'KKeshav@Grouppharma.in' का इस्तेमाल किया। इस ईमेल में डॉ. रेड्डीज की फाइनेंस टीम को निर्देश दिया गया कि वह पैसे एक अलग बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में ट्रांसफर कर दे। फाइनेंस टीम ने इसे असली समझकर पैसे उस फर्जी खाते में भेज दिए।
गुजरात से है कनेक्शन
बाद में जब ग्रुप फार्मास्युटिकल्स को इस धोखाधड़ी का पता चला, तो उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। उन्होंने पुलिस से उस फर्जी खाते को फ्रीज करने और पैसे वापस दिलाने की गुहार लगाई है। FIR में यह भी बताया गया है कि इस धोखाधड़ी को अंजाम देने वाले आरोपी गुजरात के बड़ौदा में स्थित हैं।
जांच जारी है
पुलिस ने इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 66(C) और 66(D) के तहत केस दर्ज किया है। इन धाराओं में पहचान की चोरी और प्रतिरूपण करके धोखाधड़ी करना (identity theft and cheating by impersonation) शामिल है। इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत भी कार्रवाई की जा रही है। इस साइबर धोखाधड़ी की जांच फिलहाल चल रही है।
एफआईआर से पता चला
एफआईआर के मुताबिक ग्रुप फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (Group Pharmaceuticals Ltd)के महेश बाबू के. ने यह शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज से उन्हें 2.16 करोड़ रुपये का भुगतान मिलना था, जो उनके द्वारा सप्लाई किए गए सामान के बदले था। लेकिन, हैकर्स ने दोनों कंपनियों के बीच हो रही ईमेल बातचीत को बीच में ही हैक कर लिया।
हैकर्स ने भेजा फर्जी ईमेल
फिर हैकर्स ने बीते 3 नवंबर को डॉ. रेड्डीज की फाइनेंस टीम को एक फर्जी ईमेल भेजा। यह फर्जी ईमेल एक ऐसे पते से आया था जो बिल्कुल असली जैसा लग रहा था। असली ईमेल पता 'kkeshav@grouppharma.in' था, जबकि हैकर्स ने 'KKeshav@Grouppharma.in' का इस्तेमाल किया। इस ईमेल में डॉ. रेड्डीज की फाइनेंस टीम को निर्देश दिया गया कि वह पैसे एक अलग बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में ट्रांसफर कर दे। फाइनेंस टीम ने इसे असली समझकर पैसे उस फर्जी खाते में भेज दिए।
गुजरात से है कनेक्शन
बाद में जब ग्रुप फार्मास्युटिकल्स को इस धोखाधड़ी का पता चला, तो उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। उन्होंने पुलिस से उस फर्जी खाते को फ्रीज करने और पैसे वापस दिलाने की गुहार लगाई है। FIR में यह भी बताया गया है कि इस धोखाधड़ी को अंजाम देने वाले आरोपी गुजरात के बड़ौदा में स्थित हैं।
जांच जारी है
पुलिस ने इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 66(C) और 66(D) के तहत केस दर्ज किया है। इन धाराओं में पहचान की चोरी और प्रतिरूपण करके धोखाधड़ी करना (identity theft and cheating by impersonation) शामिल है। इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत भी कार्रवाई की जा रही है। इस साइबर धोखाधड़ी की जांच फिलहाल चल रही है।
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