नई दिल्ली: इसरो भारतीय नौसेना के लिए 2 नवंबर को दो खास सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है। इसका नाम CMS-03 है, जिसे Gsat-7R सैटेलाइट भी कहा जाता है। इसकी लॉन्चिंग से भारतीय नौसेना और ताकतवर हो जाएगी और समुद्र में दुश्मनों की साजिश पर नजर रखना आसान हो जाएगा। इसे प्रक्षेपित करने के लिए निर्धारित LVM-3 प्रक्षेपण यान को श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्चपैड पर पहुंचा दिया है। इस उपग्रह को पहले 2024 के अंत में प्रक्षेपित किया जाना था, लेकिन इसमें देरी हो गई।
इसरो ने प्रक्षेपण की तैयारी तेज की
एलवीएम-3 को लॉन्चपैड पर स्थापित करने के साथ ही इसरो ने मिशन के लिए प्रक्षेपण-पूर्व कार्य शुरू कर दिया है, जिसके प्रक्षेपण पर पिछले कुछ दिनों से चक्रवात की भविष्यवाणी के कारण कड़ी नजर रखी जा रही थी।
बढ़ेगी समुद्री ताकत
नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के बीच ध्वनि, वीडियो और डेटा संचारित करने के लिए कई बैंडों का उपयोग करने वाले इस उपग्रह से भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अपनी पांचवीं परिचालन उड़ान में, रॉकेट LVM-3 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से 4,400 किलोग्राम वजनी उपग्रह को लेकर उड़ान भरेगा, जिससे यह भारतीय धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया जाने वाला सबसे भारी संचार उपग्रह बन जाएगा।
चंद्रयान का प्रक्षेपण भी LVM-3 रॉकेट ने ही किया था
इसरो ने कहा कि सीएमएस-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा। एलवीएम3 के पिछले मिशन ने चंद्रयान-3 मिशन को प्रक्षेपित किया था, जिसके परिणामस्वरूप भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बना।
इसरो ने प्रक्षेपण की तैयारी तेज की
एलवीएम-3 को लॉन्चपैड पर स्थापित करने के साथ ही इसरो ने मिशन के लिए प्रक्षेपण-पूर्व कार्य शुरू कर दिया है, जिसके प्रक्षेपण पर पिछले कुछ दिनों से चक्रवात की भविष्यवाणी के कारण कड़ी नजर रखी जा रही थी।
बढ़ेगी समुद्री ताकत
नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के बीच ध्वनि, वीडियो और डेटा संचारित करने के लिए कई बैंडों का उपयोग करने वाले इस उपग्रह से भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अपनी पांचवीं परिचालन उड़ान में, रॉकेट LVM-3 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से 4,400 किलोग्राम वजनी उपग्रह को लेकर उड़ान भरेगा, जिससे यह भारतीय धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया जाने वाला सबसे भारी संचार उपग्रह बन जाएगा।
चंद्रयान का प्रक्षेपण भी LVM-3 रॉकेट ने ही किया था
इसरो ने कहा कि सीएमएस-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा। एलवीएम3 के पिछले मिशन ने चंद्रयान-3 मिशन को प्रक्षेपित किया था, जिसके परिणामस्वरूप भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बना।
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